बचपन रोशन करने का संकल्प, दूर कर रहे अज्ञानता का अंधेरा
तरियानी छपरा के मोहन कुमार भूले-भटके बच्चों व महिलाओं को दिखा रहे रास्ता। बच्चों के लिए कुछ करने की चाहत। नौकरी छोड़ी। बच्चों को स्कूल जाने के लिए कर रहे प्रेरित।
शिवहर, [सुनील कुमार]। आदमी को आदमी के काम आने की जरूरत है। परिस्थितियां स्वत: बदल जाएंगी। इसी मूलमंत्र के साथ तरियानी छपरा निवासी रामेश्वर सिंह के पुत्र मोहन कुमार मानवता की सेवा में जुटे हैं। भूले-भटके बच्चों व महिलाओं को अपनों तक पहुंचाना, उन्हें स्वावलंबी बनाना, समाज की मुख्यधारा से विमुख बच्चों में शिक्षा की अलख जगाना ही उनका ध्येय है। बचपन बचाओ आंदोलन के प्रणेता व नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी को अपना आदर्श माननेवाले मोहन कुमार की प्रारंभिक पढ़ाई मुजफ्फरपुर से हुई।
बाद के दिनों में दिल्ली यूनिवर्सिटी से स्नातक के बाद कंप्यूटर साइंस में डिप्लोमा किया। विप्रो कंपनी में नौकरी की। उसके बाद वीएसएनएल में प्रोजेक्ट मैनेजर भी रहे। लेकिन, बच्चों के लिए कुछ करने की इच्छा मोहन कुमार को बार-बार कचोट रही थी। अंतत: 2008 में नौकरी छोड़ शिवहर को कार्य क्षेत्र बना लिया।
बाल श्रमिकों को कराया मुक्त
मोहन 'सवेरा' नामक स्वयंसेवी संगठन के बैनर तले लोगों से जुडऩे लगे। सबसे पहले होटल, ढाबा, गैराज, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशनों पर काम कर रहे बाल श्रमिकों को मुक्त कराना शुरू किया। श्रम विभाग के पदाधिकारियों का सहयोग लेकर बिचौलियों के चंगुल से बच्चों को निकाल उनके घरों तक पहुंचाने की मुहिम चलाई।
बाद के दिनों में सरकार द्वारा गठित बाल कल्याण समिति के सहयोग से बच्चों को उनके घर पहुंचाने और उसकी मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी निभाई। इन बच्चों को स्कूल जाने के लिए प्रेरित करना भी इनकी कार्ययोजना में शामिल है। हाल के दिनों में धार्मिक संस्था 'एक कोशिश' के माध्यम से क्षेत्र की नई पीढ़ी को रोजगार के लिए प्रेरित करने का काम भी जारी है।
नेपाल से भटक कर आईं महिलाओं को पहुंचाया घर
मोहन कुमार ने भूली-भटकी, घरेलू हिंसा से प्रताडि़त महिलाओं को सुरक्षित एवं संरक्षित आश्रय प्रदान किया। जिला प्रशासन से समन्वय स्थापित कर महिला विकास विभाग द्वारा संचालित अल्पावास गृह का संचालन शिवहर मुख्यालय में प्रारंभ किया। इस दौरान नेपाल से भटक कर आईं दो महिलाओं को भी अल्पावास गृह में आश्रय दिया गया। नाम-पता बताने में असमर्थ महिलाओं को मोहन कुमार ने उनके घर तक पहुंचाया। नेपाल एवं भारत सरकार के बीच की कागजी प्रक्रिया पूरी करवाकर उनके परिजन को सौंपा।
सामाजिक सरोकार से जुड़ीं समितियों में शामिल
मोहन कुमार दिल्ली की गूंज नामक संस्था के सहयोग से अग्निकांड के हजारों पीडि़तों के बीच कपड़े बांट चुके हैं। यह सिलसिला जारी है। ठंड के दिनों में जहां-तहां नेकी की दीवार का आयोजन कर गरीब और जरूरतमंदों के लिए कपड़े उपलब्ध कराते हैं। जिला प्रशासन ने मोहन कुमार को करीब आधा दर्जन से अधिक सामाजिक सरोकार से जुड़ीं समितियों में शामिल किया है। वर्ष 2010 में श्रीश्री रविशंकर द्वारा मोहन कुमार को सर्वेंट ऑफ द पुअर अवार्ड से सम्मानित किया गया।
डीएम ने कहा-बच्चों एवं महिलाओं के लिए मोहन कुमार का कार्य सराहनीय
शिवहर के जिलाधिकारी अरशद अजीज ने कहा कि बच्चों एवं महिलाओं के लिए मोहन कुमार का कार्य सराहनीय है। वे जिला प्रशासन की विभिन्न सामाजिक समितियों से जुड़े हैं। उनकी सहभागिता समाज के लिए प्रेरणादायी है।
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