मुजफ्फरपुर: संपत्ति का ब्योरा देने में विधान पार्षद कंजूस, जानें दिनेश सिंह का स्टेट्स
बिहार विधान परिषद के निर्वाचित प्रतिनिधियों को संपत्ति का ब्योरा परिषद की वेबसाइट पर प्रत्येक वर्ष अपलोड करने का विधान है। निवर्तमान पार्षद दिनेश सिंह ने अपने कार्यकाल में एक बार भी यह जानकारी वेबसाइट पर अपलोड नहीं की है।
मुजफ्फरपुर, जासं। राज्य के विधान पार्षदों में से एक तिहाई ने छह वर्ष के कार्यकाल में संपत्ति का ब्योरा वेबसाइट पर अपलोड नहीं कराया है। इसमें जिले में स्थानीय निकाय से चुने गए निवर्तमान पार्षद दिनेश प्रसाद सिंह भी शामिल हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हर वर्ष यह ब्योरा उपलब्ध कराया है। मालूम हो कि बिहार विधान परिषद की 75 सीटों में 63 प्रतिनिधियों का निर्वाचन एवं 12 का मनोनयन होता है। निर्वाचित प्रतिनिधियों को संपत्ति का ब्योरा बिहार विधान परिषद की वेबसाइट पर कार्यकाल के प्रत्येक वर्ष अपलोड करना है।
बिहार विधान परिषद के वेबसाइट पर अपलोड छह वर्ष के ब्योरा में निवर्तमान पार्षद दिनेश प्रसाद सिंह ने एक बार भी संपत्ति की जानकारी अपलोड नहीं की है। वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार वर्ष 2016 में सर्वाधिक 47 सदस्यों ने संपत्ति का ब्योरा अपलोड किया। छह वर्ष के कार्यकाल में सबसे कम 2017 में महज पांच पार्षदों ने ही संपत्ति का ब्योरा उपलब्ध कराया है। वर्ष 2019 एवं 2020 में 25-25 सदस्यों ने संपत्ति का ब्योरा बिहार विधान परिषद के वेबसाइट पर अपलोड किया है। इसके अलावा वर्ष 2015 में 33, 2018 में 15 सदस्यों ने ब्योरा अपलोड कराया। जिले से तिरहुत शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से डा. संजय कुमार ङ्क्षसह एवं स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से देवेश चंद्र ठाकुर सदस्य हैं। स्थानीय निकाय से विधान पार्षद दिनेश प्रसाद ङ्क्षसह का कार्यकाल पूरा हो चुका है। एक दो माह में इसका चुनाव होना है।
किस सूचना पदाधिकारी को कितना जुर्माना, दें रिपोर्ट
जासं, मुजफ्फरपुर : सूचना के अधिकार में समय से सूचना नहीं देने पर दंडित किए गए पदाधिकारियों की रिपोर्ट तलब की गई है। जुर्माना राशि का हिसाब नहीं मिलने पर राज्य सूचना आयोग ने रिपोर्ट की मांगी है। आयोग ने पूछा है कि किन-किन लोक सूचना पदाधिकारियों पर जुर्माना लगा है? वे वर्तमान में कहां तैनात हैं? जुर्माना राशि उनके द्वारा जमा किया गया या नहीं? रिपोर्ट मांगे जाने के बाद सभी विभागीय अधिकारियों से प्रतिवेदन मांगा गया है। वहीं जिले के कितने सूचना पदाधिकारी दंडित हुए हैं, यह आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। इसके लिए आरटीआइ लागू होने की तिथि से लेकर अब तक के लोक सूचना पदाधिकारियों की फाइल को खंगाला जा रहा है।
दूसरे जिले चले गए कई पदाधिकारी
जिन पदाधिकारियों को दंडित किया गया है उनमें कई दूसरे जिले में तैनात हैं। उनका यहां से तबादला हो गया है। सबसे अधिक परेशानी ऐसे पदाधिकारियों का रिकार्ड खंगाले में हो रहा है। उन्होंने जुर्माने की राशि ट्रेजरी में जमा नहीं की होगी तो उनके वेतन से यह काटा जाएगा।