Muzaffarpur Electricity Supply : मिस्कॉट पावर स्टेशन के सिटी ब्रेकर उड़े, घंटों आपूर्ति रही बाधित
Muzaffarpur Electricity Supply सुबह आठ से दोपहर एक बजे तक आपूर्ति बाधित रहने से पानी के लिए मची हाहाकार। पावर सब स्टेशन का कॉल रिसिव नहीं होने से उपभोक्ता में रोष। जेई आलोक कुमार ने बताया कि सिटी ब्रेकर में आई खराबी के कारण यह समस्या उत्पन्न हुई।
मुजफ्फरपुर, जासं। मिस्कॉट पावर सब स्टेशन का दो सिटी ब्रेकर शुक्रवार की सुबह उड़ गया। इस कारण मिस्कॉट पावर सब स्टेशन से चलने वाले सभी फीडरों की बिजली ठप हो गई। मिस्कॉट, पड़ाव पोखर लेन, अघोरिया बाजार चौक से लेकर रमना के इलाके में लगातर कई घंटे तक बिजली बंद होने से पानी को लेकर हाहाकार मच गया। पड़ाव पोखर मोहल्ला निवासी मुकेश कुमार, रमना के संतोष कुमार ने कहा कि, सुबह आठ बजे से कटी बिजली दोपहर एक बजे आई। रात का पानी सुबह में खत्म हो गया। टंकी में पानी भरने के लिए सोच ही रहे थे कि बिजली चली गई। बिजली आने की आस में घर के सारे लोग बैठे रहे। घर के लोग स्नान तक नहीं कर पाए। मिस्कॉट पावर में इसकी जानकारी लेने का प्रयास किया गया, लेकिन किसी ऑपरेटर ने कॉल रिसीव नहीं किया। इस कारण बिजली कटने के कारणों का पता नहीं सका। जानकारी नहीं मिलने से बिजली कर्मियों के खिलाफ भारी असंतोष है। जेई आलोक कुमार ने बताया कि सिटी ब्रेकर में आई खराबी के कारण यह समस्या उत्पन्न हुई। थोड़ी देर बाद ठीक कर एक-एक फीडर में विद्युत आपूर्ति बहाल की गई।
मुरौल के दो मौजों में सैकड़ों जमाबंदी के पेज फट गए
मुजफ्फरपुर : राजस्व कार्यालय में अभिलेख में छेड़छाड़ के मामले लगातार आते रहे। रजिस्टर-टू के पेज भी फाड़े जाने की शिकायतें आईं, मगर इसपर ध्यान नहीं दिया गया। नतीजा जमीन के सर्वे में बड़ी संख्या में जमाबंदी के पेज फटे होने की बात सामने आ रही है। मुरौल में दो राजस्व गांव सादिकपुर मुरौल और मीरापुर की सैकड़ों जमाबंदी के पेज फटे मिले हैं। इस आधार पर अब यहां का सर्वे होना मुश्किल है। यहां मुश्किल यह है कि दोनों राजस्व गांवों का सीएस खतियान है ना आरएस। इसे देखते हुए उक्त दोनों गांवों का सर्वे शपथ-पत्र के आधार पर करते हुए खतियान निर्माण की अनुशंसा सीओ ने अपर समाहर्ता से की है।
अपर समाहर्ता को भेजे गए पत्र में सीओ ने कहा कि सादिकपुर मुरौल में कुल जमाबंदी की संख्या 2472 है। इसमें से 372 पेज फटे हुए हैं। वहीं मीरापुर में कुल जमाबंदी की संख्या 6230 है। यहां 1322 पेज फटे हैं। सीओ ने कहा कि 1895 के पुराने सर्वे के नक्शा से केवाला और सरजमीन की जांच करते हैं। दखल के अनुसार दाखिल-खारिज की जाती है। दोनों मौजा का रैयत का नाम एवं रकबा जमाबंदी में दर्ज है। वहीं खाता और खेसरा किसी जमाबंदी में उपलब्ध नहीं है। इसे देखते हुए जानकार राजस्व कर्मचारी और अमीन के द्वारा प्रत्येक प्लॉट पर जाकर एवं सही भू-धारी की पहचान कर एवं उससे शपथ-पत्र लेकर सर्वे किया जा सकता है। साथ ही इसी आधार पर खतियान तैयार किया जा सकता है।
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