कार्रवाई नहीं होने से शराब धंधेबाजों का बढ़ा मनोबल
समस्तीपुर पश्चिम चंपारण और मुजफ्फरपुर में पिछले एक साल में जहरीली शराब से 50 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
मुजफ्फरपुर : समस्तीपुर, पश्चिम चंपारण और मुजफ्फरपुर में पिछले एक साल में जहरीली शराब से 50 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। एक दर्जन से अधिक लोगों की आखों की रोशनी चली गई। पुलिस की जाच का हाल यह है कि कई मामलों में अभी तक वह यह नहीं पता लगा सकी कि जहरीली शराब आई कहा से? अगर वह स्थानीय स्तर पर बनाई गई थी तो इससे जुड़े मुख्य धंधेबाज कौन हैं? घटना के बाद कुछ लोगों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस मामले को दबाकर बैठ गई। यह स्थिति कमोबेश सभी जिलों में है। भले ही वहा कोई घटना नहीं हुई हो, लेकिन शराब का धंधा जोरों पर है।
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समस्तीपुर में अब तक नहीं आई रिपोर्ट : पश्चिम चंपारण के लौरिया में बीते वर्ष जुलाई में जहरीली शराब से 11 लोगों की मौत हुई थी। मुख्य सरगना समेत 18 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार तो किया, पर धंधेबाजों पर सख्ती नहीं रख पाई। इसका नतीजा हुआ कि नौतन में नवंबर में एक बार फिर जहरीली शराब से 16 लोगों की मौत हो गई। इसमें पांच लोगों की गिरफ्तारी के बाद मामला रफा-दफा हो गया।
मुजफ्फरपुर में भी यही स्थिति है। पिछले साल कटरा, मनियारी, सरैया और काटी में जहरीली शराब से 20 लोगों की मौत हो गई थी। कुछ की गिरफ्तारी कर पुलिस ने हाथ झाड़ लिया। समस्तीपुर के पटोरी में भी तीन माह पहले जहरीली शराब पीने से पाच लोगों की मौत हुई थी। तीन लोगों का पोस्टमार्टम कराया गया था। आज तक विसरा रिपोर्ट नहीं आई। तत्कालीन थानाध्यक्ष को निलंबित कर कार्रवाई की खानापूरी कर ली गई।
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इक्का-दुक्का लोगों को पकड़ लेना बड़ी उपलब्धि नहीं : पश्चिम चंपारण के पुलिस अधीक्षक उपेंद्रनाथ वर्मा कहते हैं कि शराब धंधेबाजों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है। पिछले एक-डेढ़ माह में 15 घरों को सील किया गया है। एंटी लिकर टास्क फोर्स भी प्रतिदिन कार्रवाई कर रही है। जेल से छूटने के बाद दोबारा शराब के धंधे में शामिल होनेवाले करीब डेढ़ सौ लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। नौतन और लौरिया में जहरीली शराब काड में शामिल मुख्य आरोपितों को गिरफ्तार किया जा चुका है। एक-दो आरोपित पकड़ में नहीं आ सके हैं, जिनकी गिरफ्तारी का प्रयास किया जा रहा है। इधर, मुजफ्फरपुर के मनियारी के समाजसेवी कुंदन शर्मा का कहना है कि शराब मामले में बड़ी कार्रवाई नहीं होने से धंधेबाजों का मनोबल बढ़ा है। उत्तर बिहार में जितनी भी घटनाएं हुईं, वह पुलिस के लिए सबक हैं। लोगों की मौत के बाद इक्का-दुक्का लोगों को पकड़ लेना पुलिस की बड़ी उपलब्धि नहीं है। सवाल तो यह है कि शराबबंदी के बावजूद जिलों में तस्करी कैसे हो रही है?
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