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शिवहर में कुपोषित बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा पोषण एवं पुर्नवास केंद्र

Sheohar News सदर अस्पताल स्थित पोषण एवं पुर्नवास केंद्र बच्चों को न केवल नवजीवन प्रदान कर रहा है बल्कि कुपोषण के खिलाफ जारी जंग में बड़ा हथियार साबित हो रहा है। 80 से अधिक बच्चों को मिला जीवनदान।

By Murari KumarEdited By: Published: Fri, 02 Apr 2021 02:47 PM (IST)Updated: Fri, 02 Apr 2021 02:47 PM (IST)
शिवहर में कुपोषित बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा पोषण एवं पुर्नवास केंद्र
शिवहर: सदर अस्पताल स्थित पोषण और पुनर्वास केंद्र में भर्ती बच्चे।

शिवहर, जागरण संवाददाता। सदर अस्पताल स्थित पोषण एवं पुर्नवास केंद्र बच्चों को न केवल नवजीवन प्रदान कर रहा है, बल्कि कुपोषण के खिलाफ जारी जंग में बड़ा हथियार साबित हो रहा है। सदर अस्पताल में संचालित पोषण एवं पुर्नवास केंद्र में बच्चों को पौष्टिक भोजन के जरिए कुपोषण से बचाया जा रहा है। वहीं अक्षर ज्ञान के जरिए मानसिक विकास भी कराया जा रहा है। पिछले एक साल में पोषण और पुर्नवास केंद्र में 80 से अधिक बच्चों को नवजीवन मिला है। यहां कुपोषित बच्चों को उनकी मां के साथ 21 दिनों तक रखा जाता है। यहां बच्चों को भोजन के अलावा मिक्स डाइट की दवा दी जाती है। एनआरसी में भर्ती बच्चों को आहार में खिचड़ी, दलिया, सेव, चुकंदर व अंडा दिया जाता है। कुल 20 बेड वाले पोषण एवं पुर्नवास केंद्र में एक साथ 20 बच्चों को भर्ती कर इलाज किया जाता है।

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 सदर अस्पताल में संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र कुपोषित बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है। अति-कुपोषित बच्चों की बेहतर देखभाल के लिए पोषण पुनर्वास (एनआरसी) केंद्र का संचालन किया जा रहा है। सदर अस्पताल परिसर स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र द्वारा बच्चों का उपचार एवं पौष्टिक आहार देने के साथ उन्हें अक्षर ज्ञान का भी बोध कराकर स्वास्थ्य एवं शिक्षा की अनूठी मिसाल पेश की जा रही है। बच्चों को विभिन्न माध्यमों से अक्षर ज्ञान की जानकारी दी जाती है। खेल-खेल में ही उन्हें पढ़ाया भी जा रहा है। वर्तमान में यहां नौ बच्चे भर्ती हैं। महिला बाल विकास विभाग एवं स्वास्थ्य विभाग की पहल से कुपोषित बच्चों को केन्द्र में भर्ती कराया जा रहा है। जहां नर्सिंग स्टाफ द्वारा बच्चों की नियमित देखभाल की जा रही है।

 इस केंद्र पर कुपोषित बच्चों एवं उनकी माताओं को आवासीय सुविधा प्रदान किया जाता है। जहां उसके पौष्टिक आहार की व्यवस्था है। यहां कुपोषित बच्चों व उनकी माताओं को 21 दिन तक रखने का प्रावधान है। मार्गदर्शिका के अनुसार जब बच्चे के वजन में बढ़ोतरी होना आरंभ होने लगता है तो उसे 21 दिन के पूर्व ही छोड़ दिया जाता है।

 डाइट प्लान तैयार की जाती है। अवधि में बच्चों को  मिक्स डाइट की दवा दी जाती है। एनआरसी में भर्ती बच्चों को आहार में खिचड़ी, दलिया, सेव, चुकंदर, अंडा दिया जाता है। एनआरसी केंद्र में  कुल 20 बेड लगे हुए है। इस वार्ड में एक साथ 20 बच्चों को भर्ती कर उनको सही उपचार के साथ पौष्टिक आहार भी निशुल्क उपलब्ध कराया जाता है।

 सिविल सर्जन डॉ. आरपी सिंह ने बताया पोषण पुनर्वास केंद्र में 0 से लेकर 5 वर्ष तक के कुपोषित बच्चों को ही भर्ती किया जाता है। कुपोषित बच्चों के पहचान के लिए तीन स्तर पर उनकी जांच की जाती है। तीनों जांच के बाद ही बच्चे को कुपोषण की श्रेणी में रखा जाता है। सर्वप्रथम बच्चे का हाइट के अनुसार वजन देखा जाता है। दूसरे स्तर पर एमयूएसी जांच में बच्चे के बाजू का माप 11.5 से कम होना तथा बच्चे का इडिमा से ग्रसित होना शामिल है। तीनों स्तर पर जांच के दौरान बच्चे कुपोषित की श्रेणी में रखकर उसे भर्ती कर एक महीने तक उपचार के साथ पौष्टिक आहार दिया जाता है।

भर्ती बच्चों के माता को प्रतिदिन  प्रोत्साहन राशि दी जाती है। भर्ती होने वाले बच्चे शून्य से पांच वर्ष तक के होते हैं। इसके लिए बच्चों की देखभाल के लिए मां को भी साथ रहना पड़ता है। नर्सिंग स्टाफ संगीता कुमारी और पूजा झा ने बताया आगंनबाड़ी की सेविका व आशा कार्यकर्ताओं द्वारा  कुपोषित बच्चों की पहचान की जाती है और बच्चों को बेहतर उपचार के लिए एनआरसी लाती हैं। इसके लिए आशा एवं सेविकाओं को 250 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है ताकि वह गांव गांव में घूमकर कुपोषित बच्चों की पहचान कर उन्हें एनआरसी में भर्ती करवा सकें।

बदली आत्यायनी की जिंदगी

आत्यायनी अपने नन्हें पैरों के सहारे खड़े होकर चलने-फिरने की नाकाम कोशिश एक दिन में कई बार करने लगी है। चेहरे पर बीच-बीच में दिखाई-देने वाली मुस्कुराहट यह बताने के लिए काफी है कि अब वह पहले से काफी अच्छी हो गई है। उसे कोई शारीरिक कमजोरी नहीं है। आत्यायनी की मुस्कान के साथ ही उसकी मां अंचला कुमारी की खुशी भी झलक रही है। आखिर मां को खुशी क्यूं न हो। सदर अस्पताल में संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र  में आकर कुपोषण का शिकार अपनी लाडली की सेहत जो बना ली।

 यहां कुछ दिन के इलाज, पोषण आहार के खान-पान, नियमित चिकित्सकीय जांच से आत्यायनी स्वस्थ हो रही है। वर्ना कुछ महीने पहले की ही बात थी। आत्यायनी का कम वजन, कम लंबाई, मायूस चेहरा, बार-बार रोना और शारीरिक कमजोरियां माता-पिता को परेशान किए हुए था। अब मां अंचला कुमारी  को पूरा भरोसा है कि उसकी लाडली जल्द स्वस्थ हो जाएगी और हंसते मुस्कराते घर चली जाएगी। वहीं कुछ दिन पहले ही एक साल की कृति भी यहां से ठीक होकर घर चली गई। पोषण पुनर्वास केंद्र के माध्यम से आत्यायनी जैसे दर्जनों बच्चों के जीवन में सेहत की बहार आयी है। कई बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लौट आई है।


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