Move to Jagran APP

अब एक ही पौधे से लिजिए दो से आठ तरह के आम का स्वाद, मोतिहारी के एनामुल की नर्सरी देश भर में मशहूर

East Champaran News जिले में एनार्ची व विनीयर विधि से पौधा तैयार करते हैं एनामुल दस एकड़ में बनाई फलदार पौधों की नर्सरी। पौधों की विभिन्न प्रकार की वेरायटी देख व जानकर अन्य जिलों से भी खरीदारी को पहुंचते व्यापारी व आम लोग।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 15 May 2022 11:54 AM (IST)Updated: Sun, 15 May 2022 11:54 AM (IST)
अब एक ही पौधे से लिजिए दो से आठ तरह के आम का स्वाद, मोतिहारी के एनामुल की नर्सरी देश भर में मशहूर
बिहार सरकार की सूची में एकमात्र स्टार ग्रेड एनामुल की नर्सरी है। फोटो-जागरण

मोतिहारी/पूचं, {शशि भूषण कुमार}। फलों का राजा आम अपनी विभिन्न प्रकार की वेरायटियों के लिए भी प्रसिद्ध है। आम की इतनी वेरायटी है कि अपनी छोटी बागवानी में सभी प्रकार की वेरायटी के पौधे लगा पाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में तुरकौलिया प्रखंड के रघुनाथपुर स्थित एनामुल हक ने इसे अब आसान बना दिया है। उनकी नर्सरी में आम के पौधों की ऐसी शृंखला है, जहां एक पौधे पर दो से आठ किस्म के आम फलते हैं। इन पौधों को देखने के लिए लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं। कई लोगों ने यहां से पौधे ले जाकर अपनी बागवानी में लगाया भी है। उन्होंने एनार्ची व विनीयर विधि से इन पौधों को तैयार कराया है, जिसमें करीब दो वर्ष का समय लगा है। अब इन पौधों की उम्र पांच साल हो गई है। बताया जाता है कि किसी एक पौधे में दशहरी, चौंसा, शुकुल, बमई, जर्दा, मलदह, किसुनभोग व रामकेला तो दूसरे पौधे पर जर्दा, मलदह, किसुनभोग, चौंसा, बमई, रामकेला व केरवा, वहीं तीसरे पर जर्दा, मलदह व किसुनभोग आदि वेरायटी के फल एक साथ मिलेंगे। नर्सरी में कई नई प्रजातियों पर भी काम चल रहा है।

prime article banner

क्या है एनार्ची व विनीयर विधि

एनामुल ने बताया कि वे एक पौधे पर दो से आठ प्रकार के आम का पौधा एनार्ची व विनीयर विधि से तैयार करते है। एनार्ची में दो पौधा को चीर कर सटा दिया जाता है। जब पौधा पूरी तरह सट जाता है तो माथे वाले सीड को काट दिया जाता है। वहीं विनियर विधि में पौधा गुठली से तैयार किया जाता है। मदर प्लांट में गुठली डाल कर पौधा तैयार किया जाता है, इसके लिए नाजुक स्टीक का इस्तेमाल किया जाता है। एनामुल बताते हैं कि यह उनका पुश्तैनी काम है। पिता व दादा भी पौधों का ही व्यवसाय करते थे। पौधा तैयार करने की विधि सीखने के लिए देश के कई प्रदेशों की नर्सरी का भ्रमण किया। आज उनकी नर्सरी में स्वयं द्वारा तैयार किये गए फलदार पौधों की पूरी श्रृंखला मौजूद है। यह फलदार पौधा टेक्नीशियन की मदद से स्वयं तैयार किया जाता है। एनामुल बताते है कि उनकी नर्सरी नेशनल हर्टिकल्चर बोर्ड दिल्ली व जिला कृषि कार्यालय से अनुबंधित है। दिल्ली से लेकर जिले के अधिकारियों द्वारा दर्जनों बार उनकी नर्सरी का निरीक्षण किया जा चुका है। बिहार सरकार की सूची में यह नर्सरी सूबे की एकमात्र स्टार ग्रेड नर्सरी हैं।

दो कट्ठा से दस एकड़ में फैली नर्सरी

एनामुल ने वर्ष 1993 में दो का जमीन किराए पर लेकर पौधों का कारोबार शुरू किया। पौधों की मांग बढ़ी तो जगह कम पडऩे लगी। इस बीच 1995 में चार का जमीन किराए पर लेकर कारोबार को छह कट्ठा में विस्तारित कर स्वयं से फलदार पौधा तैयार करना शुरू किया। इस बीच जमीन की कमी ने उनके प्रयासों पर ब्रेक लगाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। तुरकौलिया प्रखंड के रघुनाथपुर पंचायत निवासी बच्चा पांडेय ने नर्सरी के लिए उन्हें स्वेच्छा से भूमि दी। अब पौधों का कारोबार दस एकड़ में फैल गया है। यहां लोगों को रोजगार भी मिलने लगा है। अबतक उनकी पौधशाला से लगभग 58 लोगों ने एक साथ विभिन्न वेरायटी वाले आम के पौधों की खरीदारी की है। वे प्रति पौधा पांच सौ की दर से ग्राहकों से लेते है। बताया कि सर्वाधिक बिक्री एक पेड़ पर दो, तीन व चार वेरायटी के आम के पौधों की होती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.