Republic Day Padma Award: मधुबनी की मिथिला पेंटिंग कलाकार दुलारी देवी को मिलेगा पद्मश्री सम्मान
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने की घोषणा।मधुबनी के राजनगर प्रखंड स्थित रांटी गांव की रहने वाली हैं दुलारी देवी।अपना हस्ताक्षर और अपने गांव का नाम लिख पाने वाली दुलारी ने संघर्ष के बूते पाई बड़ी सफलता।
मधुबनी, जासं। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों की घोषणा होते ही मधुबनी जिला एक बार फिर राष्ट्रीय फलक पर चर्चा में आ गया है। जिले के राजनगर प्रखंड के रांटी गांव की 53 वर्षीय दुलारी देवी को मिथिला पेंटिंग के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है। सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय से आधिकारिक घोषणा होने के साथ ही दुलारी देवी के घर बधाई देने वालों का तांता लग गया। दुलारी देवी मिथिला पेंटिंग कला की प्रतिष्ठित कलाकारों में शामिल हैं। वर्ष 2012-13 में इन्हें राज्य पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। महज अपना हस्ताक्षर और अपने गांव का नाम लिख पाने वाली दुलारी की सफलता मिथिला पेंटिंग कलाकारों के लिए प्रेरणा बन गई है।
दुलारी की पेंटिंग की पूरी दुनिया मुरीद
आज दुलारी की पेंटिंग की पूरी दुनिया मुरीद है। देश-दुनिया की कई नामचीन पत्र-पत्रिकाओं में दुलारी का बखान है। गीता वुल्फ की पुस्तक फॉलोइंग माइ पेंट ब्रश और मार्टिन लि कॉज की फ्रेंच में लिखी पुस्तक मिथिला में दुलारी की जीवन गाथा व कलाकृतियां सुसज्जित हैं। सतरंगी नामक पुस्तक में भी इनकी पेंटिंग ने जगह पाई है। इग्नू के लिए मैथिली में तैयार किए गए आधार पाठ्यक्रम के मुखपृष्ठ के लिए इनकी पेंटिंग चुनी गई। देश के अनेक शैक्षणिक व अन्य संस्थानों की दीवारों पर इनकी पेंटिंग्स शोभा बढ़ा रही हैं। पटना में बिहार संग्रहालय के उद्घाटन के मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दुलारी देवी को विशेष तौर पर आमंत्रित किया था। वहां कमला नदी की पूजा पर इनकी बनाई एक पेंटिंग को जगह दी गई।
लॉकडाउन में 50 हजार में बिकी दुलारी की पेंटिंग
देश-दुनिया के अलावा मधुबनी के थाना चौक स्थित विद्यापति टावर पर दुलारी देवी की पेटिंग छटा बिखेर रही है। एक दशक पूर्व केरल में पेंटिंग प्रदर्शनी में दुलारी देवी की पेंटिंग को फिल्म कलाकार वैजयंती माला ने सराहा था। लॉकडाउन के दौरान देवी जिले के कोठिया, पेटघाट, लोहना, रुपौली, खड़क गांव के सरकारी विद्यालयों को संवार दिया। लॉकडाउन के दौरान दुलारी की बनाई एक पेटिंग की बिक्री अमेरिका में 50 हजार रुपये में हुई। यह पेंटिंग अमेरिका डाक के माध्यम से भेजी गई।
कठिन हालातों का सामना कर दुलारी ने लगाई ऊंची छलांग
दुलारी देवी के जीवन के शुरूआती दिन बेहद कठिन रहे। दुलारी का जन्म मल्लाह जाति के एक निर्धन परिवार में हुआ। पिता मुसहर मुखिया, भाई परीक्षण मुखिया मछलियां पकड़ने का काम करते थे। मां धनेसरी देवी के साथ वह भी दूसरों के घरों व खेतों में काम करती थी। कम उम्र में शादी हो गई। दो साल ससुराल बेनीपट्टी प्रखंड के बलाइन कुसमौल गांव में गुजारने के बीच छह माह की पुत्री की मौत के बाद वह मायके चली आई। किस्मत ने ऐसा रंग दिखाया कि वह मायके में रहने को विवश हो गई। फिर कभी ससुराल नहीं गई। मायका रांटी गांव में दुलारी जीवन-यापन के लिए मधुबनी पेंटिंग की कलाकार राज्य पुरस्कार से सम्मानित कर्पूरी देवी (अब स्व.) के घर झाड़ू-पोंछा कर जीविका चलाने लगी। इस दौरान दुलारी देवी ने कर्पूरी देवी की बनाई जाने वाली मिथिला पेटिंग को देखकर खुद भी पेटिंग बनाना शुरू कर दिया। शुरू-शुरू में दुलारी अपने घर-आंगन को माटी से पोतकर, लकड़ी की कूची बना अपनी कल्पनाओं को आकृति देने लगीं। बाद में कर्पूरी देवी के सहयोग से मिथिला पेटिंग के क्षेत्र में नाम कमाने लगी।
दैनिक जागरण के खबर पर मुहर
बता दें कि दैनिक जागरण ने दुलारी देवी को पद्मश्री पुरस्कार मिलने की संभावना पहले ही जता दी थी। 19 जनवरी के अंक में दैनिक जागरण ने नेशनल अवार्ड की रेस में आगे चल रही मिथिला पेंटिंग कलाकार दुलारी देवी शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। सोमवार को गृह मंत्रालय की घोषणा के साथ ही दैनिक जागरण की संभावना सच साबित हुई। दुलारी देवी ने कहा कि मिथिला पेंटिंग ने जीवन में वह सबकुछ दिया जो कभी सोचा ना था। जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे। उनसे हौसला मिला। मिथिला पेंटिंग के क्षेत्र में आगे बढ़ने को इच्छुक लड़कियों को पेंटिंग के क्षेत्र में बढावा देना अपने जीवन से ही सीखा। मेहनत व लगन हो तो हर क्षेत्र में सफलता मिल सकती है, यह बात आज के युवा पीढ़ी को समझनी चाहिए।