Muzaffarpur News: नारकीय जीवन जीने को मजबूर मुजफ्फरपुर स्मार्ट सिटी के स्वच्छता दूत
Muzaffarpur News शहर को स्वच्छ व स्वस्थ बनाने वाले स्वच्छता दूत स्वयं नारकीय जीवन जीने को मजबूर है। दिन भर की थकान के बाद सर छुपाने के नाम पर मिले घर की स्थिति जानवरों के बथान से भी बदतर है। जानिए यहां का पूरा हाल
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। पूरे दिन नालियों एवं कूड़ा-करकट से खेलकर शहर को स्वच्छ व स्वस्थ बनाने वाले स्वच्छता दूत स्वयं नारकीय जीवन जीने को मजबूर है। दिन भर की थकान के बाद सर छुपाने के नाम पर मिले घर की स्थिति जानवरों के बथान से भी बदतर है। सफाई के दौरान उनको संक्रमण से लडऩा पड़ता है लेकिन उनके स्वास्थ्य की सुरक्षा को निगम द्वारा कोई उपाय नहीं किए गए है। जिस बस्ती में वे रहते है न शुद्ध पीने का पानी उपलब्ध है और न ही अन्य सुविधाएं।
नगर निगम के अधिकांश सफाईकर्मी (स्वच्छता दूत) बहलखाना स्लम क्षेत्र में रहते है। नगर निगम की जमीन में बने घरों में परिवार के साथ रहते है। उन घरों की स्थिति रहने लायक नहीं है लेकिन वे किसी तरह रह रहे है। बारिश के दिनों में पानी छत से होकर घर में प्रवेश कर जाती है। इन घरों में रहने वालों की जान हमेशा फंसी रहती है। इनमें रहने वाले स्वच्छता दूत कभी भी दुर्घटना के शिकार हो सकते है। पानी एवं शौचालय की सुविधा नाले में बने दो नलों एवं अधूरे शौचालय से पूरा होती है।
निगम प्रशासन नहीं लेता है सुध
जिस सफाई मित्रों के बल पर नगर निगम शहर को स्वच्छ एवं स्वस्थ बनाने का दावा करता है उसके लिए कभी कुछ नहीं किया। स्लम बस्ती के विकास के नाम पर मिले पैसे का लाभ भी इस बस्ती को नहीं मिला। नगर निगम बोर्ड, सशक्त स्थायी समिति, महापौर सुरेश कुमार एवं नगर आयुक्त विवेक रंजन मैत्रेय ने भी कभी सफाई मित्रों की मदद को पहल नहीं की। उपमहापौर ने एक साल पूर्व बहलखाना स्लम बस्ती का निरीक्षण कर वहां के हालात पर चिंता जताई थी। सालों से बस्ती में बने अधूरे सामुदायिक शौचालय को पूरा कराने का आदेश दिया। लेकिन उनके आदेश के बाद भी अधूरा शौचालय पूरा नहीं बन पाया।
इस बारे में महापौर सुरेश कुमार ने कहा कि बहलखाना स्लम में रहने वालों के लिए सामूहिक भवन के निर्माण का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है। लेकिन अब तक कोई आदेश नहीं आया है। आते ही उसपर काम होगा। स्लम क्षेत्र के विकास के लिए कदम उठाए जा रहे है।