Muzaffarpur Bank Loot: कामयाबी पर अपनी ही पीठ थपथपा रहे साहब
Muzaffarpur Bank Lootएसटीएफ के बड़े साहब ने फौरन कार्रवाई कराई। इसका नतीजा रहा कि राजधानी में पनाह ले रखे अपराधियों को बड़ी रकम के साथ तत्काल पकड़ भी लिया गया। अब साहब व उनकी टीम इसके लिए अपनी ही पीठ थपथपा रही है।
मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। Muzaffarpur Bank Loot: महज चार दिन पहले पूर्वी इलाके के एक थाना क्षेत्र मे हुईं बड़ी लूट की वारदात ने पूरे सूबे को हिलाकर रख दिया था। राजधानी में बैठे महकमे के मुखिया से लेकर तमाम अधिकारियों का जब कॉल आने शुरू हुए तो यहां हाकिम के हाथ-पैर फूलने लगे। फिर एसटीएफ के बड़े साहब ने फौरन कार्रवाई कराई। इसका नतीजा रहा कि राजधानी में पनाह ले रखे अपराधियों को बड़ी रकम के साथ तत्काल पकड़ भी लिया गया। अब साहब व उनकी टीम इसके लिए अपनी ही पीठ थपथपा रही है। जबकि सच यह है कि एसटीएफ ने खुद के इनपुट पर यह बड़ी कामयाबी हासिल की। इसका प्रमाण भी राजधानी के एक थाने में की गई कागजी कार्रवाई से स्पष्ट है। लेकिन यहां के साहब यह मानने को तैयार नहीं। कहते हैं, पूरी कार्रवाई में हमारी टीम साथ में थी।
वर्दी पहनते ही भूल जाते ईमानदारी का पाठ
पहली बार खाकी वर्दी पहनने से पहले ईमानदारी का पाठ पढ़ाया जाता है। तब इसकी शपथ भी वर्दीधारी लेते हैं। लेकिन वर्दी धारण करते ही कई ईमानदारी का वह पाठ भूल जाते हैं। मूल कर्तव्य को छोड़कर वे अपनी जेब गर्म करने के अभियान में दिन-रात जुट जाते हैं। कभी इसमें पकड़े जाने पर भले ही वर्दी पर दाग लगता है, लेकिन इससे जैसे उनको कोई फर्क नहीं पड़ता। हाल ही में जिले में प्रशिक्षु दारोगा के साथ तीन वर्दीधारियों द्वारा हो रही वसूली का वीडियो वायरल होने पर उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही की गई। इसी तरह शहर के चौराहे वाले थाने के एक जमादार द्वारा मोटी रकम नहीं देने पर खुलेआम जेल भेजने की धमकी देने का ऑडियो वायरल होने पर कार्रवाई की गई। मतलब साफ है। अगर प्रमाण नहीं मिलता तो अंदरखाने खेल चलता रहता। वह तो ऑडियो, वीडियो बाहर आ गया, जिससे कार्रवाई की मजबूरी हो गई।
पुलिस फिसड्डी, अपराधी बेलगाम
जिले में अपराधी बेलगाम हैं और पुलिस फिसड्डी बनी हुई है। हर दिन गोलियों की तड़तड़ाहट सुनाई दे रही है। इससेपुलिस टीम की फजीहत हो रही है। लेकिन साहब अपनी ही रौ में रहते हैं। गत दिनों जाम की समस्या को लेकर किसी सज्जन ने इनसे शिकायत क्या कर दी, शिकायत करने वाले को ही मोबाइल पर साहब ने हड़का दिया । इसका ऑडियो भी वायरल हुआ। लेकिन पुलिसिया शैली नहीं बदल रही। बेलगाम अपराधियों द्वारा विभिन्न इलाकों में तांडव मचाकर निर्दोष लोगों की जानें ली जा रहीं हैं। आमजन की सुरक्षा व अपराधियों पर नकेल कसने की जिम्मेदारी जिन वर्दीधारियों को दी गई है उन्हें थाने स्तर पर तरह-तरह के खेल करने व जेब गर्म करने से फुर्सत ही नहीं कि बेखौफ अपराधियों पर नकेल कस सकें।
रात में सड़क पर निकलने में हाकिम को आलस
रात में सड़क पर निकलने में हाकिम को आलस आती है। आलाकमान के आदेश के बाद भी हाकिम रात में निकलकर गश्ती का जायजा नहीं लेते। कड़ाके की ठंड में सबको आराम पसंद है। नतीजा थाने स्तर से गश्ती में शिथिलता बरती जाती है। परिणाम सरेशाम गोलीबारी कर लूटपाट की वारदात को अंजाम दे दिया जाता है। लेकिन इससे क्या फर्क पड़ता। हालांकि कुछ कर्तव्यनिष्ठ कोतवाल खुद अलर्ट रहते हैं। दिन के साथ रात में भी गश्ती के अलावा इलाके का भ्रमण करते मिलते हैंं। जबकि कई ऐसे कोतवाल हैं जो इन सर्द रातों में कंबल के नीचे पड़े रहते हैं। कुछ कोतवाल तो ऐसे है जो होटल से ही थानेदारी करते हैं। इन्हीं में से कई ऐसे जो सरकारी मोबाइल तक नहीं उठाते। ऐसे में आलाकमान के आदेश का अगर पालन होता और हाकिम औचक निरीक्षण करते तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाता। लेकिन हाकिम यह उचित नहीं समझते।