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ऑनलाइन एडमिशन में फंसा अब संबद्ध कॉलेजों का पेच, विवि में अब तक नहीं पहुंचा रिकार्ड

बीआरए बिहार विवि में अभी तक नहीं पहुंचा संबद्ध कॉलेजों का रिकार्ड। अधिकृत रूप से कुल कितने कॉलेजों में किन विषयों की पढ़ाई का पता नहीं।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 20 Apr 2019 09:24 AM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2019 09:24 AM (IST)
ऑनलाइन एडमिशन में फंसा अब संबद्ध कॉलेजों का पेच, विवि में अब तक नहीं पहुंचा रिकार्ड

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बीआरए बिहार विवि ने शायद ऑनलाइन एडमिशन शुरू कराने का निर्णय शुभ मुहूर्त में नहीं लिया था। इसलिए यूएमआइएस शुरू कराने में पेच दर पेच फंस रहा है। ताजा मामला संबद्ध कॉलेजों द्वारा एक माह पूर्व मांगे जाने वाले रिकार्ड से संबंधित है, जो अभी तक विवि को नहीं मिला है। बीआरए बिहार विवि द्वारा पीजी फस्र्ट सेमेस्टर एवं स्नातक प्रथम वर्ष में एडमिशन यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट इंफॉरमेशन सिस्टम (यूएमआइएस) के तहत होना है।

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 बीआरए बिहार विवि में 39 अनुदानित एवं संबद्ध 17 महाविद्यालयों में सर्वप्रथम इस सत्र से पीजी फस्र्ट सेमेस्टर में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन व एडमिशन होगा। यह सत्र 2018-20 है, जो एक साल विलंब से चल रहा है। इसके साथ पिछले सत्र में जिन छात्रों का पीजी फस्र्ट सेमेस्टर में एडमिशन हुआ है लेकिन, रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ था। उन सभी का इस बार ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन का काम पहले पूरा कर लिया जाएगा।

फॉर्म की कीमत सौ रुपये

एक पेच यह है कि एडमिशन फॉर्म पिछले साल शिक्षा विभाग द्वारा 300 रुपये में बिक्री की अनुमति दी थी। इस राशि में सौ रुपये सरकार ने अपने खजाने में और बाकी 200 कॉलेजों के बैंक खाते में जाते थे। इस बार राजभवन ने 100 रुपये फॉर्म की कीमत रखने का निर्देश दिया है। जबकि कॉलेजों की मांग है कि एडमिशन फॉर्म बिक्री का कुछ हिस्सा उनको भी मिले।

 सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कॉलेजों में साइंस, कला और कॉमर्स में विषय वार सरकार से कितनी सीटों की अनुमति है। विवि के पास भी रिकार्ड उपलब्ध नहीं है। विवि द्वारा कॉलेजों से कई बार स्मार देकर जानकारी मांगी है। यहां तक विवि यह भी नहीं जानता कि सरकार से कितने संबद्ध महाविद्यालयों को किन किन विषयों की पढ़ाई की स्वीकृति दी है।

इस संबंध में मुजफ्फरपुर बीआरए बिहार विवि विकास पदाधिकारी डॉ. आशुतोष सिंह ने कहा कि ऑनलाइन वेबसाइट लांच होने में तकनीकी समस्या है। संबंधित विभागों से सहयोग का अनुरोध किया गया है। उम्मीद है कि जल्दी ही सारे महत्वपूर्ण दस्तावेज उपलब्ध हो जाएंगे।

 मुजफ्फरपुर  बीआरए बिहार विवि के सिंडिकेट सदस्य डॉ. हरेंद्र कुमार ने बताया कि 'राजभवन एवं यूजीसी का चाहे कितना दबाव ऑनलाइन एडमिशन को लेकर हो। बीआरए बिहार विवि में निहित स्वार्थ में डूबे शिक्षक, पदाधिकारी से लेकर कर्मी तक इसमें तमाम बाधा पैदा करेंगे। देखना है कि इन बाधाओं को युवा पदाधिकारी कितना दूर कर पाते हैं। Ó


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