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पूर्वी चंपारण में सीप बटन उद्योग को फिर से मिली पहचान, खुले रोजगार के द्वार

उठ खड़ा हुआ मेहसी का सीप बटन उद्योग। दो क्लस्टर में शुरू हुआ उत्पादन छह करोड़ की लागत से लगीं मशीनें। तीन माह पूर्व शुरू दो क्लस्टरों में नियमित बिजली आपूर्ति नहीं होने के बावजूद प्रतिदिन 40 से 50 हजार बटन निर्माण हो रहा।

By Ajit kumarEdited By: Published: Mon, 04 Jan 2021 08:53 AM (IST)Updated: Mon, 04 Jan 2021 08:53 AM (IST)
पूर्वी चंपारण में सीप बटन उद्योग को फिर से मिली पहचान, खुले रोजगार के द्वार
बटन को अंतरराष्ट्रीय मानक पर बनाने के लिए अत्याधुनिक मशीनें लगाई गई हैं। फोटाे: जागरण

पूर्वी चंपारण, [सत्येंद्र कुमार झा]। जिले के मेहसी के सीप बटन उद्योग को दोबारा पहचान मिली है। यहां आधुनिक मशीनों के जरिये बटन का निर्माण हो रहा। स्थानीय सिकहरना नदी व बाहर से सीप की आपूर्ति होती है। यहां के उत्पाद को देश के अलावा विदेशों में भी भेजने की योजना है। 1916 में स्थापित इस उद्योग के जीवंत होने से क्षेत्र में रोजगार के द्वार खुल गए हैं। यहां मुख्यमंत्री सूक्ष्म एवं लघु उद्योग योजना अंतर्गत 10 क्लस्टर को संचालित किए जाने हैं, जिनमें दो शुरू हैं। तकरीबन छह करोड़ रुपये खर्च कर अत्याधुनिक मशीनें लगाई गई हैं। तीन माह पूर्व शुरू दो क्लस्टरों में नियमित बिजली आपूर्ति नहीं होने के बावजूद प्रतिदिन 40 से 50 हजार बटन निर्माण हो रहा। 

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प्रतिदिन हर क्लस्टर में छह लाख बटन निर्माण का लक्ष्य

यहां स्थापित एक क्लस्टर से प्रतिदिन छह लाख बटन का निर्माण होगा। सीप व्यवसायी गौरीशंकर जायसवाल, उमाशंकर जायसवाल व जिला उद्योग महाप्रबंधक मयंकेश्वर द्विवेदी ने बताया कि देश में प्रतिवर्ष सीप बटन का दो सौ करोड़ का टर्नओवर है। अकेले मेहसी की हिस्सेदारी 30 फीसद है। बटन को अंतरराष्ट्रीय मानक पर बनाने के लिए अत्याधुनिक मशीनें लगाई गई हैं। यहां का बटन हीट प्रूफ होगा और नायलॉन पर भारी पड़ेगा। उनका दावा है कि एक साथ सभी क्लस्टर काम करने लगें तो अकेले मेहसी की बदौलत भारत चीन, वियतनाम व इंडोनेशिया को भी मात दे देगा। पीपरा विधायक श्यामबाबू प्रसाद यादव का कहना है कि शेष क्लस्टर निर्माण के लिए मुख्यमंत्री से वार्ता की जाएगी।

1916 में हुई थी बटन उद्योग की स्थापना

मेहसी में बटन उद्योग की स्थापना राय साहब भुलावन लाल ने 1916 में की थी। उस वक्त जापान से मशीनें मंगाई गई थीं। बाद में यहीं मशीनें बनने लगीं। इससे 20 हजार परिवार प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े थे। यहां बने बटन की सप्लाई देश-विदेश में की जाती थी। आधुनिक बटन उद्योगों के चलते वर्ष 2000 के बाद यहां के उत्पाद की मांग घटती गई। वर्ष 2012 तक केवल 50 लोग कार्यरत थे। उसी वर्ष सेवा यात्रा के दौरान सीएम नीतीश कुमार मेहसी पहुुंचे तो क्लस्टर निर्माण का निर्देश दिया था। लंबी प्रतीक्षा के बाद मेहसी व बथना में दो क्लस्टर का निर्माण शुरू हुआ। भुलावन लाल के प्रपौत्र व व्यवसायी सर्वेश कुमार ने बताया कि बिजली की वजह से लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पा रहे। जेनरेटर से प्रोडक्शन काफी महंगा है। पूर्वी चंपारण के जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक ने कहा कि मेहसी में दो क्लस्टर शुरू हो गए हैं। विद्युतीकरण को लेकर प्रस्ताव भेजा गया है। तकनीकी समस्या जल्द दूर कर इस उद्योग को और मजबूत किया जाएगा। 


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