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मच्छरों से मुक्ति दिलाने को निगम के पास नहीं है कोई एक्शन प्लान

शहर में मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। इससे शहरवासियों का जीना मुहाल है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 Dec 2021 01:47 AM (IST)Updated: Tue, 07 Dec 2021 01:47 AM (IST)
मच्छरों से मुक्ति दिलाने को निगम के पास नहीं है कोई एक्शन प्लान
मच्छरों से मुक्ति दिलाने को निगम के पास नहीं है कोई एक्शन प्लान

मुजफ्फरपुर : शहर में मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। इससे शहरवासियों का जीना मुहाल है। दिन हो या रात, मच्छर पांच लाख शहरवासियों का खून पी रहे हैं। उनसे मुक्ति दिलाने का जिम्मा नगर निगम पर है, लेकिन वह मच्छरों को मारने की जगह महज खानापूरी कर रहा है। निगम के पास कोई भी एक्शन प्लान नहीं है।

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मच्छर उन्मूलन अभियान के लिए खरीदी गईं पांच फागिंग मशीनें सिर्फ लोगों को खुश करने के लिए हैं। मच्छरों के नियंत्रण में वे पूरी तरह से विफल हैं। नालियों में दवा के छिड़काव को खरीदी गई स्प्रे मशीनें भी अंचलों की शोभा बढ़ा रही हैं। पांच फागिंग मशीनों के सहारे 49 वार्डो में दो-चार माह पर अभियान चलाया जाता है। निगम सशक्त स्थायी समिति एवं बोर्ड की बैठकों में भी इसे लेकर कभी चर्चा नहीं हुई।

मच्छरों के दंश से बीमार हो रहे शहरवासी

पहले रात में मच्छरों का दंश झेलना पड़ता था, लेकिन अब दिन में भी चैन नहीं है। वे न सिर्फ शहरवासियों की नींद उड़ा रहे, बल्कि मलेरिया, कालाजार, डेंगू ,जापानी इंसेफेलाइटिस जैसे संक्रामक रोगों का शिकार भी बना रहे हैं। डा. दीपक कुमार के अनुसार यदि मच्छरों पर नियंत्रण नहीं किया गया तो लोगों को बीमार होने से नहीं बचाया जा सकता।

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किसी काम की नहीं निगम की पांच फागिंग मशीनें

मच्छरों पर नियंत्रण के लिए निगम ने अप्रैल, 2016 में 30 लाख रुपये खर्च कर पांच आधुनिक मशीनों की खरीद की थी। स्टाक में इंट्री के बाद उनमें दो लौटा दी गईं। मशीनों को ढोने के लिए तीन ई-रिक्शा भी खरीदे गए। एक साल तक मशीनें बहलखाना की शोभा बढ़ाने के काम आईं। जब सड़क पर उतारी गईं तो वह मच्छरों के मारने में कारगर साबित नहीं हुईं और कबाड़ बनकर रह गईं। बाद में पांच मिनी मशीनें खरीदी गईं। इनकी मदद से यदा-कदा अभियान चलाया जाता है, लेकिन ये भी कारगर साबित नहीं हो रही हैं।

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इलाज व वैकल्पिक उपायों पर कट रही जनता की जेब

मच्छरों के काटने से शहरवासी मलेरिया, डेंगू जैसी संक्रामक बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। कई जान तक गंवा रहे हैं। बीमार होने पर इलाज के लिए लोगों को बड़ी राशि खर्च करनी पड़ती है। मच्छरों से बचने की वैकल्पिक व्यवस्था अर्थात साधनों पर भी जेब ढीली करनी पड़ती है। इससे निगम प्रशासन का कोई लेना-देना नहीं है। उसे तो बस जनता से टैक्स वसूली तक मतलब है। जनता बीमार हो या जान जाए, उसे कोई मतलब नहीं।

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मच्छरों ने शहरवासियों का जीना मुहाल कर दिया है। निगम को इसकी परवाह नहीं है। निगम को राजनीति एवं पैसे की लूट से समय मिले तभी उसे जनता की पीड़ा दिखाई पड़ेगी।

अलका वर्मा, छोटी कल्याणी मच्छर मारने के नाम पर निगम मशीनों की खरीद कर सिर्फ पैसे की बर्बादी करता है। बगैर उपयोग मशीनों को कबाड़ बना दिया जाता। इस समस्या को लेकर निगम कभी गंभीर नहीं हुआ।

संजय कुमार सिंह, बीबीगंज मच्छर उन्मूलन को लेकर निगम प्रशासन कभी गंभीर नहीं रहा। जब भी मांग की जाती है एक या दो दिन फागिंग कराकर मुक्ति पा ली जाती है। ऐसे में मच्छरों से निजात नहीं मिलने वाली।

अजय ओझा, वार्ड-27 निगम के पास मच्छरों से निजात दिलाने की कोई कारगर योजना नहीं है। निगम को चाहिए कि इस पर गंभीरता से काम हो। निगम से नहीं हो रहा तो किसी निजी एजेंसी को यह जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए।

संतोष महाराज, वार्ड-25

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कोट्स

रोटेशन में शहर के सभी वार्डो में फागिंग कराई जा रही है। नालियों में एंटी लार्वा दवा का छिड़काव किया जा रहा है। नालों की सफाई भी नियमित की जा रही है। मच्छरों से निजात को अन्य उपाय किए जाने चाहिए।

ओम प्रकाश, नगर प्रबंधक

मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। फागिंग कराई जा रही, लेकिन कारगर साबित नहीं हो रही। अब तक किया गया प्रयास नाकाफी रहा है। इस पर आगे सक्रियता से काम किया जाएगा।

- राकेश कुमार, महापौर -----------------------


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