Move to Jagran APP

Madhubani: झंझारपुर ट्रामा सेंटर पर एक माह में पहुंचे मात्र 75 मरीज, इलाज से जुड़े उपकरणों की व्यवस्था नहीं

Bihar News मधुबनी ज‍िले में उद्देश्य पूरा करने से पहले ही ट्रामा सेंटर के 25 फीसद कमरों में पड़ी दरार विभाग से केवल ओपीडी संचालन की मिली अनुमति सेंटर पर स्वास्थ्य उपकरणों का अभाव बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 06 Apr 2021 05:15 PM (IST)Updated: Tue, 06 Apr 2021 05:15 PM (IST)
Madhubani: झंझारपुर ट्रामा सेंटर पर एक माह में पहुंचे मात्र 75 मरीज, इलाज से जुड़े उपकरणों की व्यवस्था नहीं
ट्रामा सेंटर में जीएनएम के साथ मौजूद चिकित्सक। जागरण
मधुबनी (झंझारपुर), जासं। झंझारपुर एवं फुलपरास अनुमंडल ही नहीं, एनएच-57 से गुजरने वाले लोगों के जीवन की सुरक्षा के लिए झंझारपुर ट्रॉमा सेंटर जीवनदायिनी साबित हो सकता है। इसी उद्देश्य को लेकर अनुमंडल मुख्यालय से गुजर रहे एनएच-57 के किनारे ट्रॉमा सेंटर की स्थापना की गई थी। इस सेंटर का उद्देश्य था कि एनएच-57 से गुजरने वाले लोगों का दुर्घटना होने की स्थिति में तत्क्षण बेहतर इलाज की व्यवस्था कर उनके जीवन को बचाया जा सके। विडंबना यह है कि न तो इस ट्रॉमा सेंटर में अभी तक इलाज से जुड़े उपकरणों की व्यवस्था की गई है और न ही कोई विशेषज्ञ चिकित्सक यहां उपलब्ध हो सके। यहां तक कि इस सेंटर पर बुनियादी सुविधाओं का भी घोर अभाव है। न तो स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था है और न ही रोगियों के लिए बेड का इंतजाम। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस सेंटर पर एक चिकित्सक एवं आठ जीएनएम को प्रतिनियुक्त कर ओपीडी इलाज की व्यवस्था अवश्य कर दी गई है। ट्रॉमा सेंटर में भले ही इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं हो, लेकिन ओपीडी इलाज के नाम पर एक चिकित्सक एवं आठ जीएनएम की प्रतिनियुक्ति इस सेंटर को प्रत्येक दिन धूप आरती दिखाने का कार्य अवश्य कर रहे हैं। ट्रामा सेंटर का मूल उद्देश्य पूरा होने से पूर्व ही तकरीबन 25 फीसदी कमरों में दरारें पड़ चुकी है।
एक चिकित्सक व आठ जीएनएम के भरोसे ट्रामा सेंटर :
ट्रामा सेंटर में फिलहाल केवल एक चिकित्सक एवं आठ जीएनएम पदस्थापित हैं। मरीजों का इलाज करने के लिए डॉ. उमेश कुमार राय हैं। वहीं, स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए आठ जीनएम नीतू पटेल, अनिता कुमारी वन, अनिता कुमारी टू, शिवाणी प्रकाश, श्रवणा कुमारी, रानी कुमारी एवं आशा कुमारी प्रतिनियुक्त हैं। इसके अलावा एक गार्ड भी नियुक्त है।
 
उपकरण तो दूर, बुनियादी सुविधाएं भी नदारद :
यहां के चिकित्सक एवं जीएनएम ने बताया कि इलाज की व्यवस्था के नाम पर यहां उपकरण तो दूर की बात, बुनियादी सुविधा भी उपलब्ध नहीं है। शुद्ध पेयजल के नाम पर दो चापाकल है। कार्यालय चलाने के लिए भी कुर्सी और टेबुल का जुगाड़ भी अरडि़या उप स्वास्थ्य केंद्र से किया गया है। एक भी बेड नहीं है। दवा के नाम पर सर्दी, खांसी एवं बुखार के इलाज के लिए मात्र सात-आठ प्रकार की दवा उपलब्ध है। रोगियों की प्रत्येक दिन की संख्या के बारे में पूछे जाने पर बताया गया कि तीन मार्च से यहां ओपीडी इलाज चल रहा है। तीन मार्च से तीन अप्रैल तक इस सेंटर पर 75 रोगी पहुंचे हैं। एक बार आने के बाद वह रोगी इस सेंटर पर दुबारा आने की हिम्मत नहीं करता। इलाज एवं दवा की समुचित व्यवस्था नहीं रहने के कारण यहां आने वाले रोगियों के आक्रोश का सामना भी करना पड़ता है।
 
- सेंटर पर प्रतिनियुक्त आठ जीएनएम में से चार को कोरोना टीकाकरण में लगाया गया है। विभागीय आदेश के बाद ट्रॉमा पर मात्र ओपीडी इलाज प्रारंभ किया गया है।  -डॉ. मुकेश कुमार, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी
 

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.