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मुजफ्फरपुर में बाढ़ से टूटीं अधिकतर सड़कें, तटबंध भी नहीं रहे सुरक्षित

बाढ़ आने के कुछ दिन पहले ही खर्च किए गए थे लाखों रुपये। अधिकारियों के अनुसार-मिट्टी उपलब्ध नहीं होने से निर्माण बाधित। बाढ़ के पानी का दबाव बढऩे के कारण बकुची कालेज के पास बना तटबंध प्रारंभ में ही टूट गया।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 07 Aug 2021 07:44 AM (IST)Updated: Sat, 07 Aug 2021 07:44 AM (IST)
मुजफ्फरपुर में बाढ़ से टूटीं अधिकतर सड़कें, तटबंध भी नहीं रहे सुरक्षित
कमजोर तटबंध पानी का दबाव नहीं सह सका और ध्वस्त हो गया। प्रतीकात्मक फोटो

कटरा (मुजफ्फरपुर), संस। प्रखंड क्षेत्र में आई विनाशकारी बाढ़ में कई तटबंध व सड़कें बह गईं। इनमें कुछ सड़कों की मरम्मत की गई है, लेकिन अधिकतर सड़कें आज भी बेहाल हैं। अधिकारियों का कहना है कि पानी में डूबे होने के कारण मिट्टी उपलब्ध नहीं है जिससे निर्माण कार्य बाधित है। बाढ़ के पानी का दबाव बढऩे के कारण बकुची कालेज के पास बना तटबंध प्रारंभ में ही टूट गया। इस बांध पर गत वर्ष 14 लाख की राशि खर्च की गई थी। इसके टूटने से लगभग 10हजार की आबादी प्रभावित हुई। बकुची, नवादा, पतांरी, अंदामा गांव बाढ़ की चपेट में आ गए। लगभग दो सौ परिवार विस्थापित हुए। कई सड़कें क्षतिग्रस्त हो गईं। निर्माण कार्य मनरेगा द्वारा कराया गया था। बांध बनाने का उदेश्य बकुची कालेज सहित पांच गांवों को बाढ़ से बचाना था। लेकिन कमजोर तटबंध पानी का दबाव नहीं सह सका और ध्वस्त हो गया जिससे लोगों को बाढ़ की त्रासदी झेलनी पड़ी। अभी यहां कोई काम नहीं हुआ है। वार्ड सदस्य धर्मेंद्र कामती ने बताया कि तटबंध बागमती किनारे बनाया गया, जहां पानी का दबाव हमेशा अधिक रहता है। बनाए गए तटबंध की गुणवत्ता भी निम्नतर थी जिससे यह टूट गया। श्याम महतो ने कहा कि बाढ़ आने के चंद दिन पहले ही तटबंध बनाया गया। मिटृी में मजबूती आई नहीं थी कि बाढ़ आ गई जिसमें बांध बह गई और ग्रामीणों को परेशानी झेलनी पड़ी। 

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16 लाख का खर्च पानी में बहा

डुमरी और बरैठा में दो स्थानों पर तटबंध टूट गया। इसके निर्माण पर 16 लाख खर्च किया गया था। यह तटबंध लखनदेई नदी के किनारे बना था। लेकिन, कमजोर बांध होने के कारण पानी का दबाव नहीं झेल सका। इस कारण बरैठा, डुमरी, बरदवारा, शहनौली, धोबौली, बसघटृा आदि गांवों की 15 हजार की आबादी को बाढ़ की पीडा झेलनी पड़ी। टूटने के बाद यह तटबंध भी खुला पड़ा है। गगेया हाई स्कूल के पास तटबंध टूटने से गंगेया, नवादा, बर्री, भवानीपुर आदि जल प्लावित हो गया। लगभग 12 हजार आबादी प्रभावित हुई।

सड़कें भी हुईं क्षतिग्रस्त

प्रखंड के कई बांध पिछले साल खुले ही रह गए जिससे बाढ़ का जलस्तर बढऩे के साथ ही पानी का दबाव सड़कों पर पड़ा और सड़कें टूट गईं। कटरा से हंकराहा तक सड़क निर्माण बाढ़ से चंद दिनों पूर्व कराया गया था। मनरेगा द्वारा निर्मित इस सड़क पर लगभग 14 लाख खर्च किए गए थे जो एक सप्ताह के अंदर ही पानी में बह गया। जलस्तर कम होने के बाद मिट्टी का नामोनिशान नहीं था। ग्रामीण इसे कमाऊ योजना कहते हैं जो बहने के लिए ही बनाई गई थी। नवादा मुख्य सड़क से अंदामा जाने का इकलौता मार्ग पानी में बह गया। मिटृी के अभाव में आज भी टूटा पड़ा है। ग्रामीण चचरी बनाकर आते जाते हैं। लगभग 1200 आबादी प्रभावित है। दरगाह-सोनपुर मार्ग में दो स्थानों पर सड़क टूट गई जिसे पंचायत प्रतिनिधियों ने मरम्मत कर चालू कर लिया है।

बकुची चौक की सड़क का काम प्रारंभ

बाढ़ में बकुची चौक की सड़कें बुरी तरह ध्वस्त हो गर्इं। दर्जनों दुकानें बह गर्इं। जलस्तर कम होने के बाद काम प्रगति पर है। यह मार्ग बेनीबाद-औराई पथ के बीच है और पीडब्ल्यूूडी से काम हो रहा है इसलिए बन जाने की संभावना है। बाढ़ के पानी में डुमरी-पहसौल मार्ग दो स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो गया, जहां कुछ दिनों तक नाव चलती थी। लेकिन जलस्तर में कमी के बाद ईंट का टुकड़ा भरकर चालू किया गया है। इसी तरह बकुची पावर ग्रिड तथा दरगाह पंप के पास सड़कें क्षतिग्रस्त हो गईं जिसकी अभी मरम्मत नहीं हुई है। इसका निर्माण पथ निर्माण विभाग के अधीन है। चंद्रकांत मिश्र व परमानंद सिंह ने बताया कि सड़क निर्माण में गुणवत्ता की कमी ही टूटने का मुख्य कारण है। इसकी जांच होनी चाहिए। प्रखंड की इन सड़कों के टूटने से लगभग 50 हजार की आबादी प्रभावित है। सीओ के जिले में रहने के कारण उनका पक्ष नहीं लिया जा सका।  


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