Lockdown ने इस तरह बढ़ा दी अभिभावकों की जिम्मेदारी, एक साथ निभाने पर रहे कई रोल
लॉकडाउन में बच्चों को बाहर निकलने और किसी चीज की जरूरत नहीं सताए इसके लिए घर में ही माकूल व्यवस्था कर रहे अभिभावक।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। कोरोना को लेकर हुए लॉकडाउन के बाद बच्चों के प्रति अभिभावकों की जिम्मेदारी काफी बढ़ गई है। बच्चों को बाहर निकलने और किसी चीज की जरूरत नहीं सताए इसके लिए घर में ही माकूल व्यवस्था की जा रही है। किचन में रोज नए पकवान बन रहे ताकि, फास्ट फूड और बाहरी खाने की कमी महसूस नहीं हो। रेवा रोड की रहने वाली रूबी ठाकुर बताती हैं कि बच्चों को घर से बाहर नहीं निकलना पड़े और उनका मन भी लगा रहे इसीलिए उनके साथ लूडो और अन्य एक्टिविटी में दोस्त की भूमिका निभाई।
विभिन्न व्यंजनों को बनाना यू-ट्यूब से सीखा
वहीं अघोरिया बाजार के अभिभावक रितेश सिंह ने बताया कि बच्चों के लिए किचन के विभिन्न व्यंजनों को बनाना यू-ट्यूब से सीखा। साथ ही खेल-कूद से लेकर ऑनलाइन मिलने वाले होमवर्क में भी उनकी मदद की ताकि, उनका मन लगा रहे। मिठनपुरा की ज्योति बताती हैं कि स्कूल बंद होने के कारण उनकी बेटी दोस्तों से नहीं मिल पा रही थी। ऐसे में वह उदास नहीं हो इसके लिए खेलकूद से पढ़ाई तक हमेशा उसका साथ देती थी। बच्चों की सही देखरेख जरूरी
वर्तमान समय में बच्चों की देखरेख करने के संबंध में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.बीएन तिवारी बताते हैं कि अभी दो-दो बीमारियों की मार चल रही है। कोरोना का कहर अलग है तो एईएस भी बच्चों पर हावी हो रहा है। ऐसी स्थिति में बच्चों की विशेष देखभाल जरूरी है। बच्चों को बाहर नहीं निकलने दें। उन्हें धूप से बचाएं। उनकी साफ-सफाई का ख्याल रखें। उन्हें दूध और अन्य पौष्टिक आहार के साथ पेय पदार्थ दें ताकि उनके शरीर में पानी की कमी नहीं हो।
बच्चों के व्यवहार में आए बदलाव तो प्यार से पूछें कारण
मनोचिकित्सक डॉ.गौरव कुमार बताते हैं कि बड़े लोग किसी तरह की समस्या होने पर किसी न किसी से उसे शेयर कर लेते हैं, जबकि बच्चों के साथ ऐसा नहीं है। बच्चे जल्दी किसी को अपनी परेशानी नहीं बताते। ऐसे में अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों के व्यवहार पर नजदीकी नजर रखें। अगर उसमें कोई बदलाव आ गया हो, उसमें चिड़चिड़ापन आया हो या उसका रूटीन बदल गया हो। ऐसी स्थिति में उससे पूछने का प्रयास करें। उसे समय दें। इससे बच्चे परेशानी बता सकेंगे और फिर उसका समाधान किया जा सकेगा।