समस्तीपुर सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड बंद होने से मरीजों को परेशानी
समस्तीपुर में पदस्थापित रेडियोलॉजिस्ट को दानापुर अनुमंडलीय अस्पताल में कर दिया प्रतिनियुक्त। विभागीय लापरवाही की वजह से लंबे समय से चालू अल्ट्रासाउंड की सुविधा को बंद कर दिया गया। ऐसे में अल्ट्रासाउंड जांच की मशीन को कार्टन में बंद कर रख दिया गया है।
समस्तीपुर, जासं। सदर अस्पताल में पिछले दो महीने से अल्ट्रासाउंड बंद है। मरीजों को सुविधा देने को लेकर नई-नई तरह की व्यवस्था की जा रही है। लेकिन विभागीय लापरवाही की वजह से लंबे समय से चालू अल्ट्रासाउंड की सुविधा को बंद कर दिया गया। ऐसे में अल्ट्रासाउंड जांच की मशीन को कार्टन में बंद कर रख दिया गया है। इसके कारण मरीजों को निजी क्लीनिक में ज्यादा रुपया खर्च करना पड़ रहा है। अल्ट्रासाउंड बंद हो जाने के कारण निजी अस्पतालों की चांदी कट रही है। अल्ट्रासाउंड के विशेषज्ञ चिकित्सक का पटना में प्रतिनियोजित कर दिया गया है। ऐसे में जिले के मरीजों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
मरीजों को सुविधा देने के लिए सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड जांच शुरू की गई थी। इसके लिए दलसिंहसराय में पदस्थापित डॉ. अशोक कुमार गुप्ता की प्रतिनियुक्ति सदर अस्पताल में हुई। पिछले दिनों विभागीय स्तर पर एक नए रेडियोलॉजिस्ट डॉ. बलराम प्रसाद की पोस्टिंग भी सदर अस्पताल में हुई। हालांकि, पोस्टिंग के कुछ दिनों बाद ही मुख्यालय के आदेश पर कार्यरत रेडियोलॉजिस्ट की प्रतिनियुक्ति दानापुर अनुमंडलीय अस्पताल में कर दी गई। इस बीच 31 जनवरी को डॉ. गुप्ता सेवानिवृत हो गए। इसके बाद भी डॉक्टर की प्रतिनियुक्ति समाप्त नहीं की गई है। सांसद ने की पहल, विभाग ने दिखाया कारनामा सदर अस्पताल में पदस्थापित रेडियोलॉजिस्ट डॉ. बलराम प्रसाद की प्रतिनियुक्ति पटना से रद करने को लेकर पूर्व में ही सांसद प्रिंस राज ने स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखा। स्वास्थ्य मंत्री ने सांसद के पत्र के आलोक में जवाब दे दिया, लेकिन विडंबना यह कि डॉ. बलराम की प्रतिनियुक्ति को रद के बदले सेवानिवृत डॉ. अशोक कुमार गुप्ता की प्रतिनियुक्ति रद करने का आदेश जारी कर दिया गया। निजी स्तर पर नहीं हो सकी रेडियोलॉजिस्ट की व्यवस्था सदर अस्पताल में प्रतिनियुक्त डॉ. अशोक कुमार गुप्ता 30 जनवरी को सेवानिवृत हो गए। जिसके बाद रेडियोलॉजिस्ट के नहीं रहने की वजह से एक फरवरी से अल्ट्रासाउंड जांच बंद कर दिया गया। जिसके कारण गर्भवती, मेडिकल जांच सहित अन्य गंभीर मरीजों को यह सुविधा मिलनी बंद हो गई। पिछले महीने स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा के दौरान जिलाधिकारी शशांक शुभंकर ने निजी स्तर पर किसी रेडियोलॉजिस्ट की व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था। लेकिन अब तक इसकी व्यवस्था नहीं हो पाई है। शोभा की वस्तु बनी है अल्ट्रासाउंड मशीन सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन शोभा की वस्तु बनी हुई है, अब इसे कार्टन में बंद कर रख दिया गया है। इसके चलते मरीजों को अल्ट्रासाउंड बाजार में खुले बाहरी सेंटर में कराना पड़ रहा है। सदर अस्पताल में सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को प्रसव जांच के लिए होती है। महिला मरीजों को अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था नहीं होने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही सात सौ से आठ सौ रुपये खर्च लग रहा है। प्राइवेट अल्ट्रसाउंड कराने के लिए अस्पताल में दलाल मौजूद रहते है। जैसे ही वो अस्पताल के पुर्जे ने अल्ट्रसाउंड लिखे देखते है तो उसे अपने साथ बाहरी निजी अल्ट्रसाउंड सेंटर लेकर चले जाते है।