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मिथिलांचल का प्रसिद्ध लोकपर्व मधुश्रावणी 22 से, तेरह दिनों तक होगी विषहर पूजा Muzaffarpur News

श्रावण कृष्ण पंचमी से शुरू होने वाला मधुश्रावणी मिथिलांचल का इकलौता ऐसा लोकपर्व है जिसमें पुरोहित महिला ही होती हैं। इसमें वे न सिर्फ पूजा कराती हैं बल्कि कथावाचन भी करती हैं।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 20 Jul 2019 12:46 PM (IST)Updated: Sat, 20 Jul 2019 12:46 PM (IST)
मिथिलांचल का प्रसिद्ध लोकपर्व मधुश्रावणी 22 से, तेरह दिनों तक होगी विषहर पूजा  Muzaffarpur News
मिथिलांचल का प्रसिद्ध लोकपर्व मधुश्रावणी 22 से, तेरह दिनों तक होगी विषहर पूजा Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। 'पग-पग पोखर, माछ-मखान' के लिए प्रसिद्ध मिथिला की प्राचीन जीवनपद्धति पूर्ण वैज्ञानिक है। सभी पर्व-त्योहारों का खासा वैज्ञानिक सरोकार है। प्रत्येक उत्सव में कुछ संदेश। कहीं प्राकृतिक प्रकोप से बचाव का संदेश देता श्रावण महीने की पंचमी पर नाग पंचमी हो या फिर नवविवाहितों का लोकपर्व मधुश्रावणी।

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 श्रावण कृष्ण पंचमी से शुरू होने वाला मधुश्रावणी मिथिलांचल का इकलौता ऐसा लोकपर्व है, जिसमें पुरोहित महिला ही होती हैं। इसमें व्रतियों को महिला पंडित न सिर्फ पूजा कराती हैं, बल्कि कथावाचन भी करती हैं। वैसे, समय के साथ इन पंडित की खोज भी मुश्किल होती जा रही है। ऐसे में जो महिलाएं इस लोकपर्व को जिंदा रखने की जद्दोजहद में हैं, मधुश्रावणी शुरू होते ही उनकी पूछ जरूर बढ़ जाती है।

 व्रतियां पंडितजी को पूजा के लिए न सिर्फ समझौता करती हैं, बल्कि इसके लिए उन्हें दक्षिणा भी देती हैं। यह राशि लड़की के ससुराल से आती है। पंडितजी को वस्त्र व दक्षिणा देकर व्रती विधि-विधान व परंपरा के अनुसार व्रत करती हैं। सोमवार से नवविवाहिताओं का यह लोकपर्व शुरू हो रहा है। जिनकी शादी इस वर्ष हुई है, वे इस बार पर्व को 13 दिनों तक उपवास रखकर मनाएंगी।

 दिन में फलाहार के बाद रात में ससुराल से आए अन्न से तैयार अरबा भोजन ग्रहण करेंगी। इन दिनों मिथिलांचल का हर कोना शिव नचारी व विद्यापति के गीतों से गुंजायमान रहता है। पर्व में पति-पत्नी साथ में नाग-नागिन, शिव-गौड़ी आदि की पूजा-अर्चना करते हैं। पति कितना भी व्यस्त क्यों न हो वह छुट्टी में ससुराल आने का प्रयास अवश्य करता है। इस बीच हंसी-मजाक का भी दौर जमकर चलता है। कहा जाता है कि इस पर्व में जो पत्नी पति के साथ गौड़ी-विषहरा की आराधना करती है, उसका सुहाग दीर्घायु होता है। व्रत के दौरान कथा के माध्यम से उन्हें सफल दांपत्य जीवन की शिक्षा भी दी जाती है। 


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