मुजफ्फरपुर में स्वास्थ्य विभाग की बहाली के दौरान भाई-भतीजावाद का बोलबाला
डीएम प्रणव कुमार के आदेश पर इसकी जांच शुरू को गई है। कोरोना काल में जिले में की गई थी 780 कर्मियों की बहाली। शुरुआती जांच में गड़बड़ी के पुख्ता साक्ष्य हाली में भाई-भतीजावाद का बोलबाला तो रहा ही प्रक्रिया का भी पालन नहीं किया गया।
मुजफ्फरपुर, जासं। कोरोना काल में जिले का स्वास्थ्य विभाग का कार्यकलाप लगातार विवाद में रहा। एंटीजन किट की कालाबाजारी की जांच अभी पूरी ही हुई कि विभाग में बहाली में गड़बड़ी का मामला सामने आ गया। डीएम प्रणव कुमार के आदेश पर इसकी जांच शुरू को गई है। शुरुआती जांच में गड़बड़ी भी सामने आई है। बहाली में भाई-भतीजावाद का बोलबाला तो रहा ही प्रक्रिया का भी पालन नहीं किया गया।
मालूम हो कि कांटी थाना क्षेत्र के मनोज कुमार ने डीएम को आवेदन देकर शिकायत की थी कि कोविड काल में सरकार के आदेश पर जिले में की गई बहाली में बड़ी गड़बड़ी की गई। सदर अस्पताल में कार्यरत एक लिपिक के कई स्वजनों की इसमें बहाली की बात कही गई। यह भी कहा गया कि जिनकी बहाली की गई उनकी शिक्षा का स्तर बहुत निम्न है। इसमें सदर अस्पताल के एक और पूर्व कर्मी के पुत्रों के बहाल होने की बात कही गई है जिन्हें रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया था। वहीं हजारों की संख्या में आए योग्य अभ्यर्थियों के आवेदन ऐसे ही रह गए। इस शिकायत और विभिन्न स्रोतों से मिली जानकारी के बाद डीएम ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
तीन माह के लिए बहाली
कोविड काल में मानवबल बढ़ाने की खातिर कर्मचारियों की तीन माह की अवधि के लिए बहाली की गई है। शिकायत में कहा गया है कि एक कर्मचारी के विवाह भवन में बहाली तय की गई। इसके लिए सैकड़ों लोगों से 25-25 हजार रुपये लिए गए। इसके अलावा कई कर्मचारियों ने अपने स्वजनों को इसमें बहाल कर दिया। इसके लिए योग्यता के पैमाने को दरकिनार कर दिया गया।
दो टीम कर रही जांच
इस मामले में डीएम ने पहले अपर समाहर्ता राजेश कुमार के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच टीम बनाई। बड़ी संख्या में कर्मचारियों की बहाली को देखते हुए दूसरी टीम का भी गठन किया। डीडीसी डॉ. सुनील कुमार झा के नेतृत्व में भी तीन सदस्यीय टीम मामले की जांच कर रही है। शुरुआती जांच में यह बात सामने आई कि बहाली में प्रक्रिया का पालन ही नहीं किया गया। टीम दो से तीन दिनों में डीएम को जांच रिपोर्ट सौंप सकती है।