गांव ही नहीं शहर भी एईएस की चपेट में, मुजफ्फरपुर में मिला दूसरा केस
मार्च में सरैयागंज में मिला था पहला मरीज इस वर्ष के पहले तक शहर में नहीं मिला था एईएस का मामला। शहरी इलाके में मरीज मिलने के बाद वहा भी सजगता बढ़ा दी गई है। यहां के विभिन्न वार्ड मेें भी चलाया जाएगा जागरूकता अभियान।
मुजफ्फरपुर, जासं। ग्रामीण क्षेत्र के साथ इस वर्ष शहरी क्षेत्र के बच्चे भी एक्यूट इंसेफ्लाइटिस ङ्क्षसड्रोम (एईएस) की चपेट में आ गए हैं। सोमवार को एसकेएमसीएच के पीआइसीयू वार्ड में भर्ती एक बच्ची में एईएस की पुष्टि हुई। शहरी इलाके में इस साल एईएस का दूसरा केस मिला है। मार्च में सरैयागंज में एईएस का पहला केस मिला था। इस वर्ष के पहले तक शहर में एईएस का मामला सामने नहीं आया था। नया मरीज मिलने के बाद विभाग अलर्ट हो गया है।
शिशु रोग विभागाध्यक्ष डा. गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि शहरी क्षेत्र के मोतीझील निवासी पंकज पटेल के तीन साल की बच्ची सुहानी कुमारी में एईएस की पुष्टि हुई हैं। वहीं चमकी बुखार से पीडि़त दो बच्चे भर्ती हुए हैं। जिला वेक्टरजनित रोग पदाधिकारी डा. सतीश कुमार का कहना है कि गर्मी के मौसम में ग्रामीण इलाके में मरीजों के मिलने का ट्रेंड रहा है। वहीं शहरी इलाके में मरीज मिलने के बाद वहा भी सजगता बढ़ा दी गई है। अब शहर के विभिन्न वार्ड मेें भी जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। बता दें कि एसकेएमसीएच में इलाज के दौरान इस साल अबतक दो बच्चों की मौत हो चुकी है। वहीं इलाज के बाद 33 बच्चे स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं, जबकि एक अभी इलाजरत है। एसकेएमसीएच के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डा. गोपालशंकर सहनी ने बताया कि जब तापमान 38 से 40 डिग्री सेल्सियस व आद्र्रता 70--80 प्रतिशत तक होती है तो बच्चों के एईएस की जद में आने का खतरा होता है।
इस साल एईएस की स्थिति :
प्रखंड-----मरीज ---मौत
औराई---1------शून्य
बंदरा-----2----शून्य
बोचहां----1----शून्य
गायघाट---1---शून्य
कांटी----1----शून्य
कुढऩी----3---शून्य
मीनापुर---3---शून्य
मोतीपुर --2---शून्य
मुशहरी----2----शून्य
पारू----2-----शून्य
साहेबगंज---1----शून्य
सकरा----3---शून्य
शहरी---2----शून्य
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दूसरे जिलों के मरीज :
जिला-----मरीज-- मौत
सीतामढ़ी-------4-- 1
वैशाली-------2-- 1
पूर्वी चंपारण---4--शून्य
पश्चिम चंपारण----1--शून्य
अररिया-------1--शून्य
एईएस पीडि़त कुपोषित बच्चों का सर्वे कर रहा यूनिसेफ
मुजफ्फरपुर : यूनिसेफ एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एईएस ) पीडि़त कुपोषित बच्चों का सर्वे कर रहा है। पहचान होने पर इन्हें सदर अस्पताल के पोषण पुनर्वास केंद्र लाया जाएगा। यूनिसेफ के जिला नोडल अधिकारी राजेश कुमार ने कहा कि जिला स्तर पर पांच सदस्यीय टीम कुपोषित बच्चों की खोज आशा के माध्यम से करेगी। अभी सर्वे चल रहा है। इसके साथ ही उन बच्चों की भी काउंसिङ्क्षलग की जाएगी जो एईएस से स्वस्थ हुए हैं। काउंसिङ्क्षलग के दौरान अगर बच्चे में मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ होने में किसी प्रकार का बदलाव दिखेगा तो उन्हें पटना स्थित आइजीआइएमएस व एम्स रेफर किया जाएगा।
टीम सरकार को भेजेगी रिपोर्ट
एईएस प्रभावित गांवों में बच्चों के कुपोषण पर भी टीम शोध कर रिपोर्ट सरकार को सौंपेंगी। यूनिसेफ की टीम एईएस से पीडि़त होकर स्वस्थ होने वाले बच्चों पर केस स्टडी कर रही हैं। फिलहाल, एईएस से पीडि़त अगर कोई बच्चा कुपोषित है तो उसे पोषण पुनर्वास केंद्र भेजा जाएगा। यूनिसेफ की टीम एईएस पीडि़त परिवारों का भी सर्वे कर रही है। टीम देख रही है कि जिन बच्चों को एईएस हुआ, उनके परिवार की आर्थिक स्थिति कैसी है। एईएस पीडि़त के एसकेएसमीएच में भर्ती होने से लेकर उसके डिस्चार्ज होने तक पर नजर रख रही हैं।