मधुबनी जिले के इस प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र में रोजगार सृजन के अवसर तलाश रहे काम छोड़कर आए प्रवासी व स्थानीय लोग
पंडौल औद्योगिक क्षेत्र मधुबनी जिला का प्रमुख व औद्योगिक क्षेत्र है जहां मध्यम व लघु उद्योग काफी संख्या में स्थापित हैं। इनमें से अधिकांश लॉकडाउन से फिलहाल बंदी की स्थिति में हैं।
मधुबनी, [प्रदीप मंडल]। लॉकडाउन के समय बड़ी तादाद में आए प्रवासियों के लिए रोजगार एक बड़ी समस्या बनकर सामने आ रही है। कैसे होगा उनका जीविकोपार्जन, किस तरह से परिवार का पालन पोषण होगा, यह एक बड़ी समस्या बनी हुई है। ऐसे में जरूरत है रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने की। इसके लिए आवश्यकता है प्रशासनिक स्तर से लेकर स्थानीय स्तर तक हरसंभव रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने की। मधुबनी-सकरी मुख्य मार्ग के किनारे स्थित पंडौल का औद्योगिक क्षेत्र मधुबनी जिला का एक प्रमुख व औद्योगिक क्षेत्र है। जहां मध्यम व लघु उद्योग काफी संख्या में चल रहे हैं। जिला प्रशासन उन उद्योगों में प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने को आगे आए तो काफी प्रवासियों को वहां रोजगार मिल सकता है।
लॉकडाउन से पहले चलते थे 45 उद्योग
सौ एकड़ में फैला बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार प्रखंड सहित जिले की एक प्रमुख पहचान है। यहां छोटे-बड़े कुल 45 उद्योग लॉकडाउन से पूर्व नियमित रूप से चल रहे थे। जिसमें लगभग एक हजार लोग कार्यरत थे। लॉकडाउन के उपरांत सभी उद्योग बंद हो जाने के बाद मजदूर अपने घर चले गए थे। लेकिन, सरकारी दिशा-निर्देश के बाद पुन: उद्योग चालू हुए हैं। इन उद्योगों में लगभग 30 उद्योग अभी चल रहे हैं, जिसमें करीब 450 लोग कार्यरत हैं। इस संकट के समय यदि यहां के सभी उद्योग चलने लगे तो लगभग एक हजार लोग तत्काल रोजगार से जुड़ जाएंगे।
लॉकडाउन में बंद उद्योगों के चालू होने से बनेगी बात
वर्तमान में यहां चार राइस मिल चल रहे हैं जिसमें लगभग 50 लोग कार्यरत हैं। चार फ्लावर मिल चल रहे हैं, जहां लगभग एक सौ मजदूर काम कर रहे हैं। यहां चल रहे प्रमुख उद्योगों में मां दुर्गा कृषि यंत्र, बिहार मां दुर्गा फ्लावर मील, कनकधारा, महाशक्ति पोल्ट्री फूड्स, शालीमार चूजा प्रोडक्शन, मिथिला डेयरी, बोरिंग पाइप बनाने वाली समेत अन्य छोटी-बड़ी करीब 35 उद्योग चल रहे हैं। जिनमें लगभग 450 मजदूर काम कर रहे हैं। यहां लगभग 30 माइक्रो इंडस्ट्रीज हैं। लॉकडाउन से पूर्व जितने उद्योग चल रहे थे, यदि वे सभी उद्योग पुन: चालू हो जाए तो यहां हजार लोगों को रोजगार मिल जाएगा।
कई नए उद्योग स्थापित होने के कगार पर
क्षेत्र में आने वाले समय में भी रोजगार के काफी अवसर हैं। यहां आनेवाले समय में फूड मशीनरी, फूड प्रोसेसिंग समेत और कई नए उद्योग स्थापित होने के कगार पर हैं। उक्त क्षेत्र में अन्य औद्योगिक क्षेत्रों की अपेक्षा जमीन की कीमत भी कम है। यहां 45 लाख प्रति एकड़ की दर से जमीन मिल रही है। कुल सौ एकड़ जमीन में से 25 एकड़ जमीन औद्योगिक क्षेत्र के बाउंड्री वॉल और सड़कों के निर्माण में दी गई है। शेष में उद्योग चल रहे हैं जिसमें लॉकडाउन से पूर्व 16 माइक्रो इंडस्ट्रीज, 15 लघु उद्योग एवं दस मध्यम आकार के उद्योग चल रहे थे। यहां एक भी बड़े पैमाने का उद्योग नहीं है। पूर्व की बात करें तो यहां कुल 23 एकड़ में सूत मिल था, जो अब खंडहर बन चुका है। जिसमें से साढ़े सात एकड़ जमीन बिहार इंजीनियरिंग कॉलेज के लिए दी गई है।
प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार के अवसर
बिआडा पंडौल औद्योगिक क्षेत्र प्रबंधक अंजनी तिवारी के अनुसार यहां काम करने वाले सभी मजदूर स्थानीय हैं। यदि यहां कार्यरत सभी उद्योग चालू हो जाए तो कई प्रवासी मजदूरों को भी यहां रोजगार के अवसर मिलेंगे। यहां जींस आधारित उद्योग भी हैं जिनमें लगभग पांच दर्जन लोग कार्यरत हैं। लॉकडाउन में ये बंद थे। पुन: चालू होने की प्रक्रिया में हैं। इस तरह के अन्य उद्योगों को स्थापित कर सही तरीके से संचालित किया जाए तो पंडौल औद्योगिक क्षेत्र प्रखंड में आए प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार का एक अवसर लाएगा ।