गर्मी से बाइपोलर डिसऑर्डर के मरीज बढ़े, दवाओं का भी टोटा
बीमारी से पीडि़त कभी हंसता है तो कभी रोता घंटे-दो घंटे ही सो पाता। सदर अस्पताल में 29 दवाओं में केवल एक ही उपलब्ध। मानसिक रोग के आउटडोर पर दवा के लिए मरीजों का हंगामा।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। सदर अस्पताल परिसर में चल रहे मानसिक रोग के आउटडोर में बाइपोलर डिसऑर्डर के मरीज पहुंच रहे हैं। वहीं दवा नहीं मिलने से मरीजों के परिजनों में नाराजगी दिख रही है। बुधवार को दवा नहीं मिलने से मरीज के परिजनों ने हंगामा किया था। सकरा से आए मोहसीन ने बताया कि मैं चार दिन से लगातार लौट रहा हूं। हर दिन दवा उपलब्ध नहीं होने की बात कही जा रही। सेंटर पर 29 के बदले केवल एक ही दवा मिल रही है। यह भी साइड इफेक्ट वाली है। मुख्य दवा नहीं है।
स्मार्ट फोन से बचें मरीज
मौसम में बदलाव के कारण बाइपोलर डिसऑर्डर से पीडि़त मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के विशेषज्ञ डॉ. अमरकांत झा ने बताया कि इन दिनों माइनिया के साथ डिप्रेशन व बाइपोलर डिसऑर्डर के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि बाइपोलर डिसआर्डर का मरीज कभी हंसता है, कभी रोता है। घंटे-दो घंटे ही सो पाता है। दिन-रात जगते रहता है। मौसम में बदलाव के साथ बिना संसाधन के आगे बढऩे की भूख इसकी मुख्य वजह है। नियमित दवा के सेवन से रोगी ठीक हो जाता है। ऐसे रोगी को स्मार्टफोन से दूर रहते हुए शाकाहारी भोजन करना चाहिए।
बीमारी की पहचान होने पर तुरंत चिकित्सक से मिलें। एनसीडी सेल के प्रभारी डॉ. महादेव चौधरी ने बताया कि एनसीडीसी (नन कम्युनिकेबल डिजीज कंट्रोल) व राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम को आपस में समन्वित कर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। जलवायु परिवर्तन के साथ मानसिक रोग का प्रकोप इधर लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि मानसिक रोग विभाग में दवा की कमी बहुत जल्द दूर होगी।
सीएस डॉ. एसपी सिंह ने बताया कि अस्पताल के पास फंड है, इसके बाद भी दवा नहीं खरीदी गई है। एनसीडीसी के नोडल अधिकारी को दवा जल्द मंगाने के लिए कहा गया है। दवा नहीं मिलने पर मरीज बाहर से महंगी दवा खरीदने को मजबूर हैं। अस्पताल में अगर दवा उपलब्ध होगी तो मरीजों को बाहर से दवा नहीं खरीदनी पड़ेगी।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप