शोध के केंद्र बिंदु में रहेगी बूढ़ी गंडक
एईएस से बचाव की तैयारियों की समीक्षा स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार शनिवार को रामदयालु स्थित एक होटल में की। उन्होंने कहा कि यह बीमारी गर्मी के साथ शुरू होती है और बरसात होते ही खत्म हो जाती है।
मुजफ्फरपुर। एईएस से बचाव की तैयारियों की समीक्षा स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार शनिवार को रामदयालु स्थित एक होटल में की। उन्होंने कहा कि यह बीमारी गर्मी के साथ शुरू होती है और बरसात होते ही खत्म हो जाती है। फिलहाल, मौसम के भरोसे रहने की जरूरत नहीं है। बच्चों को बचाने के लिए हर प्रयास होना चाहिए। बिना इलाज के पीएचसी या सीएचसी से रेफर करने की संस्कृति नहीं होनी चाहिए। सेवा की भावना से मरीज का इलाज होना चाहिए। जिनको सेवा के साथ इलाज नहीं करना है वे स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले सकते हैं। हर तरह के शोध, जांच व इलाज की सुविधा दी जाएगी। पिछली बार यह बात सामने आई है कि बूढ़ी गंडक के किनारे के अधिकतर प्रखंड बीमारी की चपेट में आए। इसलिए इस दिशा में शोध करने की जरूरत है। इस साल भी बीमारी के कारण पता नहीं चलने से लक्षण के आधार पर इलाज होगा।
पिछले साल पांच जून को दस्तक
प्रधान सचिव ने कहा कि पिछले साल 5 जून से बीमारी शुरू हुई थी। उन्होंने कहा कि प्रोटोकॉल के हिसाब से काम होना चाहिए। कागजी तैयारी नहीं होनी चाहिए। बूढ़ी गंडक के किनारे के ज्यादा बच्चे आए थे। इसलिए प्रभावित इलाके के एक-एक सदस्य को जानकारी देने की जरूरत है कि चमकी बुखार क्या है? पिछली बार यह देखने को मिला कि पीएचसी स्तर पर ताला लटका हुआ था। यह शिकायत नहीं मिलनी चाहिए। प्राथमिक उपचार सुनिश्चित किया जाए। जब रेफर की हालत बने तभी उसे बाहर भेजा जाए। बताया कि निजी स्तर पर चल रहे केजरीवाल अस्पताल में भी निशुल्क इलाज सुविधा होगी। सभी प्रभावित पीएचसी स्तर पर पांच एंबुलेंस व तीन एईएस किट दी जाएंगी। चेतावनी देते हुए कहा कि जिसको भी काम करने की इच्छा नहीं है वे वीआरएस लें। आइसीयू वार्ड में केवल बच्चे ही जाएं ये जिलाधिकारी व सीएस सुनिश्चित करेंगे।
36 चिकित्सकों को प्रशिक्षण
सर्वाधिक 11 जिले एईएस प्रभावित हैं। वहां के 36 चिकित्सकों को दिल्ली एम्स भेजकर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस साल बिहार में ही जांच के लिए लैब खोली जाएगी। जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि प्रारंभिक तैयारी चल रही है, जो बेहतर है। शीघ्र जागरूकता के लिए चिकित्सक व जनप्रतिनिधियों के साथ संवाद किया जाएगा। सिविल सर्जन डॉ.एसपी सिंह ने कहा कि जीरो डेथ का संकल्प लेकर तैयारी चल रही है।
समीक्षा में ये बातें आई सामने
- शोध में बीमारी के कारण की खोज में स्वास्थ्य विभाग के साथ यूनिसेफ, केयर, निम्हांस, आइसीएमआर, एम्स व बीबीसी मीडिया सहयोग करेगी।
- प्राथमिक केंद्र पर होगा इलाज उसके बाद ही किया जाएगा रेफर।
-60 तरह की दवाएं, 12 तरह के उपस्कर पीएचसी तक रखना अनिवार्य।
- गर्मी की धमक के साथ हर पीएचसी में होगा तैयारी का मॉक ड्रिल
-एक सप्ताह के अंदर सभी एंबुलेंस की जांच, दवाओं की उपलब्धता, प्रशिक्षण सुनिश्चित किया जाएगा।
-आरएमआरआइ अप्रैल तक कुपोषण प्रभावित बच्चों का देगा डाटा।
- कांटी, मुशहरी, मीनापुर, मोतीपुर व बोचहां में मिले थे सर्वाधिक मरीज, यहां पर रहेगी खास नजर।
- बीमार बच्चा जल्द से जल्द आए अस्पताल। ये किया जाए सुनिश्चित। ये आए सुझाव
- एसकेएमसीएच के अधीक्षक डॉ. सुनील शाही ने सुझाव दिया कि मरीज को जल्दी अस्पताल पहुंचाने के लिए हर गांव स्तर पर जनवितरण प्रणाली की दुकान पर दो थ्री व्हीलर रखे जाएं। इमरजेंसी में इनका उपयोग किया जा सके।
- केजरीवाल के प्रशासक बीपी गिरी ने कहा कि ज्ञात व अज्ञात के चक्कर में रिपोर्टिग प्रभावित हो रही है। मरीज की पर्ची पर कब एईएस लिखना है ये भी बताया जाए।
- रात में भूखे पेट बच्चे को सोने नहीं दें। उन्हें भरपेट खाना खिला कर ही सुलाएं।
- चमकी, बुखार के बाद बच्चा बेहोश हो तो किसी ओझा-गुणी के चक्कर में नहीं पड़े। उसे लेकर सीधे अस्पताल पहुंचे। अधिकतर दाल-भात व चोखा वाले
आरएमआरआइ पटना के निदेशक प्रदीप दास ने कहा कि इस बीमारी का लीची से कोई कनेक्शन नहीं मिला है। शोध में यह बात सामने आई है कि अधिकतर बीमार बच्चों के स्वजन ने बताया कि बच्चे ने रात में दाल-भात व चोखा खाकर सोया था। इसलिए खाली पेट सोए बच्चे की बीमारी बताना ठीक नहीं है। सुबह तीन से 11 बजे तक ज्यादातर बच्चे बीमार हुए थे।
इन विशेषज्ञों ने रखी राय
प्रधान सचिव के साथ कार्यपालक पदाधिकारी मनोज कुमार, राज्य महामारी नियंत्रण पदाधिकारी डॉ.रागनी मिश्रा, यूनिसेफ के डॉ.सैयद हुब्बे अली, अशादुर रहमान, राज्य प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ.एमपी शर्मा, कौशल किशोर, डॉ.नवीन सी. प्रसाद, खालिद अरशद, रविश किशोर, डॉ. एनके सिन्हा, आरएमआरआइ निदेशक डॉ.प्रदीप दास, एसकेएमसीएच के डॉ.गोपाल शंकर सहनी, डॉ.अखिलेश कुमार, डॉ.हेमंत साह, संजय कुमार ने बीमारी के कारण, रोकथाम, रिपोर्टिग, शोध व दवा आदि विषय पर अपनी-अपनी राय रखी।