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मुजफ्फरपुर में कहीं पानी को तरस रहे लोग, कहीं हो रही बर्बादी, आपके शहर का क्या हाल है?

शहर में नगर निगम द्वारा लगाए गए हैं एक हजार से अधिक पोस्ट अधिकतर में नहीं लगी है टोटी। शहरवासियों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर सड़कों व गलियों में हजारों लीटर पीने का पानी बेकार में बह रहा है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 05 May 2021 07:39 AM (IST)Updated: Wed, 05 May 2021 07:39 AM (IST)
मुजफ्फरपुर में कहीं पानी को तरस रहे लोग, कहीं हो रही बर्बादी, आपके शहर का क्या हाल है?
शहरवासी बिना टोटी वाले नलों से पानी को बहते देखते रहते हैं। फाइल फोटाे

मुजफ्फरपुर, जासं। नगर निगम की उदासीनता व आम लोगों की लापरवाही से शहर में हजारों गैलन पानी हर दिन बर्बाद हो रहा है। शहर में निगम ने एक हजार से अधिक स्टैंड पोस्ट लगाए हैं, लेकिन अधिकतर में टोटी नहीं होने से पीने का पानी सड़कों पर बहता रहता है। जरूरत इस बात की है कि बिना टोटी के नलों से बर्बाद हो रहे पीने के पानी को बचाकर लोगों के घरों तक पहुंचाया जाए। मंगलवार को दैनिक जागरण के सहेज लो हर बूंद अभियान के तहत लोगों से बातचीत की गई तो ये बातें सामने आर्इं। 

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शास्त्री नगर निवासी रवि शंकर ने कहा कि एक तरफ शहरवासियों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर सड़कों व गलियों में हजारों लीटर पीने का पानी बेकार में बह रहा है। इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं। निगम तो निगम, शहरवासी बिना टोटी वाले नलों से पानी को बहते देखते रहते हैं। स्थानीय स्तर पर वे नल में एक टोटी लगवा सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करते। इसका खामियाजा उन्हें आने वाले समय में भुगतना पड़ सकता है। समाजसेवी पंकज कुमार ने कहा कि जल की बर्बादी को रोकने की जिम्मेदारी सिर्फ नगर निगम की नहीं हम सबकी भी है। कई जगह लीकेज से पीने का पानी सड़क या नाले में बहता रहता है। इसे रोकने की जवाबदेही नगर निगम की है, लेकिन वह इसे ठीक करने में कई दिन लगा देता है तब तक सैकड़ों गैलन पानी सड़कों पर बह जाता है। निगम को लीकेज की मरम्मत में तत्परता दिखानी चाहिए।

निर्माण एजेंसी की लापरवाही से बर्बाद होता पानी

सेवानिवृत्त जल कार्य अभियंता उदय शंकर प्रसाद सिंह ने कहा कि शहर में सड़क व नाला का निर्माण करने वाली एजेंसियां काम करने के दौरान जलापूर्ति पाइपलाइन को क्षतिग्रस्त कर देती हैैं। इससे हजारों गैलन पानी बेकार में बह जाता है। पाइपलाइन क्षतिग्रस्त करने के बाद उसे ऐसे ही छोड़ दिया जाता है। कई दिनों के बाद निगम इसकी मरम्मत कराता है। तब तक हजारों गैलन पानी बर्बाद हो जाता है। उन्होंने कहा कि नगर निगम इस संबंध में कड़ा नियम बनाकर एजेंसियों को ऐसा करने से रोक सकता है। पाइप क्षतिग्रस्त करने वाली एजेंसी तत्काल उसकी मरम्मत कराएं तभी पानी की बर्बादी रुक सकती है।  


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