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किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं मुजफ्फरपुर बालिका गृहकांड, ध्‍वस्‍त हो गया ब्रजेश का साम्राज्‍य

किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं बालिका गृहकांड। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस की एजेंसी कोशिश की ऑडिट के बाद मई 2018 में सामने आया था मामला। पढ़ें परत-दर-परत यह रिपोर्ट।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Sun, 19 Jan 2020 09:22 PM (IST)Updated: Mon, 20 Jan 2020 10:53 PM (IST)
किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं मुजफ्फरपुर बालिका गृहकांड, ध्‍वस्‍त हो गया ब्रजेश का साम्राज्‍य
किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं मुजफ्फरपुर बालिका गृहकांड, ध्‍वस्‍त हो गया ब्रजेश का साम्राज्‍य

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बालिका गृहकांड की कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं है। तकरीबन दो साल पहले यह मामला सामने आया था। प्रशासनिक लापरवाही की वजह से किस तरह लड़कियों का शोषण किया गया, यह हैरान करने वाला था। समाज कल्याण विभाग भी कठघरे में रहा । मामला संसद में गूंजा, इसके बाद जांच की जिम्मेदारी सीबीआइ को सौंपी गई थी। राज्य सरकार में समाज कल्याण मंत्री रहीं मंजू वर्मा के पति पर भी संलिप्तता के आरोप लगे थे। 

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44 में से 33 से यौन शोषण की बात आई थी सामने

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस की एजेंसी कोशिश ने फरवरी 2018 में साहू रोड स्थित ब्रजेश ठाकुर के बालिका गृह का ऑडिट शुरू किया था। 26 मई को उसकी रिपोर्ट आई। उस दौरान 44 लड़कियों में 33 से यौन शोषण की बात सामने आई थी। पहले तो मामले को दबाने की कोशिश की गई। इसी के चलते चार दिन बाद बाल संरक्षण इकाई के तत्कालीन सहायक निदेशक दिवेश कुमार शर्मा ने महिला थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इसमें सेवा संकल्प व विकास समिति की ओर से संचालित बालिका गृह प्रबंधन को आरोपित बनाया गया था। यहां से लड़कियों को पटना, मोकामा और मधुबनी बालिका गृह भेज दिया गया था। जांच तत्कालीन महिला थानाध्यक्ष ज्योति कुमारी ने शुरू की। मामले में मुख्य आरोपित ब्रजेश ठाकुर, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी रवि कुमार रोशन, बाल कल्याण समिति का अध्यक्ष दिलीप कुमार वर्मा, बाल संरक्षण इकाई की सहायक निदेशक रोजी रानी, ब्रजेश ठाकुर की खास साइस्ता परवीन उर्फ मधु के अलावा बालिका गृह की महिला कर्मचारियों सहित 22 अन्य की गिरफ्तारी हुई थी। 

अब तक विपक्ष बना हुआ है हमलावर

मामला सामने आने के बाद विपक्षी दल हमलावर हुए थे। कांग्रेस और राजद के सांसदों ने यह मामला संसद में उठाया था। बिहार सरकार की सिफारिश पर 28 जुलाई को सीबीआइ ने जांच शुरू की थी। कुछ लड़कियों की हत्या की बात सामने आने पर पुलिस ने साक्ष्य जुटाने के लिए 23 जुलाई 2018 को बालिका गृह परिसर की खोदाई कराई। वहां कुछ नहीं मिला। उसी साल तीन अक्टूबर को सिकंदरपुर श्मशान घाट की खोदाई सीबीआइ ने कराई थी। वहां दो मानव कंकाल मिले थे। पटना हाईकोर्ट ने जांच की जानकारी लीक होने पर मीडिया की रिपोर्टिंग पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसे 21 सितंबर को हटा दिया गया था।

नशीली दवा की मदद से यौन हिंसा

बालिका गृह की लड़कियों को हर रात नशीली दवा देने और पिटाई की बात सामने आई थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लड़कियों के बयान दर्ज करने के लिए बेंगलुरु के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल एंड न्यूरो साइंस के बाल मनोवैज्ञानिक व पेशेवर काउंसलरों की मदद ली गई थी। 

ब्रजेश पटियाला जेल स्थानांतरित

ब्रजेश ठाकुर की ऊंची पहुंच के कारण जांच में परेशानी की सीबीआइ की शिकायत पर 10 अक्टूबर 2018 को मुख्य आरोपित ब्रजेश ठाकुर को मुजफ्फरपुर केंद्रीय कारा से भागलपुर जेल भेज दिया गया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पटियाला जेल में शिफ्ट किया गया था।  

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सुनवाई साकेत कोर्ट में

पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मामले की सुनवाई दिल्ली के साकेत कोर्ट में होने लगी थी। यहां सीबीआइ ने आठ जनवरी को बताया कि बालिका गृहकांड में किसी लड़की की हत्या नहीं हुई। उसकी इस रिपोर्ट पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे। हत्या नहीं हुई तो खोदाई में मिले कंकाल किनके हैं?

ध्वस्त हो गया साम्राज्य

ब्रजेश ठाकुर का पूरा साम्राज्य बालिका गृह मामला सामने आने के बाद ध्वस्त हो गया। उसके होटल को सील करने के साथ करोड़ों की संपत्ति जब्त की गई। अवैध निर्माण के चलते बालिका गृह के कुछ हिस्से को ध्वस्त करने की कार्रवाई हुई। सेवा संकल्प व विकास समिति के विरुद्ध 8.32 करोड़ आयकर बकाया का नोटिस आयकर विभाग ने दिया। उसके खाते सीज कर दिए गए। 


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