AES : अधिकारियों ने एईएस की रोकथाम के लिए 196 पंचायतों को लिया गोद, जानें इसके फायदे Muzaffarpur News
AES घर-घर भ्रमण कर लोगों को जागरूक करेंगे प्रतिनियुक्त अधिकारी। 2019 में 196 पंचायतों में था एईएस का प्रभाव नियंत्रण को बनी रणनीति।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। एईएस (एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम) की रोकथाम के लिए इस बार स्वास्थ्य महकमा नई रणनीति पर काम कर रहा है। शहरी क्षेत्र समेत जिले के 16 प्रखंडों की 196 पंचायतों को 196 अधिकारियों ने गोद लिया है। संबंधित पंचायतों में गुरुवार को अधिकारी पहुंचेंगे और घर-घर भ्रमण कर लोगों को जागरूक करेंगे। जिले में 2019 में 385 पंचायतों में से 196 में एईएस का प्रभाव था। वहीं 431 बच्चे बीमार हुए। इसमें 111 की मौत हुई तथा इलाज के बाद 320 बच्चे ठीक होकर वापस घर लौट गए थे।
डीएम ने पानापुर हवेली को लिया गोद
जिलाधिकारी की अध्यक्षता में रविवार को हुई एईएस समन्वय समिति की बैठक में इस पर विमर्श किया गया था। बैठक में लिए गए निर्णय के आलोक में जिले एवं प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों को संबंधित पंचायतों को गोद लेने के लिए प्रतिनियुक्त किया गया। मंगलवार की इसकी सूची जारी की गई। डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने खुद कांटी प्रखंड की पानापुर हवेली पंचायत को गोद लिया है। जबकि अन्य 195 अधिकारियों को जिले के विभिन्न प्रखंडों की पंचायतों को गोद दिया गया है। सभी प्रखंडों के वरीय पदाधिकारी गोद लिए गए ग्रामों के अतिरिक्त पूरे प्रखंड क्षेत्र में एईएस, चमकी बुखार से संबंधित जागरूकता व संस्थागत चिकित्सीय सुविधाओं से संबंधित आवश्यक कार्यों की मॉनीटङ्क्षरग करेंगे।
प्रतिनियुक्त अधिकारी करेंगे ये कार्य :
- पंचायतों में प्रतिनियुक्त पदाधिकारी प्रचार-प्रसार एवं जन जागरूकता संबंधित कार्य जैसे पीएचसी, एपीएचसी, महादलित टोलों के प्राथमिक विद्यालयों, आंगनबाड़ी केंद्रों, महादलित टोला के सामुदायिक भवनों पर दीवार लेखन, हैंडबिल, पंपलेट वितरण कार्य की मॉनीटङ्क्षरग।
-नुक्कड़ नाटक व अन्य संसाधनों से प्रचार-प्रसार संबंधित गतिविधियों में गतिशीलता।
-स्वयं सहायता समूह के सदस्यों से मिलकर एईएस, चमकी बुखार के संबंध में जानकारी प्रदान करना।
-आंगनबाड़ी सेविका व आशा के पास ओआरएस की उपलब्धता की जानकारी लेना।
-पंचायत प्रतिनिधियों एवं अन्य कर्मियों के क्षमतावद्र्धन को सुनिश्चित करते हुए ससमय मार्गदर्शन देना।
-जिला व प्रखंड स्तरीय कंट्रोल रूम के दूरभाष संख्या और सरकारी-गैर सरकारी एंबुलेंस की सूची की प्रचार-प्रसार।
-जविप्र दुकानदारों से समन्वय स्थापित कर कम से कम दो निजी वाहनों का सूचीकरण कराना और आकस्मिक स्थिति में उन वाहनों से बच्चों को अस्पताल पहुंचाने में उपयोग करना।
-एईएस संदिग्ध बच्चों की सूचना ससमय वरीय पदाधिकारी व कंट्रोल रूम को देकर चिकित्सा सुविधा दिलवाने में आवश्यक सहयोग करवाना।
नियंत्रण के लिए बनी समिति
जिला स्तर पर डीएम की अध्यक्षता में 29 सदस्यीय एईएस समन्वय समिति गठित हुई है। सिविल सर्जन संयोजक हैं। इसमें जिला परिषद अध्यक्ष, मेयर, विभिन्न विभागों के अधिकारी और विशेषज्ञ चिकित्सक शामिल किए गए हैं।
सिविल सर्जन डॉ.एसपी सिंह ने कहा कि एईएस से बचाव की तैयारी पूरी कर ली गई है। जागरूकता अभियान चल रहा है। सदर अस्पताल, एसकेएमसीएच व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर इलाज व दवा की व्यवस्था की गई है। आमलोगों से अपील है कि बच्चे को खाली पेट नहीं सोने दें। बीमार हो तो सीधे सरकारी अस्पताल में लेकर आएं।