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समस्तीपुर जिले में रुपये के लेन-देन में हुई थी पैक्स अध्यक्ष विजय महतो की हत्या, मामले का पर्दाफाश

Samastipur News एक माह पूर्व हुए पैक्स अध्यक्ष हत्याकांड का पुलिस ने किया उछ्वेदन पंजाब के लुधियाना से हुई हत्यारोपी की गिरफ्तारी मोबाइल एवं चाकू भी बरामद रोसड़ा थाना पर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी शहरियार अख्तर ने पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 16 Jan 2022 07:48 PM (IST)Updated: Sun, 16 Jan 2022 07:48 PM (IST)
समस्तीपुर जिले में रुपये के लेन-देन में हुई थी पैक्स अध्यक्ष विजय महतो की हत्या, मामले का पर्दाफाश
गिरफ्तार अपराधी वह बरामद सामग्री के साथ प्रेस वार्ता करते एसडीपीओ शहरियार अख्तर। फोटो-जागरण

समस्‍तीपुर  (रोसड़ा), जासं। एक माह पूर्व रोसड़ा थाना के खैरा में पैक्स अध्यक्ष विजय महतो हत्याकांड का पुलिस ने उछ्वेदन का दावा किया है। इस घटना को अंजाम देने वाला एकमात्र हत्यारा तौकीर अहमद को पुलिस ने लुधियाना से गिरफ्तार कर लिया है। उसकी निशानदेही पर बेगूसराय के एक पोखरा से गोताखोरों के सहारे मृतक का मोबाइल तथा उसके घर से हत्या में प्रयुक्त चाकू भी बरामद किया है। रविवार को रोसड़ा थाना पर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी शहरियार अख्तर ने पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी। बताया कि रुपये के लेनदेन में उदयपुर निवासी नूर मोहम्मद के पुत्र तौकीर अहमद ने अकेले ही विजय महतो की नृशंस हत्या कर दी। उसने पहले विजय की आंख और चेहरे पर मिर्ची पाउडर डाल दी। उसके छटपटाते ही रस्सी से गर्दन में फंदा बना उसकी हत्या कर दी। लाश को ठिकाने लगाने के उद्देश्य से अकेले ही खींचकर गोदाम के पूरब तरफ गली में ले जाकर चाकू से गर्दन रेत डाला।

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गिरफ्तार अपराधी के स्वीकारोक्ति बयान का हवाला देते हुए एसडीपीओ ने बताया कि मृतक विजय ने हत्यारे तौकीर से उधार रकम ली थी। इसके लिए वह लगातार तकादा कर रहा था लेकिन विजय पैसे नहीं दे रहा था। घटना के दिन विजय के पास कहीं से रुपया आने की सूचना तौकीर को मिली। वह घर से चाकू रस्सी लेकर निकला तथा गांव के सुहैल की दुकान से मिर्च का पाउडर भी खरीद कर साथ रखा। 15 दिसंबर की रात्रि करीब 10 और 10.30 के बीच पैक्स अध्यक्ष की हत्या कर दी। विजय अपने मोबाइल पर यूट््यूब चैनल देखने में व्यस्त था। इसी बीच मौके का फायदा उठाकर तौकीर ने हमला बोल दिया।

घटना के बाद वह मृतक का मोबाइल जेब में रख उसी की बाइक से छौराही ओपी के चक्का गांव पहुंचा। बाइक को वहीं खड़ा कर डिक्की से बैग निकाल ईंरव की खेत में फेंक दिया और वहां से अपने घर पहुंच गया ।दूसरे दिन ही वह गांव से समस्तीपुर गया और वहां भी जुगनू टेलकम मनी ट्रांसफर दुकानदार के पास पहुंच मृतक के मोबाइल से ?50 हजार 700 ट्रांसफर कर दुकानदार को आधार कार्ड की छाया प्रति दे रुपया लेकर घर वापस आ गया। पुन: उदयपुर के फोन पर के दुकानदार मो. बिलाल के खाता में ?30 हजार उसके द्वारा ट्रांसफर किया गया। इसके बाद वह भागकर लुधियाना चला गया।

15 दिसंबर की रात मिला था शव

रोसड़ा के चकथात पूरब के पैक्स अध्यक्ष विजय महतो की नृशंस हत्या 15 दिसंबर की रात गला रेत कर की गई थी। 16 दिसंबर की सुबह उनके ही सीएसपी सेंटर के निकट से उनकी लाश बरामद हुई। मृतक की विधवा द्वारा इस संबंध में तीन नामजद एवं अन्य अज्ञात के विरुद्ध प्राथमिकी संख्या 403/21 दर्ज कराई गई थी। लेकिन पुलिस के अनुसंधान में मामला कुछ और ही निकला।

वैज्ञानिक अनुसंधान से पुलिस को मिली यह सफलता

हत्या के बाद पैक्स अध्यक्ष की लूटी गई मोबाइल से किया गया मनी ट्रांसफर पुलिस के लिए वरदान साबित हुआ। उसी आधार पर ही पुलिस का अनुसंधान आगे बढ़ा। जानकारी के अनुसार मृतक के मोबाइल के विश्लेषण के बाद संदिग्ध मोबाइल नंबर का निकला सीडीआर के आधार पर अनुसंधान प्रारंभ किया गया। और मृतक के मोबाइल फोन पर यूपीआई के माध्यम से ट्रांसफर किए गए पे फोन के खाता धारक के माध्यम से अपराधी का आधार कार्ड बरामद कर लिया गया। पश्चात लगातार टावर लोकेशन प्राप्त करते हुए रोसड़ा पुलिस के हाथ पंजाब के लुधियाना तक जा पहुंची। 2 दिन पूर्व लुधियाना से रोसड़ा लाकर किए गए पूछताछ में उसने अपने अपराध को स्वीकारते हुए मृतक विजय महतो के यहां 3 लाख 80 हजार रुपये बकाया रहना बताया। और रुपया लेने के लोभ में ही उसकी हत्या करने की बात भी स्वीकारी।

टीम को पुरस्कृत करने की एसडीपीओ ने की अनुशंसा

एसडीपीओ शहरियार अख्तर ने बताया कि घटना के बाद पुलिस अधीक्षक द्वारा कांड के उछ्वेदन हेतु उनके नेतृत्व में छापामार दल का गठन किया गया था। जिसमें थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर सीताराम प्रसाद, सअनि हारून रशीद, सअनि महेश कुमार पासवान, राजीव रंजन कुमार एवं मो. मुस्तकीम के अलावा डीआईयू शाखा के अखिलेश कुमार एवं शिव शंकर उरांव को शामिल किया गया था। सभी के प्रयास से यह उछ्वेदन संभव हो सका है। मृतक के परिजन द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी में नामजद अभियुक्त बनाए जाने के कारण कुछ दिनों तक अनुसंधान प्रभावित अवश्य हुआ। लेकिन वैज्ञानिक अनुसंधान के सहारे सही अपराधी तक पुलिस पहुंची और यह सफलता हासिल हुई । टीम में शामिल सभी पुलिसकर्मियों को पुरस्कृत करने के लिए वरीय पदाधिकारी से अनुशंसा की जा रही है।


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