मुजफ्फरपुर में पेयजल संकट होने पर करते आंदोलन, मिलने पर होती बर्बादी
जल संरक्षण के लिए अपनी जिम्मेदारी नहीं समझते शहरवासी कहते यह सरकार का काम। आवश्यकता से अधिक पानी का जमीन से दोहन करते हैं। जल संरक्षण का काम सरकार का बताकर निकल जाते हैं। बारिश के पानी का संरक्षण भी नहीं होता है।
मुजफ्फरपुर, जासं। एक दिन पानी नहीं मिलने पर लोग निगम प्रशासन के खिलाफ सड़क पर उतर जाते हंै। आंदोलन करते हैं। शासन-प्रशासन को कोसते हैं, लेकिन जब पानी मिलता है तो उसकी बर्बाद करने से बाज नहीं आते हैैं। आवश्यकता से अधिक पानी का जमीन से दोहन करते हैं। जल संरक्षण का काम सरकार का बताकर निकल जाते हंै। सोचिए जब एक दिन पानी नहीं मिलता तो यह हाल है। वहीं, जब भू-जल का संचित भंडार समाप्त हो जाएगा और जमीन से पानी निकलता बंद हो जाएगा तब क्या करेंगे? मंगलवार को यह सवाल शहर के प्रबुद्ध लोगों ने दैनिक जागरण के सहेज लो हर बूंद अभियान पर चर्चा के दौरान उठाया।
पूर्व पार्षद मुकेश विजेता ने कहा कि हर साल गर्मी में पीने के पानी को लेकर गली-मोहल्लों में मारामारी होती है। निगम के नलों से पानी लेने के लिए लाइन लगती है। अभी जमीन में पानी है तब यह हाल है। जब जमीन का पानी खत्म हो जाएगा तब क्या होगा? इसलिए लोगों को पानी बचाने की मुहिम में शामिल होना होगा। समाजसेवी सोनिया सिंह ने कहा कि आज लोगों को पानी मिल रहा तो उसका महत्व नहीं समझ रहे। इसे बचाने को लेकर उदासीन हैं। अपने घर में एक सोख्ता तक बनाने को तैयार नहीं हैं। रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की बात तो दूर की है। हमें यह आदत बदलनी होगी। जल संरक्षण हमारी भी जिम्मेदारी है यह हमें समझना होगा।
डॉ.पंकज कुमार ने कहा कि पानी का कारोबार करने वाले सबसे ज्यादा इसकी बर्बादी करते हंै। जितना पानी वह बोतलबंद करते हंै उससे कई गुना जमीन से निकालकर बर्बाद करते हैं। उनपर अंकुश लगाने की जरूरत है। शहरी क्षेत्र में भू-जल भंडार का अधिक दोहन होने से उनको शहर से दूर ग्रमीण इलाके में प्लांट लगाने को बाध्य किया जाना चाहिए। साथ ही बिना सोख्ता या रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम उनको प्लांट लगाने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। अधिवक्ता संजय कुमार ने कहा कि शासन-प्रशासन लाख प्रयास कर ले जल संरक्षण की मुहिम सफल नहीं होगी। इसके लिए आम लोगों को आगे आना होगा। इसका सबसे बड़ा प्रभाव उन्हीं पर पडऩे वाला है।