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कचरा प्रबंधन में मुजफ्फरपुर बना उत्तर भारत का सर्वश्रेष्ठ शहर

वेस्ट प्रोसेसिंग करने वाला राज्य का पहला शहर बनने का हासिल हुआ गौरव। केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ट्वीट कर दी बधाई।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 15 Nov 2018 10:25 PM (IST)Updated: Fri, 16 Nov 2018 07:30 AM (IST)
कचरा प्रबंधन में मुजफ्फरपुर बना उत्तर भारत का सर्वश्रेष्ठ शहर
कचरा प्रबंधन में मुजफ्फरपुर बना उत्तर भारत का सर्वश्रेष्ठ शहर

मुजफ्फरपुर (जेएनएन)। कचरा प्रबंधन में स्मार्ट सिटी मुजफ्फरपुर उत्तर भारत का सर्वश्रेष्ठ शहर बन गया है। शहर से निकलने वाले 70 फीसदी कचरे का ऐट सोर्स सेग्रीगेशन एवं कचरे से खाद तैयार कर निगम ने यह उपलब्धि हासिल की है। वहीं शहर बिहार का पहला ऐसा शहर बन गया है जहां पूरी तरह से वेस्ट प्रोसेसिंग साइट का विकास किया गया है। केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ट्वीट कर यह जानकारी देते हुए बधाई दी है।

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हरदीप सिंह ने ट्वीट कर दी बधाई

उन्होंने अपने ट्वीट में कहा है कि शहर ने सिर्फ 70 फीसदी कचरे का एट सोर्स सेग्रिगेशन (लोगों के घरों पर ही सूखा एवं गिला कचरा अलग-अलग करना) किया जा रहा है। साथ ही पांच यूनिट स्थापित कर गिले कचरे से खादी तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा है कि अब तक नगर निगम दो टन कचरे से तैयार खाद की बिक्री कर चुका है। ऐसा करने वाला यह उत्तर भारत का एकमात्र शहर है। उन्होंने इस बात पर भी हर्ष व्यक्त किया है कि कचरे का प्रोसेसिंग करने वाला बिहार का पहला बन गया है। शहर की इस उपलब्धि के लिए नगर आयुक्त ने शहरवासियों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि शहरवासियों के सहयोग से ही निगम इस कार्य में सफल हो पाया है। उन्होंने कहा निगम का लक्ष्य शहर से निगलने वाले शत प्रतिशत कचरे का निष्पादन करना है।

स्वच्छता, स्वास्थ्य व समृद्धि कार्यक्रम का मिला लाभ

शहर को स्वच्छ एवं स्वस्थ बनाने के लिए दो साल पूर्व नगर निगम ने सेंटर फॉर साइंस एनवायरमेंट एवं आइटीसी की मदद से स्वच्छता, स्वास्थ्य एवं समृद्धि कार्यक्रम की शुरूआत की थी। इसके तहत नगर भवन के समीप प्राकृतिक तरीके से कचरे का खाद तैयार करने को प्रोसेसिंग सेंटर की स्थापना की गई एवं लोगों के घरों में ही सूखा एवं गिला कचरा अलग-अलग करने की व्यवस्था की गई। इसके लिए लोगों को हरा एवं नीले रंग का कूड़ेदान दिया गया ताकि वे गिला एवं सूखा कचरे को अलग-अलग जमा कर सके। साथ ही डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन की व्यवस्था की गई। इसका लाभ मिला और कचरे का सही तरीके से निष्पादन होने लगा। सरकार ने निगम की इस व्यवस्था का मॉडल घोषित कर अन्य निकायों में भी इसे लागू करने की घोषणा की।  


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