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बिहार विश्वविद्यालय में नए सत्र में पीएचडी के लिए विभागों से मांगी गई रिक्त सीटों की संख्या

बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में अगले सत्र में पीएचडी के लिए तैयारी शुरू हो गई है। इसके लिए सभी पीजी विभागों से रिक्त सीटों की संख्या मांगी गई है। डीएसडब्ल्यू डॉ. अभय कुमार सिंह ने बताया कि कई विभागों की ओर से सीट की संख्या उपलब्ध करा दिया गया है।

By Murari KumarEdited By: Published: Fri, 11 Dec 2020 10:24 AM (IST)Updated: Fri, 11 Dec 2020 10:24 AM (IST)
बिहार विश्वविद्यालय में नए सत्र में पीएचडी के लिए विभागों से मांगी गई रिक्त सीटों की संख्या
बीआरए बिहार विश्वविद्यालय की फाइल फोटो (जागरण आर्काइव)

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में अगले सत्र में पीएचडी के लिए तैयारी शुरू हो गई है। इसके लिए सभी पीजी विभागों से रिक्त सीटों की संख्या मांगी गई है। डीएसडब्ल्यू डॉ. अभय कुमार सिंह ने बताया कि कई विभागों की ओर से सीट की संख्या उपलब्ध करा दिया गया है। जबकि अन्य को भी 15 दिसंबर तक हर हाल में उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है। बताया कि प्री पीएचडी टेस्ट इसी महीने आयोजित की जा सकती है। कोर्सवर्क का संचालन ऑनलाइन होगा या ऑफलाइन अभी इसपर विचार नहीं किया गया है। डीएसडब्ल्यू ने कहा कि यदि विवि को खोलने की अनुमति मिलती है तो इसे क्लासरूम में संचालित किया जा सकता है। बता दें कि पिछले सत्र में 25 फीसद सीटों को छोड़कर प्री पीएचडी टेस्ट आयोजित कराया गया था। 

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कोर्सवर्क का हो रहा ऑनलाइन संचालन 

 पिछले सत्र में हुए प्री पीएचडी टेस्ट के बाद उसका कोर्स वर्क ऑनलाइन संचालित किया जा रहा है। हालांकि, कई विभागों में महज कोरम पूरा करने की बात सामने आ रही है। शोधार्थियों का कहना है कि क्लास नहीं कराया गया सिर्फ पीडीएफ फर्मेट में नोट्स उपलब्ध करा दिया गया है। आगे की पूरी प्रक्रिया कोर्सवर्क पर ही निर्धारित होती है। क्योंकि, इसमें विभागीय शिक्षकों के अलावा बाहर से भी विषय के विशेषज्ञों को बुलाकर व्याख्यान दिया जाता है। कई विभागों में इसकी ऑनलाइन व्यवस्था की गई है। 

सभी शोधार्थी नहीं हो रहे शामिल

 वर्तमान सत्र में संचालित पीएचडी कोर्सवर्क में सभी शोधार्थी नहीं जुड़ पा रहे हैं। इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ.अजीत कुमार ने बताया कि आऑनलाइन कोर्सवर्क संचालित करने का प्रस्ताव दिया गया था। इससे सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के शोधार्थी नहीं जुड़ पा रहे हैं। विशेषज्ञों को भी इंटरनेट कनेक्टिविटी में कभी कभी परेशानी हो जा रही है।


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