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मुजफ्फरपुर को यदि जलसंकट से चाहिए निजात तो बचाना होगा पारंपरिक जल स्रोत

नदियों को प्रदूषित होने से रोकना होगा। पोखर-तालाब एवं जलाशयों को समाप्त नहीं होने देना होगा। वर्षा जल को संचित करने के कृत्रिम उपायों पर यथा रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम एवं सोख्ता निर्माण पर बल देना होगा। हमेशा बहते हुए टोटियों को भी बंद करना होगा।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 20 May 2021 12:18 PM (IST)Updated: Thu, 20 May 2021 12:18 PM (IST)
मुजफ्फरपुर को यदि जलसंकट से चाहिए निजात तो बचाना होगा पारंपरिक जल स्रोत
जल संरक्षण के लिए मिलकर शहरवासी चलाएं अभियान, शासन-प्रशासन मदद को आए आगे।

मुजफ्फरपुर, जासं। शहर के साथ-साथ आस पास के इलाके में साल-दर-साल भू-जल का स्तर गिरता जा रहा है। इससे धीरे-धीरे जलसंकट गहराता जा रहा है। अभी समस्या विकराल नहीं हुई है। यदि समय रहते हम चेत जाएं तो आने वाले संकट से बच सकते हैं। इसके लिए हमें पारंपरिक जलस्रोतों को बचाना होगा। नदियों को प्रदूषित होने से रोकना होगा। पोखर-तालाब एवं जलाशयों को समाप्त नहीं होने देना होगा। वर्षा जल को संचित करने के कृत्रिम उपायों पर यथा रेन वाटर हार्वेङ्क्षस्टग सिस्टम एवं सोख्ता निर्माण पर बल देना होगा। ये बातें बुधवार को दैनिक जागरण के सहेज लो हर बूंद अभियान पर चर्चा के दौरान प्रबुद्ध लोगों ने कहीं।

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समाजसेवी प्रभात कुमार ने कहा कि आने वाले समय में जलसंकट की समस्या गंभीर न हो इसके लिए प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री दोनों गंभीर हैं। प्रधानमंत्री ने पानी बचाने के लिए जल आंदोलन चलाने को कहा है तो मुख्यमंत्री ने जल-जीवन-हरियाली कार्यक्रम की शुरुआत की है। पानी की कम से कम बर्बादी करनी होगी। संध्या कुमारी ने कहा कि युवा वर्ग को पानी बचाने की मुहिम अपने कंधे पर लेनी होगी। अभियान चलाकर पारंपरिक जलस्रोतों का संरक्षण करना होगा। पानी की बर्बादी करने वालों को रोकना होगा। पूर्व उपमहापौर मो.निसारुद्दीन ने कहा कि शहर को जलसंकट से बचाना है तो सिकंदरपुर मन को बचाना होगा। मन पर अतिक्रमण करने वालों पर कार्रवाई करनी होगी। उसमें इतनी क्षमता है कि वह शहर के आधे भाग में भू-जल के स्तर को गिरने से रोक सकता है। इसलिए शासन-प्रशासन को चाहिए कि इसे संरक्षित घोषित कर अतिक्रमण करने वालों पर कार्रवाई करे। प्रो.रेणु कुमारी ने कहा कि जलसंकट को लेकर लोग सिर्फ जागरूक हो जाएं तो आगे समस्या नहीं रहेगी। अभी परेशानी यह है कि सब कुछ जानते हुए लोग अनजान बने हैं। पानी बर्बाद कर रहे हंै।  जल संरक्षण करना हर किसी का दायित्व है। यह सम्मिलित प्रयास से ही संभव है। 


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