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मिठनसराय टेनी बांध पर नहीं हुआ बाढ़ निरोधक काम, 30 हजार की आबादी पर मंडरा रहा खतरा

मानसून की दस्तक के साथ ही मिठनसराय के लोगों के चेहरे पर भय का माहौल दिखने लगा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 11 Jun 2021 03:11 AM (IST)Updated: Fri, 11 Jun 2021 03:11 AM (IST)
मिठनसराय टेनी बांध पर नहीं हुआ बाढ़ निरोधक काम, 30 हजार की आबादी पर मंडरा रहा खतरा
मिठनसराय टेनी बांध पर नहीं हुआ बाढ़ निरोधक काम, 30 हजार की आबादी पर मंडरा रहा खतरा

मुजफ्फरपुर : मानसून की दस्तक के साथ ही मिठनसराय के लोगों के चेहरे पर भय का माहौल दिखने लगा है। दिखे क्यों नहीं। केवल दो से ढाई सौ फीट बांध की मरम्मत नहीं होने से यहां हर साल बाढ़ आती तथा तबाही मचाकर चली जाती है। बाढ़ की बात पूछने पर ग्रामीण दिलीप राम के चेहरे पर भय का माहौल दिखने लगता है। वे बताते हैं कि बूढ़ी गंडक में जब पानी बढ़ता है तो टेनी बांध के जरिए सीधे पानी गांव में प्रवेश कर जाता है। अभी तक बांध मरम्मत की दिशा में कोई काम नहीं हुआ है। एक टोकरी मिटटी भी विभाग की ओर से नहीं डाली गई है। लक्ष्मण सहनी समेत अन्य लोगों ने कहा कि विषहर स्थान के पास अगर इस बार मरम्मत नहीं हो पाई तो गांव के साथ रेलवे लाइन व फोरलेन पर भी खतरा रहेगा।

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ग्रामीण कर रहे पहल, झांकने तक नहीं आते अधिकारी

कोल्लुआ पैगंबरपुर मिठनसराय, माधोपुर विकास समिति के संयोजक अधिवक्ता अरुण पांडेय ने बताया कि गांव को बचाने के लिए पिछले साल सदादपुर के मुखिया अनिल चौबे की देखरेख में महापंचायत का आयोजन कर विषहर स्थान के पास टेनी बांध की मिनी धारा को श्रमदान से ग्रामीणों ने बांधने की कोशिश की। सांसद वीणा देवी, पूर्व जिला पार्षद नीरा देवी ने यहां आकर निरीक्षण की तथा उनकी बात को प्रशासन तक पहुंचाई। इस साल जदयू अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के उत्तर बिहार प्रदेश अध्यक्ष मो.जमाल के सहयोग से जलसंसाधन मंत्री संजय झा से मिलकर बांध मरम्मत का मांग पत्र दिया गया है। कांटी के नवनिर्वाचित विधायक ईसराइल मंसूरी को भी ग्रामीणों ने बाढ़ की भयावहता से अवगत कराया है। पांडेय ने कहा कि गुरूवार को जलसंसाधन विभाग के अभियंता ई.सुनील कुमार आए थे। देखकर गए।

हर साल जान-माल का नुकसान

बूढ़ी गंडक नदी के किनारे बसी लस्करीपुर, सदातपुर, पैगंबरपुर कोल्हुआ पंचायतों की करीब बीस हजार की आबादी बाढ़ से हर साल प्रभावित होती है। जान-माल का नुकसान होता है। बरसात के समय अगर कोई गांव में बीमार हो गया तो उसका इलाज के लिए गांव से निकलना मुश्किल हो जाता है। छत पर, बांध पर या फिर फोरलेन पर जान जोखिम में डालकर रहना पड़ता है। ग्रामीणों ने बताया कि बाढ़ के समय करीब 25 से 30 हजार लोग राष्ट्रीय राजमार्ग या छत व इधर-उधर पर रहने को विवश हैं। इस दौरान बड़ी सड़क दुर्घटना भी होती है।


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