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मुजफ्फरपुर: जल संचयन के लिए जन संकल्प व जन चेतना बेहद जरूरी

जल संरक्षण के लिए आम लोगों को भी तय करनी होगी अपनी जिम्मेदारी। जल संचयन का प्रयास केंद्र व राज्य सरकारें अपने स्तर से कर रही हैं लेकिन अब जन समर्थन से हमें आने वाले भय को दूर करना होगा।

By Ajit KumarEdited By: Published: Fri, 28 May 2021 10:35 AM (IST)Updated: Fri, 28 May 2021 10:35 AM (IST)
जल संरक्षण की दिशा में लगातार काम करते रहने की जरूरत है।

मुजफ्फरपुर, जासं। जल आपूर्ति सुनिश्चित करना सरकार का काम है। अकेले मेरे करने से क्या होगा? ये बातें अक्सर हम अपने घर और आस-पड़ोस में सुनते हैं। हमें इस मानसिकता को बदलना होगा। जहां एक तरफ देश की आबादी बढ़ रही वहीं, दूसरी तरफ संसाधन सिमट रहे हैं। अत: हमें जन भागीदारी से संसाधनों का संरक्षण बेहतर कल के लिए करना ही होगा। देश का एक तिहाई हिस्सा या तो सुखाड़ ग्रस्त है या मरुस्थल क्षेत्र है। मौजूदा समय में जो संसाधन हमारे पास उपलब्ध हंै उसका दोहन हम आंख मूंद कर रहे हैं, जिसका विपरीत परिणाम है जलसंकट। हर वर्ष गर्मी के दिनों में भू-जल का स्तर कम हो जाता है और जल आपातकाल की स्थिति हो जाती है। समग्र जल प्रबंधन सूचकांक 2.0 के अनुसार 2030 तक देश में जल की मांग भंडारण से दोगुनी हो जाएगी। अत: हमें आज से ही जल संचयन के लिए जन संकल्प व जन चेतना बनानी होगी ताकि हमारा कल सुरक्षित हो। ये बातें दैनिक जागरण के सहेज लो हर बूंद अभियान से जुड़कर पानी बचाने के अभियान में लगे भूगोल स्नातक ब्रजेंद्र दिवाकर ने कहीं। 

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मड़वन प्रखंड के बथना राम गांव निवासी ब्रजेंद्र कहते हैं कि जल संचयन का प्रयास केंद्र व राज्य सरकारें अपने स्तर से कर रही हैं, लेकिन अब जन समर्थन से हमें आने वाले भय को दूर करना होगा। जल संचयन की बहुत सारी प्रक्रियाएं हैं जैसे - पौधारोपण, वर्षा जल संचयन, भूजल पुनर्भरण जिसे हम व्यक्तिगत तौर पर कर सकते हैं। जल संचयन की बहुत सारी योजनाओं में से एक है, बिहार सरकार की बहुउद्देशीय योजना Óजल-जीवन-हरियालीÓ जिसके अंतर्गत कुएं, तालाब, पोखरों का जीर्णोद्धार कर जल संचयन को मजबूत करना है।

कुओं के जीर्णोद्धार से मिलेगी जल संचयन में मदद

ब्रजेंद्र ने कहा कि उनके गांव बथना राम जो कि पकड़ी पकोही पंचायत में स्थित है की आबादी करीब 1500 है। यहां ग्रामीणों द्वारा 14 कुओं का निर्माण सालों पूर्व कराया गया था, जिसमें कुछ सूख चुके हैं और कुछ सूखने की कगार पर हैं। अभी इनका उपयोग घर का कूड़े फेंकने के रूप में होता है। अगर इनका जीर्णोद्धार कर दिया गया तो वर्षा जल संचयन और भूजल पुनर्भरण में बहुत बड़ा योगदान होगा। भू-गर्भ रीचार्ज हो सकेगा और हमारा कल सुरक्षित रहेगा। 


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