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हिंदी पुस्तकों के लेखकों को मिलेगा 50 हजार का पुरस्कार, संस्कृति मंत्रालय ने शुरू की योजना

भारतीय संस्कृति, प्राचीन धरोहर सहित अन्य विषयों पर प्रकाशित पुस्तकों के लेखकों को पुरस्कार मिलेगा, प्रोत्साहन पुरस्कार के तौर पर 10-10 हजार रुपये दिए जाएंगे।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 16 Feb 2019 03:57 PM (IST)Updated: Sat, 16 Feb 2019 04:20 PM (IST)
हिंदी पुस्तकों के लेखकों को मिलेगा 50 हजार का पुरस्कार, संस्कृति मंत्रालय ने शुरू की योजना
हिंदी पुस्तकों के लेखकों को मिलेगा 50 हजार का पुरस्कार, संस्कृति मंत्रालय ने शुरू की योजना

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। संस्कृति मंत्रालय ने हिंदी में मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार योजना शुरू की है। इसके तहत संस्कृति विषयक मौलिक हिंदी पुस्तक लेखकों को 50 हजार रुपये तक पुरस्कार की घोषणा की गई है। भारतीय संस्कृति, प्राचीन धरोहर, धर्म दर्शन, कला आदि विषयों पर प्रकाशित पुस्तकों के लेखकों को यह पुरस्कार मिलेगा।

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   बशर्ते पहली जनवरी, 2018 से 31 दिसंबर, 2018 तक यानी कैलेंडर वर्ष 2018 के दौरान पुस्तकें लिखी गई हों। लेखक अपनी प्रविष्टियां अपने विभाग व पूर्व विभाग के अध्यक्ष द्वारा सत्यापन तथा संस्तुति के साथ भेज सकते हैं। प्रथम पुरस्कार 50 हजार रुपये, द्वितीय पुरस्कार 45 हजार, तृतीय पुरस्कार 30 हजार रुपये तथा चार चुनिंदा प्रविष्टियों को प्रोत्साहन पुरस्कार के तौर पर 10-10 हजार रुपये दिए जाएंगे।

   सबको प्रमाण पत्र व स्मृति चिह्न भी मिलेंगे। यूजीसी के संयुक्त सचिव डॉ. अजय कुमार खंडूरी ने जारी पत्र में निर्देशित किया है कि 31 मार्च, 2019 तक सभी प्रविष्टियां संस्कृति मंत्रालय में पहुंच जानी चाहिए। निर्धारित तारीख के बाद उसपर विचार नहीं होगा।

योजना के लिए सामान्य शर्तें

पुस्तक के एक से अधिक लेखन होने की स्थिति में प्रत्येक सह लेखक को अलग-अलग प्रोफॉर्मा भरना होगा। योजना के अंतर्गत पुरस्कार के लिए वे पुस्तकें ही आमंत्रित हैं, जो लेखक की हिंदी में मौलिक रचना हो। अनुदूत पुस्तक स्वीकार नहीं है। किसी भी सरकारी संगठन द्वारा पूर्व में पुरस्कृत पुस्तकें पात्र नहीं होंगी। योजना के लिए कैलेंडर वर्ष 2018 में प्रकाशित पुस्तकें ही मान्य होंगी।

विश्लेषनात्मक सामग्री हो

पुस्तक से संबंधित विषय सामग्री विश्लेषनात्मक होनी चाहिए। पीएचडी के लिए लिखे गए शोध, कविता, उपन्यास, कहानी, नाटक आदि के रूप में लिखी गई या पाठ्य-पुस्तक के रूप में लिखी गई पुस्तक मान्य नहीं होंगी। पुस्तक कम से कम 100 पृष्ठों की हो। यदि पुरस्कार के लिए चुनी गई पुस्तक के लेखक एक से अधिक होंगे, तो पुरस्कार की राशि उनमें बराबर-बराबर बांट दी जाएगी।

पुरस्कार के लिए मूल्यांकन का ये तरीका

पुस्तकों की मूल्यांकन प्रक्रिया के बारे में बताया गया कि उनका मूल्यांकन संस्कृति मंत्रालय द्वारा निर्धारित मानदंडों के आधार पर लब्ध-प्रतिष्ठित विद्वानों/विशेषज्ञों की समिति द्वारा किया जाएगा। पुरस्कार के बारे में निर्णय की सूचना सभी विजेताओं को पत्र द्वारा भेजी जाएगी तथा मंत्रालय की वेबसाइट पर भी रखी जाएगी।  


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