बागमती के जलस्तर में कमी से नहीं मिली राहत
कटरा में बागमती के जलस्तर में बुधवार को आंशिक कमी आई लेकिन समस्याएं यथावत रहीं।
मुजफ्फरपुर : कटरा में बागमती के जलस्तर में बुधवार को आंशिक कमी आई, लेकिन समस्याएं यथावत रहीं। आवागमन से लेकर दैनिक दिनचर्या प्रभावित रही। बाढ़ पीड़ितों के सामने पेयजल से लेकर भोजन सामग्री की किल्लत बनी हुई है। मवेशियों के रखरखाव व चारे का प्रबंध करना मुश्किल हो रहा है। बाढ़ पीडितों के लिए प्रशासनिक स्तर पर प्रबंधन शून्य है। कटरा प्रखंड का बड़ा हिस्सा जून माह में ही बाढ़ की चपेट में आ गया। सब्जी, मूंग व मक्के की फसल बाढ़ में बह गई। इस बार बरसात भी समय से पहले शुरू हो गया जो लगातार फसलों को नुकसान करता रहा। अतिवृष्टि के कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। फसलें तो बाढ़ में बह गईं, वहीं धान का बिचड़ा तैयार नहीं हो सका जिससे प्रखंड में धान की रोपनी नहीं हो सकी। किसानों के सामने भविष्य की चिंता पहाड़ बनकर खड़ी हो गई। कटरा प्रखंड में बाढ़ और वर्षा की मार झेल रहे किसानों ने खेती ही नहीं की जिससे लगभग 50 हजार एकड़ भूमि खेती से वंचित रह गई। मुश्किल से 10 फीसद किसानों ने ऊंचे खेतों में धान लगाए। किसान रामवृक्ष सिंह ने बताया कि जब धान बिचड़ा बुआई का समय था तो मूसलधार बारिश हो रही थी। इस कारण बिचड़ा तैयार नहीं हुआ। खेती नहीं होने के कारण किसानों की कमर टूट गई है। तेहवारा के किसान धीरेंद्र सिंह का कहना है कि प्रखंड का बड़ा भूभाग अभी भी जलप्लावित है, जहां खरीप फसल होने की कोई उम्मीद नहीं है। किसान बेमौत ही मर रहे हैं। अबतक कोई सरकारी राहत नहीं मिली है। सुनील मिश्र ने बताया कि इस साल बाढ़ और वर्षा ने एक साथ किसानों पर वार किया। खेती करने का मौका ही नहीं दिया जिससे किसानों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। सरकार को चाहिए कि पूरे प्रखंड क्षेत्र को अकालग्रस्त घोषित करते हुए मुआवजा दे। किसानश्री परमानंद प्रसाद सिंह ने बताया कि कटरा प्रखंड की खेती जुए के खेल जैसी हो गई है। कभी ओले की मार तो कभी बाढ़ की मार से किसान परेशान है। केसीसी जैसी किसान हितैषी योजना में मुआवजा बंद कर सरकार ने किसानों की कमर तोड़ दी।
वर्जन : बाढ़ प्रभावित किसानों का आकलन किया जा रहा है। बाढ़ से हुई क्षति की भरपाई सरकार नियम के अनुसार करेगी। इसके लिए किसानों से आवेदन मांगा गया है।
विजय कुमार, प्रखंड कृषि अधिकारी।