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Muzaffarpur News: लीची की फसल पर स्टिंग बग का प्रकोप, किसान इन बातों का रखें ख्याल

Muzaffarpur News शाही चायना व अन्य प्रजातियों पर दिख रहा प्रभाव। समय से पहले झडऩे लगते हैं फल। उत्तर बिहार में तकरीबन 34 हजार हेक्टेयर में लीची की उपज। स्टिंग बग के अटैक से कुछ क्षेत्रों में 80 प्रतिशत लीची की फसल प्रारंभिक अवस्था में हो गई बर्बाद।

By Murari KumarEdited By: Published: Tue, 23 Mar 2021 11:29 AM (IST)Updated: Tue, 23 Mar 2021 11:29 AM (IST)
Muzaffarpur News: लीची की फसल पर स्टिंग बग का प्रकोप, किसान इन बातों का रखें ख्याल
लीची की फसल पर स्टिंग बग का प्रकोप।

मुजफ्फरपुर [अमरेंद्र तिवारी]। मुजफ्फरपुर और पूर्वी चंपारण में लीची की फसल पर स्टिंग बग नामक कीट का प्रकोप देखा जा रहा है। इसका प्रभाव लीची की शाही, चायना व अन्य प्रजातियों पर है। इसपर नियंत्रण के लिए मुजफ्फरपुर स्थित राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र में व्यवस्था की जा रही है। 

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स्टिंग बग के प्रकोप से किसानों की चिंता बढ़ गई है। इसके अन्य क्षेत्रों में फैलने की आशंका जताई जा रही है। इसके प्रभाव से फल प्रभावित होता है। वे समय से पहले झडऩे लगते हैं। उत्तर बिहार में तकरीबन 34 हजार हेक्टेयर से अधिक रकबे में लीची की उपज होती है। उत्पादन आठ टन प्रति हेक्टेयर तक होता है। सिर्फ मुजफ्फरपुर में 12 हेक्टेयर में खेती होती है। इसमें करीब पांच हजार किसान जुड़े हैं। अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. एसडी पांडेय ने बताया कि पूसा स्थित कृषि विश्वविद्यालय के कीट विज्ञानियों के सहयोग से इस कीट का उन्मूलन किया जाएगा। जागरूकता अभियान चलाकर किसानों को छिड़काव के लिए प्रेरित किया जाएगा।

राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक डॉ. संजय कुमार सिंह ने बताया कि लीची पर स्टिंग बग के  अटैक से कुछ क्षेत्रों में करीब 80 प्रतिशत लीची की फसल प्रारंभिक अवस्था में ही बर्बाद हो गई।  

पूर्वी चंपारण के मिर्जापुर गांव के कुछ लीची बगीचों का भ्रमण एवं सर्वेक्षण केंद्र के वैज्ञानिक ने किया। वैज्ञानिकों ने पेड़ों को हिलाकर देखा तो कुछ कीट जमीन पर गिरते पाए गए। इन्हीं के प्रौढ़ कीट हजारों की संख्या में अंडा देते हैं जिसके बच्चे अगले वर्ष पूरे मंजर एवं फल को सफाचट कर देंगे। यह समस्या आगे नहीं हो इसके लिए किसानों को सुझाव दिए गए हैं। 

 वैज्ञानिकों ने किसानों को तत्काल लीची के पौधों को हिला कर स्टिंग बग को नीचे गिरा कर एवं गिरे हुए प्रौढ़ को इक_ा कर जमीन में दबा देने की सलाह दी है। जिन किसानों के बगीचे में पिछले वर्ष अत्यधिक प्रकोप था उन्हें बताया गया कि वे अभी तत्काल लैम्डा-सायलोथ्रिन (0.4 मी.ली.) थियाक्लोप्रिड (0.3 मि.ली.) स्टीकर 0.3 मि.ली.) को एक लीटर पानी में घोलकर पेड़ों पर छिड़काव करें। उपयुक्त दोनों रसायन एवं स्टीकर का ज्यादा घोल बनाने हेतु दवा की मात्रा प्रति लीटर के अनुसार ही गुणित करके पानी मिलाएं। 

किसान इन बातों का रखें ख्याल 

- मंजर के समय कोई दवा छिड़काव नहीं करना चाहिए।

- फल लगने के एक सप्ताह बाद ही किसी तरह की दवा का छिड़काव करना चाहिए। 

- जिन किसानों ने अपने लीची के बाग में मधु़मक्खी के बक्से नहीं रखे हैं वे तत्काल रख लें। प्रति हेक्टेयर कम से कम 10 बक्से रखने चाहिए। इससे मंजर से ज्यादा फल बनेंगे। 


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