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पूर्वी चंपारण में अब सालभर पशुओं को मिलेगा हरा चारा, कृषि विज्ञान केंद्र ने उपलब्ध कराया नेपियर व गुनिया घास

कृषि विज्ञान केंद्र पिपराकोठी ने सैकड़ों किसानों को हाइब्रिड नेपियर जई गिन्नी घास व गुनिया किसानों को उपलब्ध कराया था। नेपियर व गुनिया घास पूरे साल हरा रहती है। यह पौष्टिकता से भरपूर होती है। इससे अब सालभर पशुओं को मिलेगा हरा चारा मिल सकेगा।

By Murari KumarEdited By: Published: Fri, 04 Dec 2020 09:36 AM (IST)Updated: Fri, 04 Dec 2020 09:36 AM (IST)
पूर्वी चंपारण में अब सालभर पशुओं को मिलेगा हरा चारा, कृषि विज्ञान केंद्र ने उपलब्ध कराया नेपियर व गुनिया घास
मोतिहारी। पिपराकोठी स्थित कृषि विज्ञान केंद्र का मुख्य द्वार

पूर्वी चम्पारण, जेएनएन। जिले में हरे चारे की समस्‍या दूर करने में कृषि विज्ञान केंद्र, पिपराकोठी को सफलता मिल रही है। उसने सैकड़ों किसानों को हाइब्रिड नेपियर, जई, गिन्नी घास व गुनिया किसानों को उपलब्ध कराया था। नेपियर व गुनिया घास पूरे साल हरा रहती है। यह पौष्टिकता से भरपूर होती है। करीब आधा बीघा भूमि में इन पौधों की जड़ें लगाने के बाद चार-पांच पशुओं को पूरे वर्ष हरा चारा मिल सकता है। खेत में रोपाई के बाद करीब डेढ़-दो माह में हरा चारा उपलब्ध हो जाता है। प्रत्येक 20 दिन बाद इनकी कटिंग की जा सकती है।

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 यह घास करीब पांच साल तक चारे का उत्पादन देती है। तेजी से इसकी जड़ें फैलती हैं। यदि किसान चाहे तो इन जड़ों को दूसरे किसानों को बेचकर आय बढ़ा सकता है। जिले में रबी की फसल में हरा चारा पशुओं को नहीं मिलता। इस कारण यह उनके लिए बेहतर विकल्‍प है। सैकड़ों किसानों ने 45 एकड़ में इस चारे को लगाया भी है। इससे चम्पारण हरे चारे का हब बनने की दिशा में बढ़ रहा है। केविके ऐसी घास की जड़े विकसित कर किसानों को उपलब्ध कराया हैं जो कि कभी सूखेगी नहीं।

 केविके प्रमुख डा. अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि हाइब्रिड नेपियर, जई, गिन्नी, ग्रास, गुनिया किसानों को उलब्ध कराया गया है। जिसमें नेपियर व गुनिया सालों भर हरा रहता है।वहीं पौष्टिकता से भरपूर होता है। करीब आधा बीघा भूमि में इन पौधों की जड़ें लगाने के बाद चार-पांच पशुओं को पूरे वर्ष हरा चारा खिला सकते हैं। बताया कि नेपियर व गुनिया नामक घास की खेतों में रोपाई के बाद करीब डेढ़-दो माह में हरा चारा उपलब्ध कराना शुरू कर देती हैं। प्रत्येक 20 दिन बाद इनकी कटिंग की जा सकती है। जो दुधारू पशुओं को चारे के रूप में काम आती हैं।

 उन्होंने बताया कि नेपियर व गुनिया घास का स्वाद मीठा होने के कारण पशु इसे रुचि से खाते हैं। इस घास में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, अन्य खनिज व लवण पर्याप्त मात्रा में होने के कारण दूध बढ़ाने में सहायक होते हैं। यह घास करीब पांच साल तक चारे का उत्पादन देती है और तेजी से इसकी जड़ें फैलती हैं। यदि किसान चाहे तो इन जड़ों को दूसरे किसानों को बेचकर अपनी आय बढ़ा सकता है। जिले में रबी की फसल में हरा-चारा पशुओं को नहीं मिलता था, लेकिन इस घास से पशुपालकों को पूरे साल हरा चारा मिल सकेगा।


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