World Alzheimers Day: पीडि़त को कभी भी अकेले न छोड़ें, लक्षण दिखने पर तत्काल जांच कराएं
World Alzheimers Day 70 साल की उम्र के हर तीसरे व्यक्ति को है भूलने की बीमारी। एक अध्ययन के अनुसार देश में 37 लाख से अधिक लोग अल्जाइमर से ग्रस्त हैं। इस रोग को रोकना तो संभव नहीं।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। World Alzheimers Day: अल्जाइमर एक दिमागी बीमारी है, जिसमें धीरे-धीरे याददाश्त और सोचने की शक्ति कम होती जाती है। विशेषज्ञों के मुताबिक गाड़ी की चाबी रखकर भूल जाना, दुकान पर हेलमेट छोड़ देना, कहीं बाहर घूमने जाएं तो सामान भूल जाना या फिर नाम भूल जाना, रास्ते याद ना होना, कभी बार-बार चीजें याद करने पर भी दिमाग से निकल जाना, जैसी परेशानियां अल्जाइमर के कारण होती हैं। 70 साल की उम्र के हर तीसरे व्यक्ति को भूलने की बीमारी है। एक अध्ययन के अनुसार देश में 37 लाख से अधिक लोग अल्जाइमर से ग्रस्त हैं।
अल्जाइमर से पीडि़त लोगों के प्रति एकजुटता व्यक्त करने के लिए पूरी दुनिया में 21 सितंबर को Óविश्व अल्जाइमर दिवसÓ मनाया जाता है। जागरूकता अभियान चलाया जाता है।
इस तरह से करें पहचान
- याददाश्त का जाना
- कोई भी परेशानी सुलझा ना पाना
- जो काम आते हैं उन्हें भी पूरा ना कर पाना
- वक्त भूलना और जगह के नाम भी याद ना रहना
- आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कम होना
- सही शब्द लिखने में दिक्कत आना
- निर्णय लेने में दिक्कत आना
- चीजें रखकर भूल जाना
- लोगों से कम मिलना और काम को आगे टालना
- बार-बार मूड में बदलाव
-डिप्रेशन, कंफ्यूज रहना, थकान और मन में डर रहना
तीन स्टेज में होती बीमारी
- पहले चरण में रोगी अपने दोस्तों और अन्य व्यक्तियों को पहचान सकता है। लेकिन उसे लगता है कि वह कुछ चीजें भूल रहा है।
- दूसरे चरण में उसकी भूलने की प्रक्रिया और अन्य लक्षण धीरे-धीरे उभरने लगते हैं।
- तीसरे चरण में व्यक्ति अपनी गतिविधियों को नियंत्रित करने की क्षमता खो देता है और अपने दर्द के बारे में भी नहीं बता पाता।
बोले चिकित्सक
मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ.गौरव कुमार कहते हैं कि अगर समय पर पहचान हो जाए तो भूलने की गति को कम किया जा सकता है। इस रोग को रोकना तो संभव नहीं, लेकिन कुछ सामान्य उपाय करके रोगी की परेशानी को कम जरूर किया जा सकता है। अल्जाइमर के लक्षण दिखने पर व्यक्ति की तत्काल जांच कराएं। पीडि़त को अकेला न छोड़ें। रोगी के परिचित उसके संपर्क में रहें ताकि उनके चेहरे वे भूल ना पाएं। व्यायाम, पौष्टिक आहार, हाई ब्लडप्रेशर व डायबिटीज पर नियंत्रण और मरीज को नई भाषा सीखने, मेंटल गेम्स या म्यूजिक में व्यस्त रखना चाहिए।
एसकेएमसीएच में रहते भूले-भटके लोग
भूले भटके लोगों को रखने के लिए एसकेएमसीएच प्रशासन की ओर से व्यवस्था है। पुलिस या कोई भी व्यक्ति किसी को लाकर भर्ती करा गया तो उसका इलाज किया जाता है और देखभाल होती है। एसकेएमसीएच के अधीक्षक डॉ.सुनील शाही ने बताया कि उनके यहां अभी आधा दर्जन ऐसे मरीज हैं जो कुछ बता नहीं सकते। उनको समय पर खिलाने, साफ-सफाई रखने, दवा देने की व्यवस्था है। वह खुद उनसे बातचीत करने की कोशिश करते रहते हैं। जिले में कोई इस तरह की संस्था नहीं है, इसलिए सबको वह रखे हुए हैं। कोशिश रहती है कि उनकी पहचान हो। पीडि़त मानवता की सेवा से बड़ी कोई सेवा नहीं, इस भाव से उनकी मदद की जा रही है।