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अब फैशन की दुनिया में भी ट्रेंड कर रही मधुबनी की मिथिला पेंटिंग, महिलाओं को आत्‍मनिर्भर बना रहीं महिलाएं

मिथिला पेंटिंग वाली सिल्क व कॉटन साड़ी हो या दुपट्‌टे कुर्ती जैसे परिधान देश-विदेश से इनके आर्डर मिल रहे हैं। महिलाओं की यह पसंद महिलाओं को आजीविका भी दे रही है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 12:21 PM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2020 02:07 PM (IST)
अब फैशन की दुनिया में भी ट्रेंड कर रही मधुबनी की मिथिला पेंटिंग, महिलाओं को आत्‍मनिर्भर बना रहीं महिलाएं
अब फैशन की दुनिया में भी ट्रेंड कर रही मधुबनी की मिथिला पेंटिंग, महिलाओं को आत्‍मनिर्भर बना रहीं महिलाएं

मधुबनी, राजीव रंजन झा। फैशन समय के साथ बदलता रहा है। महिलाएं तो खासकर फैशन को लेकर अधिक ही सजग रही हैं। आज की बात करें तो मिथिलांचल, खासका मधुबनी की मिथिला पेंटिंग वाले परिधान महिलाएं काफी पसंद कर रही हैं। सिल्क व कॉटन साड़ियाें, ब्लाउज, दुपट्‌टों व कुर्तियों आदि पर मिथिला पेंटिंग का चलन लोकप्रिय होता जा रहा है। इनकी मांग इतनी बढ़ चुकी है कि कलाकारों के पास ऑर्डर की लंबी फेहरिस्त है। देश ही नहीं, विदेशों में भी इसके कद्रदान हैं। कलाकारों की मेहनत ने इस पारंपरिक कला को आज पूरी दुनिया में मशहूर कर दिया है। महानगरों में लगने वाले हाट व प्रदर्शनी में ये परिधान विदेशियों को खूब लुभाते हैं। खास बात यह है कि महिलाओं की यह पसंद महिलाओं का आत्‍मनिर्भर बना रही है।

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कपड़ों पर धूम मचा रही चित्रकारी

मूल रूप से दीवारों पर होने वाली चित्रकारी आज कपड़ों पर धूम मचा रही है। कलाकारों को इससे आर्थिक संबल भी मिला है। उनका हौसला भी बढ़ा है। हालांकि, मिथिला पेंटिंग के बाजार में बिचौलियों के हावी होने से कलाकारों में थोड़ी मायूसी भी है। उन्हें उनकी कला का वाजिब दाम नहीं मिल रहा। बावजूद, आज के फैशन की दुनिया में मिथिला पेंटिंग वाले परिधानों का कोई मुकाबला नहीं। इतना ही नहीं, मिथिला की यह पारंपरिक कला आज ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के साथ ही नारी सशक्तीकरण में भी अहम भूमिका निभा रही है।

साड़ियों का क्रेज बढ़ा

मिथिला पेंटिंग वाली साड़ियों का चलन जोर पकड़ता जा रहा है। ये साड़ियां महिलाओं की पहली पसंद बनती जा रही हैं। सिल्क व कॉटन साड़ियों पर मिथिलांचल क्षेत्र में काफी काम हो रहा है। फुल वर्क, आंचल व किनारा के साथ ही पाटला वर्क लोकप्रिय है। फुल वर्क में पूरी साड़ी मिथिला पेंटिंग से सजी होती है। ग्राहक यदि अपनी साड़ी दें तो कलाकार इसे साढ़े चार से पांच हजार रुपये में तैयार कर दे रहे हैं। केवल आंचल व किनारा में मिथिला पेंटिंग का काम डेढ़ से दो हजार तक का होता है। पाटला वर्क, यानी घुटने तक का काम तीन से साढ़े तीन हजार तक में हो जा रहा है। इसमें रंगों के अलावा कलाकारों की मेहनत होती है। कलाकार साड़ियों के आर्डर लेना पसंद करते हैं, क्योंकि इसमें उनकी आमदनी अच्छी हो जाती है। कई कलाकार आज ये काम कर अपना परिवार चला रहे हैं।

कुर्ती व दुपट्‌टे का भी बढ़ा चलन

फैशन के मामले में युवा वर्ग हमेशा से चूजी रहा है। इन दिनों युवतियों में पारंपरिक परिधानों का चलन बढ़ रहा है। ऐसे में मिथिला पेंटिंग वाली कुर्ती व दुपट्‌टा उन्हें भा रहे हैं। ये परिधान जिंस के साथ भी पहने जा रहे हैं। मिथिला पेंटिंग वाला दुपट्‌टा तीन से पांच सौ रुपये तक में मिल जाता है। फुल वर्क वाला दुपट्‌टा भी आठ सौ से एक हजार तक में उपलब्ध हो जाता है। कुर्ती की बात करें तो यह पांच सौ से एक हजार के रेंज में मिल जाता है।

स्थानीय बाजार से विदेश तक पहुंच

मिथिला पेंटिंग वाले कपड़ों की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। स्थानीय बाजार में तो ये अपनी जगह बना ही चुके, विदेश से भी खूब आर्डर आ रहे हैं। मिथिला पेंटिंग के कलाकार भगवान ठाकुर बताते हैं कि लगातार आ रहे ऑर्डर ने हिम्मत बढ़ा दी है। कहते हैं, ''पहले लगता था कि मिथिला पेंटिंग से पेट नहीं चलने वाला, लेकिन आज परिवार का भरण-पोषण इससे ही कर रहा हूं।'' उन्‍होंने बताया कि विदेशों से आने वाले ऑर्डर में बिचौलियों की भूमिका अब भी अधिक है। इसके बावजू  काम इतना बढ़ गया है कि फुर्सत नहीं मिलती। एक ऑर्डर पूरा होते ही दूसरा आ जाता है।

महिलाएं हो रहीं आत्मनिर्भर

मिथिला पेंटिंग वाली ड्रेस महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर रही है। इस क्षेत्र में कई अवार्ड प्राप्त कर चुकीं मधुबनी के गजहारा की रहने वाली अंजू देवी के साथ आज करीब तीन दर्जन कलाकार काम कर रहे हैं। इनमें अधिकांश आर्थिक रूप से कमजोर महिलाएं व युवतियां हैं। ये न केवल प्रशिक्षण पा रहीं, बल्कि पेंटिंग कर आत्मनिर्भर भी बन रहीं हैं।  


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