राष्ट्रीय बालिका दिवस 2022 : बिना कोचिंग लिए टीना ने क्लियर किया बीपीएससी, इस तरह बनाई अपनी राह
National Girl Child Day 2022 असफलता से नहीं मानी हार बीपीएससी में सफल हो टीना ने पाया मुकाम। बचपन में मां को खोने के बाद पिता व भाई ने किया प्रोत्साहित। उनसे कई लड़़कियों को आगे बढने का हौसला मिला है।
मुजफ्फरपुर, जासं। National Girl Child Day 2022,BPSC Success Story: मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती...। जब इरादे मजबूत हों तो विपरीत परिस्थितियों से भी लड़कर आगे बढ़ मुकाम को पाया जा सकता है। शहर के सादपुरा के रंजन कुमार शर्मा की पुत्री टीना शर्मा ने बीपीएससी में सफलता हासिल कर इसे सही साबित किया है। यह सफलता उनके लिए जितना महत्वपूर्ण है उससे कहीं अधिक उन हजारों लड़कियों के लिए प्रेरणास्पद है जाे साधनों की कमी के कारण आगे नहीं बढ़ पा रही हैं।
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घर से ही साक्षात्कार की भी तैयारी
बचपन में ही मां का साथ छोड़ देने के बाद टीना पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। उस समय से पिता और बड़े भाई विवेक रोहन शर्मा ने काफी प्रोत्साहित किया। टीना शुरू से ही सिविल सेवा में आना चाहती थीं। 2016 में स्नातक की पढ़ाई पूरी के बाद घर से ही यूपीएससी की तैयारी शुरू की। 2017 में बीपीएससी की परीक्षा में शामिल हुईं। कुछ पारिवारिक कारणों से तैयारी पूरी नहीं हो सकी थी। इस कारण टीना कामयाब नहीं हो सकीं। असफलता के कारणों को चिह्नित कर टीना ने उन्हें अपना मजबूत पक्ष बनाया। बिना किसी कोचिंग का सहारा लिए ही 2018 की बीपीएससी परीक्षा में शामिल हुईं। इस परीक्षा में कामयाबी मिली। घर से ही साक्षात्कार की भी तैयारी की। पिछले वर्ष जब परिणाम आया तो टीना का नाम सूची में था। वे कहती हैं कि जब इरादे मजबूत हों तो सफलता मिलती ही है।
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बेटियों के प्रति सकारात्मक हुआ है समाज
समाजशास्त्री डा.रंजना सिन्हा बताती हैं कि बेटियों के प्रति समाज का नजरिया बदला है। अब लोग बेटी के जन्म पर भी जश्न मनाते हैं। यह समाज के लिए सबसे सुखद पहलू है। सरकार की ओर से साइकिल, पोशाक, छात्रवृत्ति और निशुल्क शिक्षा देकर छात्राओं को मुख्यधारा में लाने का प्रयास रंग ला रहा है। अब जरूरत है कि ग्रामीण क्षेत्र में छात्राओं को अन्य सफल बालिकाओं की कहानियां, अभियान चलाकर उनके भीतर आसमां को छूने की उम्मीदें पैदा करने की। लैंगिक अनुपात में बेटियों की संख्या में वृद्धि भी समाज के लिए सकारात्मक है।
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इस बारे में रश्मि रूपम ने कहा कि 21वीं सदी में कहने के लिए तो लड़का और लड़की एक समान हैं पर समाज की मानसिकता आज भी लड़कियों के प्रति द्वेषपूर्ण है। बालिकाएं हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा दिखा रही हैं। पढ़ाई, खेल, राजनीति हो या घर और उद्योग। दूसरी ओर सामाजिक कुप्रथा घरेलू हिंसा, बाल विवाह, दहेज प्रथा के कारण लड़कियों को उचित सम्मान नहीं मिल पा रहा है।
सोनाली कुमारी ने कहा कि बेटियां आज प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़कर समाज का मान बढ़ा रही हैं। बेटियों के प्रति समाज का नजरिया बदल रहा है। प्रत्येक माता-पिता चाह रहे कि उनकी बेटी को भी शिक्षा व वे समस्त अधिकार मिलें जो बेटों को मिल रहा। सरकार की योजनाएं भी बालिकाओं को सबल बनाने में अहम भूमिका निभा रही हैं।
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राष्ट्रीय बालिका दिवस की सभी प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। बेटियों से संस्कृति एवं सभ्यताएं परिष्कृत होती हैं। बेटियों के सम्मान, शिक्षा, सुरक्षा व सशक्तिकरण हेतु हम सदैव प्रतिबद्ध हैं। - Yogi Adityanath (@myogiadityanath) 24 Jan 2022
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