गोलमाल है भाई सब गोलमाल... मुजफ्फरपुर में आपदा के 120 करोड़ रुपये का समायोजन नहीं
विभिन्न वर्षों में एसी बिल से निकासी की गई एवं सहायक अनुदान की आवंटित राशि का समायोजन नहीं किया गया है। यह राशि करीब 120 करोड़ है। पिछले वर्ष दस पत्र भेजने के बाद भी राशि का समायोजन नहीं होने पर आपदा प्रबंधन विभाग के अपर सचिव ने नाराजगी जताई।
मुजफ्फरपुर, जासं। आपदा के समय सरकार जिलों को खुले हाथों से राशि आवंटित करती है। जिला स्तर से राशि खर्च तो की जाती है, मगर इसका हिसाब-किताब नहीं रखा जाता। इस कारण राशि के गबन की आशंका बनी रहती है। जिले में पिछले 15 साल से राशि का हिसाब-किताब विभाग को जमा नहीं किया गया है। विभिन्न वर्षों में एसी बिल से निकासी की गई एवं सहायक अनुदान की आवंटित राशि का समायोजन नहीं किया गया है। यह राशि करीब 120 करोड़ है। पिछले वर्ष दस पत्र भेजने के बाद भी राशि का समायोजन नहीं होने पर आपदा प्रबंधन विभाग के अपर सचिव ने नाराजगी जताई है। उन्होंने अपर समाहर्ता, आपदा प्रबंधन को पत्र भेजकर राशि का समयोजन 15 दिनों में कराने को कहा है।
लापरवाही या गड़बड़ी
अपर सचिव द्वारा जारी पत्र के साथ विभिन्न वर्षाें में निकासी एवं समायोजित की गई राशि को देखने से बड़ी लापरवाही सामने आ रही है। वर्ष 2006-07 में निकासी किए गए 9.50 लाख रुपये में अब तक महज 54.87 रुपये का समायोजन किया गया है। इसी तरह 2007-08 में 10.50 लाख रुपये की निकासी के विरुद्ध महज दो हजार रुपये समायोजित किए गए। इसके अगले वर्ष भी इतनी ही राशि की निकासी हुई, मगर समायोजन महज चार हजार रुपये का हुआ। वित्तीय वर्ष 2009-10 में कुल निकासी 7.81 करोड़ रुपये में से महज 4.57 लाख का समायोजन किया गया है। 7.75 करोड़ रुपये का हिसाब अब भी दिया जाना है। इसी तरह वित्तीय वर्ष 2010-11 में 49.40 करोड़ रुपये में से महज 63.52 लाख रुपये ही समायोजित किए गए। इसी वित्तीय वर्ष के 48.77 लाख रुपये का हिसाब दिया जाना है। इसके अगले वर्ष 5.22 करोड़ रुपये में से महज 7.21 लाख रुपये का ही समायोजन किया गया। 5.14 करोड़ का हिसाब लंबित है।
गड़बड़ी की ओर भी इशारा
वित्तीय वर्ष 2012-13 की की बड़ी राशि 91.91 करोड़ रुपये में से 1.41 करोड़ रुपये ही समायोजित किए गए हैं। 90.49 करोड़ रुपये अब भी समायोजित किए जाने हैं। आगे के वर्षाें की कहानी भी कुछ इसी तरह की है। निकासी की दस प्रतिशत राशि का भी समायोजन नहीं होना लापरवाही के साथ गड़बड़ी की ओर भी इशारा करती है। दरअसल जिला आपदा प्रबंधन प्रशाखा से अंचलों और जिला नजारत को राशि उपावंटित की जाती है। अंचलों में ही मुख्य रूप से लापरवाही या गड़बड़ी इस देरी का कारण है। अपर सचिव ने जारी पत्र में कहा कि इतनी बड़ी राशि का समायोजन नहीं होने पर मुख्य सचिव ने भी नाराजगी जताई है। इसे देखते हुए लंबित राशि को शून्य करने की दिशा में गंभीरतापूर्वक कार्य करने की जरूरत है। आपदा प्रबंधन के अपर समाहर्ता डा. अजय कुमार ने कहा कि राशि समायोजन की लगातार कोशिश की जा रही है। सभी अंचलों एवं जिला नजारत से जैसे-जैसे रिपोर्ट आ रही उसका समायोजन कराया जा रहा है। शीघ्र ही इसे पूरा कर लिया जाएगा। वहीं अब तक गड़बड़ी की कोई शिकायत नहीं मिली है।