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Muzaffarpur: शिक्षा और समाज के लिए इस मठ की पहल अनुकरणीय

मुजफ्फरपुर के सकरा स्थित जगदीशपुर बघनगरी मठ दान कर चुका है करोड़ों की जमीन। महंत के प्रयास से हो रही केंद्रीय विद्यालय और बाल आश्रय की स्थापना। सरकार की जल-जीवन-हरियाली योजना से पहले ही महंत ने जल संरक्षण को लेकर कार्य कराए हैं।

By Ajit kumarEdited By: Published: Wed, 17 Feb 2021 10:33 AM (IST)Updated: Wed, 17 Feb 2021 10:33 AM (IST)
Muzaffarpur: शिक्षा और समाज के लिए इस मठ की पहल अनुकरणीय
जरूरत के हिसाब से जरूरतमंदों को सहायता दी जाती है। फोटो : जागरण

मुजफ्फरपुर, [ प्रेम शंकर मिश्रा]। मठ और मंदिर की जमीन व संपत्ति को लेकर अक्सर विवाद सामने आते हैं। लेकिन, जिले के सकरा का जगदीशपुर बघनगरी स्थित राम-जानकी मठ शिक्षा और समाज कल्याण के लिए संपत्ति व जमीन दान कर मिसाल कायम कर रहा है। इनके लिए मठ की ओर से करोड़ों की जमीन सरकार को दान कर दी गई है। मठ प्रबंधन के प्रयास से ही सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में केंद्रीय विद्यालय और बाल आश्रय की स्थापना हो रही है।

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महंत डॉ. श्याम सुंदर दास बताते हैं कि मठ के पास कुल 55 एकड़ जमीन है। अधिकतर में धान, गेहूं व सब्जी की खेती होती है। इसमें आसपास के 50 से अधिक लोग काम करते हैं। दान-पुण्य और अनाज से सालाना पांच लाख तक की आमदनी हो जाती है, उससे श्रमिक किसानों का भरण-पोषण होता है। जरूरत के हिसाब से जरूरतमंदों को सहायता दी जाती है। शेष राशि शिक्षा और सामाजिक कार्यों में खर्च होती है।

जनसरोकार के कार्य को प्रमुखता

जगदीशपुर बघनगरी के सरपंच राकेश कुमार मिश्रा का कहना है कि मठ करीब 10 पीढ़ी पुरानी है। मुखिया राजेश कुमार मिश्रा का कहना है कि पीएचडी धारक महंत इलाके के एक-एक बच्चे को शिक्षित करना चाहते हैं। केंद्रीय विद्यालय के लिए 2018 में उन्होंने 7.49 एकड़ जमीन दान कर दी। प्रशासन और केंद्रीय विद्यालय संगठन की ओर से भी सहमति मिल चुकी है। इसके क्रियान्वयन की प्रक्रिया चल रही है।जिले में आश्रय गृह को लेकर भी सरकार के पास जमीन की कमी हो रही थी। महंत की ओर से फिर पहल की गई। उन्होंने 2020 में मठ की 2.78 एकड़ जमीन उपलब्ध कराई। डीएम प्रणव कुमार ने उक्त जमीन का राज्यपाल के नाम हस्तांतरण कराने का आदेश भी जारी कर दिया है।

पर्यावरण संरक्षण के लिए भी कर रहे काम

सरकार की जल-जीवन-हरियाली योजना से पहले ही महंत ने जल संरक्षण को लेकर कार्य कराए हैं। मठ के तालाब का जीर्णोद्धार कार्य मनरेगा से कराया गया। करीब 45 लाख की योजना से यह तालाब संरक्षित हो सका। यहां गर्मी में भूजल का स्तर इतना कम हो जाता है कि चापाकल से पानी आना बंद हो जाता है। मठ की पहल पर आसपास के तीन बड़े तालाबों का जीर्णोद्धार किया गया।  

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