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Madhubani: पीएम आवास योजना में गड़बड़-घोटाला, एक लाभुक को दो बार किया भुगतान, ऐसे सामने आया मामला

Madhubani News नगर परिषद में शहरी आवास योजना में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितता उजागर। तीन सदस्यीय जांच टीम ने प्रधानमंत्री आवास (शहरी) योजना के क्रियान्वयन में पाई भारी अनियमितता। एक लाभुक को तृतीय किस्त के रुप में 9.50 लाख रुपये भुगतान का मामला उजागर।

By Murari KumarEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 11:25 AM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 11:25 AM (IST)
Madhubani: पीएम आवास योजना में गड़बड़-घोटाला, एक लाभुक को दो बार किया भुगतान, ऐसे सामने आया मामला
मधुबनी नगर परिषद कार्यालय की फाइल फोटो

मधुबनी, जागरण संवाददाता। नगर परिषद में प्रधानमंत्री आवास (शहरी) योजना के क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में बड़े पैमाने पर अनियमितता जांच में पकड़ी गई है। जिला पदाधिकारी द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच टीम ने उक्त योजना के क्रियान्वयन की जांच में पाया कि बड़े पैमाने पर अनियमितता को अंजाम दिया गया है। जांच टीम ने संयुक्त जांच रिपोर्ट डीएम को अग्रेतर कार्रवाई के लिए भेज दिया है। जांच टीम में सदर डीसीएलआर, सदर अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी एवं वाणिज्य कर आयुक्त, मधुबनी शामिल थे।

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 जांच टीम ने डीएम को भेजे संयुक्त जांच रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा उपलब्ध कराए गए अभिलेख के आधार पर कहा जा सकता है कि नगर परिषद में बड़े पैमाने पर अनियमितता को अंजाम दिया गया है। जिस कारण विशेष अंकेक्षण दल के द्वारा जांच कराए जाने की आवश्यकता है। जांच रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा उपलब्ध कराए गए अंकेक्षण रिपोर्ट में वर्षवार दर्शाए गए त्रुटियों का निवारण करते हुए वर्तमान वित्तीय वर्ष 2020-21 में सही लाभुकों को तीव्र गति से भुगतान करने के लिए आदेश दिया जा सकता है, ताकि सरकार से प्राप्त आवंटन को सरेंडर नहीं करना पड़े।

एक लाभुक को तृतीय किस्त में 9.50 लाख भुगतान करने का मामला उजागर 

प्रधानमंत्री आवास (शहरी) योजना के क्रियान्वयन की जांच के लिए नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा उपलब्ध कराए गए अभिलेख की जांच के दौरान त्रिसदस्यीय जांच टीम ने पाया कि डीपीआर से बाहर करीब 1400 से भी अधिक व्यक्तियों को भी लाभुक की श्रेणी में शामिल कर भुगतान किया गया है। जांच टीम ने यह भी पाया कि एक लाभुक को तो तृतीय किस्त के रुप में 9.50 लाख रुपये भुगतान कर दिया गया है। हालांकि, यह भुगतान किस परिस्थिति में किया गया, जांच टीम को यह स्पष्ट नहीं हो सका। इस भुगतान को जांच टीम ने वित्तीय नियमावली का उल्लंघन पाया।

 इस मामले में तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी एवं जिम्मेवार कर्मियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने और जिस लाभुक को अधिक भुगतान किया गया है, उससे राशि वसूली की आवश्यकता का उल्लेख जांच टीम ने जांच रिपोर्ट में किया है। इसके अलावा डीपीआर में शामिल लाभुक जो अर्हता रखते हैं और उन्हें भुगतान नहीं किया गया है, वैसे लाभुकों को वित्तीय नियम का पालन करते हुए किस्तवार भुगतान करने की आवश्यकता जताई गई है। लेकिन, डीपीआर में शामिल जो लाभुक अर्हता नहीं रखते हैं, उन्हें सूची से बाहर करने की आवश्यकता जताई गई है। जांच के दौरान ऑनलाइन एवं ऑफलाइन प्रविष्टियों में भी भिन्नता पाई गई।

गैर शहरी भूमि पर भी शहरी योजना का लाभ दिए जाने का मामला उजागर 

जांच टीम ने जांच में पाया कि गैर शहरी भूमि पर तीन लाभुकों को योजना का लाभ दिया गया है। जांच टीम ने पाया कि ऐसे लाभुकों की संख्या और भी अधिक हो सकती है। जिसे कार्यपालक पदाधिकारी से जांच कराया जा सकता है। गैर शहरी भूमि पर जिन लाभुकों को शहरी योजना का लाभ दिया जा चुका है, उनके संबंध में विभाग से निर्देश प्राप्त करने की आवश्यकता है। जांच में यह भी पाया गया कि अधिकांश लाभुकों को बिना जीओ टैगिंग का ही भुगतान कर दिया गया है। जिन्हें भुगतान कर दिया गया है उनका डाटाबेस तैयार करने और जीओ टैगिंग करने की आवश्यकता है। नियम का उल्लंघन करने वाले पदाधिकारियों एवं कर्मियों के विरुद्ध विधिसम्मत कार्रवाई करने की भी आवश्यकता जांच टीम ने जताई है।

बैंक डिटेल्स एवं अकाउंट डिटेल्स में मिला अंतर 

नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा उपलब्ध कराए गए अभिलेख की जांच में जांच टीम ने पाया कि कई लाभुक ऐसे हैं जिनसे संबंधित बैंक में अभिश्रव है, लेकिन कार्यालय में नहीं है। ऐसी स्थिति में बैंक से किए गए भुगतान के आधार पर कार्यालय अभिलेख में दर्ज करने की आवश्यकता है। ऐसी स्थिति के लिए जिम्मेवार तत्कालीन कर्मियों पर विधिसम्मत कार्रवाई की आवश्यकता भी जांच टीम ने व्यक्त की है। जांच टीम ने यह भी पाया कि कई लाभुकाें को प्रथम किस्त में 50 हजार रुपये की बजाए एक लाख रुपये भुगतान कर दिया गया है। नियम विरुद्ध भुगतान करने वाले पदाधिकारियों एवं कर्मियों के विरुद्ध विधि सम्मत कार्रवाई की अनुशंसा जांच टीम ने की है। जांच टीम ने जांच में यह भी पाया कि राम बुझावन साह को दो बार आवास योजना का लाभ दे दिया गया है। जांच टीम ने उक्त लाभुक से एक आवास योजना की राशि वापसी के लिए विधि सम्मत कार्रवाई की अनुशंसा की है।


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