नाले के पानी में डूब जाएगा शहर, तब खुलेगी निगम की आंख
08 अक्टूबर, एक नवंबर और 10 दिसंबर को गत वर्ष पत्र लिखकर नाले को अतिक्रमित करने की दी गई थी सूचना। अतिक्रमणकारी रोक रहे नालियों का बहाव, कार्रवाई नहीं कर रहा नगर निगम।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। अतिक्रमणकारी शहर की नालियों का बहाव रोक रहे। जो हालात बन रहे, उसमें शहर के गली-मोहल्ले और मुख्य सड़कें नालों के पानी में तैरते नजर आएंगे। यकीन नहीं तो बालूघाट, माली गली, चर्च रोड, चैपमैन स्कूल रोड हो आइए। बालूघाट में नाले पर दीवार खड़ी कर दी गई है।
कमरा मोहल्ला स्लूस गेट के पास नाले को भरा जा रहा। पीएनटी रोड में मस्जिद चौक के पास नाले को संकीर्ण कर दिया गया है। वार्ड पार्षदों के साथ-साथ जमादार नालियों को अतिक्रमित किए जाने की शिकायत कर रहे, पर निगम प्रशासन की आंख नहीं खुल रही। कोई पहल नहीं होने से वह सवालों में घिर गया है।
10 वर्षों में नहीं खुली निगम की आंख
शहर के उत्तरी भाग स्थित दस वार्डों यथा वार्ड 16, 17, 18, 19, 21, 22, 40, 43 और 44 के हजारों घरों से निकलने वाला गंदा पानी हो या बरसाती पानी, बालूघाट मुख्य नाले से होकर कमरा मोहल्ला स्थित स्लूस गेट से बाहर निकलता है। पिछले एक दशक से नाले को अतिक्रमित किया जा रहा। इससे नाला संकीर्ण होता चला गया।
2008 में पहली बार नगर आयुक्त को लिखा पत्र
वार्ड जमादार रामशंकर झा पिछले एक दशक से निगम प्रशासन को पत्र लिखकर नाले पर हो रहे अतिक्रमण की जानकारी दे रहे। वर्ष 2008 में पहली बार नगर आयुक्त को पत्र लिखकर सचेत किया था। बीते वर्ष उन्होंने आठ अक्टूबर, एक नवंबर और 10 दिसंबर को पत्र लिखकर नाले को अतिक्रमित करने की सूचना दी थी।
शिकायत के बाद भी नहीं सुनता निगम
वार्ड 21 के पार्षद केपी पप्पू, वार्ड 16 के पार्षद पवन कुमार राम, वार्ड 37 की पार्षद गार्गी सिंह अपने-अपने वार्ड में नाला पर होने वाले अतिक्रमण एवं गली-मोहल्ले में होने वाले जलजमाव को लेकर निगम प्रशासन को सचेत कर चुके हैं। बोर्ड की बैठक में भी उन्होंने समस्या की ओर निगम अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराया, बावजूद किसी की आंख नहीं खुल रही।
पार्षदों की ये है परेशानी
एक ओर जनता उनसे नाराज है। आरोप लगता है कि वार्ड में वे काम नहीं करते। दूसरी ओर नगर निगम कार्रवाई नहीं कर रहा।