Mithilanchal Harinam Satsang: नारी में माता के दर्शन मात्र से ही विश्व का कल्याण : वैदेही शरण
मधुबनी के टाउन क्लब मैदान में छह दिवसीय मिथिलांचल हरिनाम सत्संग सम्मेलन को संबोधित करते हुए वैदेही शरण मानस मंदाकिनी ने कहा शारीरिक दूरी और प्राकृतिक नियमों के पालन से कोविड जैसी महामारी से बचाव संभव। सत्संग सम्मेलन के दूसरे दिन प्रवचन सुनने उमड़े श्रद्धालु।
मधुबनी, जागरण संवाददाता। नारी के प्रति असम्मान से विश्व की स्थिति खराब हो चुकी है। नारी में माता का दर्शन, अनुभव मात्र से विश्व का कल्याण शुरू हो जाएगा। हर एक नारी को पुरुष में पिता का दर्शन करना चाहिए। उक्त बातें कथावाचिका वैदेही शरण मानस मंदाकिनी ने कहीं। शहर के टाउन क्लब मैदान में छह दिवसीय मिथिलांचल हरिनाम सत्संग सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अधिक सुख और स्वार्थ की भावना मन को अशांत कर देती है। समर्पण, त्याग की कमी से प्रेम, शांति में बाधा उत्पन्न होने लगता है। मंदिर रूपी घर के प्रत्येक सदस्यों की भावनाओं को समझना और उसका सम्मान करना मनुष्य की प्रकृति होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि माता पार्वती की विदाई के समय मां नैना के द्वारा सास, ससुर की सेवा संग नारी धर्म का वर्णन बालकांड में मिलता है। कहा कि शारीरिक दूरी और प्राकृतिक नियमों का पालन करने से कोविड जैसी महामारी से बचा जा सकता है। क्रोध, लोभ, मोह, माया जैसे वायरस मानव जीवन को अशांत बना देते हैं। इससे बचाव के लिए सत्संग ही एकमात्र उपाय है। कहा कि सनातन धर्म नारी का सम्मान करना सिखाती है। माता सीता का चरित्र हरेक नारी के लिए अनुकरणीय है। माता सीता संपूर्ण विश्व के लिए पूजनीय है। नारी में माता सीता का दर्शन से आध्यात्मिक उन्नति होने लगती है।
सत्संग को सिमरिया महंत विष्णुदेवाचार्य बाल व्यासजी महाराज बनारस के डॉ. उमाशंकर त्रिपाठी ने भी संबोधित किया। सत्संग सम्मेलन के अध्यक्ष जीवन झा, प्रबंध सचिव विनय कुमार वर्मा, राजेंद्र झा ने बताया कि सत्संग सम्मेलन में बेगूसराय के रामानंद दास, राम परमहंसजी महाराज शामिल है। वहीं, अयोध्या के देवेंद्र प्रसादाचार्यजी महाराज, चित्रकूट के केशव दास, पंडित कुशेश्वर चौधरी, रामकुमार दास, गोपीरमन दास, वाराणसी के डॉ. जनार्दन दीक्षित सहित अन्य संत-महात्मा भी शामिल होंगे।