पत्रकारिता, Real estate व NGO का बेताज बादशाह था ब्रजेश ठाकुर, राजनेता बनने की थी ख्वाहिश
मुजफ्फरपुर बालिका गृहकांड का मुख्य दोषी ब्रजेश ठाकुर बिहार में पत्रकारिता Real estate और एनजीओ का बेताज बादशाह था औऱ उसकी ख्वाहिश राजनेता बनने की थी। जानिए उसकी हकीकत
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बालिका गृह मामले में दोषी करार ब्रजेश ठाकुर पत्रकारिता, रियल एस्टेट व एनजीओ क्षेत्र में बेताज बादशाह था। रियल एस्टेट कारोबार व पत्रकारिता पिता से विरासत में मिली थी। इसी से मिले ऊंंचे रसूख से पहले उसने राजनीति व बाद में एनजीओ के क्षेत्र में कदम रखा।
उसने पटना व दिल्ली के नेताओं व नौकरशाहों को इतना खुश किया कि इस क्षेत्र में उत्तर बिहार में उसे चुनौती देने वाला कोई नहीं रहा। सीबीआइ ने मुख्य सचिव को जो रिपोर्ट भेजी है। उसमें कई आइएएस व अन्य पदाधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा की बात है।
ब्रजेश के पिता राधामोहन ठाकुर ने 1982 में मुजफ्फरपुर से प्रात:कमल नाम से हिंदी अखबार का प्रकाशन शुरू किया था। इससे कमाए रुपये रियल एस्टेट में लगाए। दोनों क्षेत्रों ने राधामोहन को शहर में खास बना दिया।
पिता की मौत के बाद विरासत में मिले ऊंचे रसूख का ब्रजेश ने पूरा फायदा उठाया। उसकी पहुंच पटना व दिल्ली के नेताओं से लेकर नौकरशाहों तक हो गई। उसने रीयल एस्टेट के कारोबार से बढ़कर एनजीओ और राजनीति में हाथ आजमाना शुरू कर दिया।
2013 में शुरू किया बालिका गृह
ब्रजेश ने एनजीओ सेवा संकल्प एवं विकास समिति का रजिस्ट्रेशन अप्रैल 1987 में कराया था। अक्टूबर 2013 में बालिका गृह संचालन का वर्क ऑर्डर मिला था। संस्था का चीफ फंक्शनरी वही था। इसके बाद उसने कई शेल्टर हाउसों का संचालन शुरू किया।
रेडलाइट एरिया में जिला प्रशासन की ओर से चलाए गए ऑपरेशन उजाला से लेकर अन्य गतिविधियांं ब्रजेश के ही हवाले थीं। पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, दरभंगा तक उसकी संस्था की धमक थी।
राजनीति में भी आजमाया हाथ
1993 में बिहार के फायर ब्रांड नेता आनंद मोहन ने बिहार पीपुल्स पार्टी बनाई तो ब्रजेश ठाकुर उसमें शामिल हो गया। 1995 में बिहार में विधानसभा चुनाव में कुढऩी सीट से पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरा। पहली बार उसे मात्र 202 मत मिले थे।
वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव में भी कुढऩी से ही उतरा, इस बार दूसरे नंबर पर रहा। इससे उसका राजनीतिक कद बढ़ गया। 2001 में वह जिला परिषद के चुनाव में उतरा, लेकिन पराजय मिली। बाद में उसने अपने बेटे राहुल को 2016 में जिला परिषद के चुनाव में कुढऩी से उतारा। उसे भी हार का सामना करना पड़ा।
आठ साल पहले शुरू किया अंग्रेजी अखबार
ब्रजेश ठाकुर ने अपने बेटे राहुल आंनद को अखबार प्रात:कमल का मालिक बना दिया। ब्रजेश खुद उस अखबार में सिर्फ पत्रकार की हैसियत से रहा। वर्ष 2012 में ब्रजेश ने 'न्यूज नेक्स्ट' नाम से अंग्रेजी का अखबार भी शुरू किया। जिसकी एडिटर इन चीफ उसकी बेटी निकिता आनंद बनी। इस बीच उसने उर्दू अखबार 'हालात-ए-बिहार' लॉन्च कर दिया।