Muzaffarpur: पत्रकारिता सिर्फ सिद्धांत का पाठ्यक्रम नहीं, इसमें व्यावहारिक ज्ञान भी जरूरी
एलएस कॉलेज के पत्रकारिता विभाग में समाचार पत्र रिपोर्टिंग से संपादन तक विषयक ऑनलाइन वेबिनार आयोजित। प्राचार्य ने बताया कि शीघ्र ही एलएस कॉलेज में पत्रकारिता एवं जनसंचार में पीजी की पढ़ाई शुरू होगी। इसके लिए विश्वविद्यालय को प्रस्ताव भेजा जा चुका है।
मुजफ्फरपुर, जासं। एलएस कॉलेज के बैचलर ऑफ मास कम्युनिकेशन विभाग की ओर से रविवार को समाचार पत्र : रिपोर्टिंग से संपादन तक विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। पत्रकारिता विभाग के समन्वयक प्रो.राजेश्वर कुमार ने कहा कि पत्रकारिता और जनसंचार का पाठ्यक्रम सिर्फ सिद्धांतों पर आधारित नहीं है। इसके लिए व्यावहारिक ज्ञान भी महत्वपूर्ण है। इस कड़ी में पत्रकारिता से संबंधित विषयों पर निरंतर सेमिनार और वेबिनार का आयोजन विभाग की ओर से होता रहा है। इससे छात्रों का चहुंमुखी विकास होगा। ऑनलाइन वेबिनार में विशिष्ट वक्ता अंकित कुमार कश्यप ने सूक्ष्मता से प्रिंट मीडिया के सभी व्यावहारिक पक्षों की विस्तार से व्याख्या की। सेमिनार की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ.ओमप्रकाश राय ने की। कहा कि यहां का पत्रकारिता विभाग अपनी निरंतर सक्रियता के कारण लगातार आगे बढ़ रहा है। हाल ही में एक नामचीन पत्रिका ने कॉलेज के इस विभाग को भारत के पत्रकारिता एवं जनसंचार के शीर्ष संस्थानों में चयनित किया है। प्राचार्य ने बताया कि शीघ्र ही एलएस कॉलेज में पत्रकारिता एवं जनसंचार में पीजी की पढ़ाई शुरू होगी। इसके लिए विश्वविद्यालय को प्रस्ताव भेजा जा चुका है। विभाग के वरिष्ठ अध्यापक डॉ.ललित किशोर ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कहा कि नैक मूल्यांकन की दृष्टि से पत्रकारिता विभाग की भूमिका सबसे ज्यादा है। मौके पर पत्रकारिता विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ.प्रमोद कुमार, डॉ.वीरेंद्र कुमार, डॉ.सतीश कुमार और डॉ.मनोज कुमार आदि ने संबोधित किया। तकनीकी समन्वय कार्य अमरेश राय और संजय पांडेय ने किया।
एनबीए के विशेषज्ञों ने कहा- एमआइटी में शिक्षकों, तकनीकी और सहयोग कर्मियों की कमी
मुजफ्फरपुर : नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रीडिटेशन (एनबीए) के सात सदस्यीय विशेषज्ञों की टीम ने रविवार को तीन दिनों तक विभिन्न विभागों के निरीक्षण के बाद अपनी टिप्पणी दी। साथ ही जुटाई गई जानकारियों के साथ टीम वापस लौट गई। बताया गया कि 15 दिनों के भीतर मूल्यांकन का रिपोर्ट आ जाएगी। टीम ने बताया कि कॉलेज में छात्रों की तुलना में शिक्षकों की संख्या कम है। साथ ही तकनीकी और सहयोग कर्मियों की संख्या कम है। तीन दिनों तक कॉलेज के निरीक्षण के बाद सभी विभागाध्यक्षों के साथ बैठक के दौरान विशेषज्ञ ये टिप्पणी कर रहे थे। बताया कि कॉलेज में शिक्षकों के 107 पद स्वीकृत हैं जबकि 65 शिक्षक ही नियुक्त हैं। छात्रों को शोध कार्याें की ओर अधिक ध्यान देने और शोध को रैफर्ड जर्नल में प्रकाशित कराने पर जोर दिया। प्राचार्य डॉ.एके सिन्हा ने बताया कि टीम ने शिक्षकों व छात्रों से फीडबैक लिया है। साथ ही यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर का भी बारीकी से निरीक्षण किया है। शिक्षकों की संख्या बढ़ाने की दिशा में पहल करने की बात कही गई है।
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