सीतामढ़ी में प्रवासी मजदूरों को मिला सरकार का साथ तो गांवों में लौटी खुशहाली
Sitamarhi News कोरोना काल में लौटे प्रवासियों में हालात बदलने का मादा स्किल देखकर दुनिया दंग। गांव-जवार सब गुलजार हो उठा है। जिले के बाजपट्टी व बथनाहा प्रखंड में प्रवासी श्रमिक अपने हुनर से आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश कर रहे हैं।
सीतामढ़ी [मुकेश कुमार 'अमन']। मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूं शीशे से कब तक तोड़ोगे, मिटने वाला मैं नाम नहीं, तुम मुझको कब तक रोकोगे। कुछ ऐसे ही हौंसले और जज्बे से प्रवासी मजदूर कोरोना काल में आर्थिक तंगी और मंदी को चारों खाने चीत करने में जुटे हैं। लॉकडाउन में रोजी-रोजगार छिन जाने के बाद परदेस से गांव-घर लौटे इन शहरी बाबुओं का हुनर देख दुनिया दंग है। दिल्ली, मुंबई, लुधियाना, सूरत, अहमदाबाद, त्रिपुरा, जयपुर आदि शहरों से लौटे इन श्रमिकों की बदौलत सचमुच बहार आ गई है। गांव-जवार सब गुलजार हो उठा है।
हुनर से पेश कर रहे आत्मनिर्भरता की मिशाल
जिले के बाजपट्टी व बथनाहा प्रखंड में प्रवासी श्रमिक अपने आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश कर रहे हैं। बाजपट्टी में रेडीमेड गारमेंट्स क्लस्टर के तहत पैंट-शर्ट व मच्छरदानी बनाने की फैक्ट्रियां चालू हो गई हैं तो बथनाहा में बथनाहा में जूते, चप्पल, बेल्ट की फैक्ट्री का शुक्रवार को ही उद्घाटन हुआ। रेडीमेड क्लस्टर में 11 और चमड़ा कल्सर में 10 प्रवासी श्रमिकों को प्रत्यक्ष तो दूसरों कई लोगों के लिए रोजगार का सृजन हुआ है। नई-नई मशीन से अपने हाथों से रंग-बिरंगे कपड़े, जूते-चप्पल, बेल्ट वगैरह बनाकर स्वजरोजगार की दिशा में कदम बढ़ाने खुशी उनके चेहरे पर साफ दिखाई पड़ती है। योजना अंतर्गत चयनित क्लस्टर को 10 लाख रुपये तक की राशि उपलब्ध करवाई जाती है।
चमड़े उद्योग से संबंधित पांच क्लस्टर का चयन
वर्तमान में रेडीमेड गारमेंट्स एवं चमड़े उद्योग से संबंधित पांच क्लस्टर का चयन किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य प्रवासी श्रमिकों को अपने ही घर मे स्वरोजगार उपलब्ध करवाना है। जिलाधिकारी के निर्देशन में बाहर से आये श्रमिकों की दक्षता के आधार पर उनकी सूची बनाई गई थी, ताकि उनकी कार्य दक्षता के आलोक में उन्हें स्वरोजगार या रोजगार से जोड़ने हेतु कार्य किया जा सके।
बिहारी श्रमिकों की बदौलत दूसरे प्रदेशों में आई खुशहाली
20000 प्रवासियों के सर्वे से स्पष्ट होता है कि ये प्रतिभाएं अपने खून-पसीने से उन प्रदेशों की किस्मत किस कदर संवार रही थी। रेडीमेड कपड़े, चमड़ा उद्योग, इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं इलेक्टि्रक निर्माण कार्य, फूड एंड होटल, हेयर ड्रेसर, पेंटर, प्लंबर, सेल्स एंड मार्केटिंग, शारीरिक श्रम व स्व नियोजन के अलावा कृष एवं उससे जुड़े कोई अन्य क्षेत्र सबमें इनका योगदान रहा है। डीएम अभिलाषा कुमारी शार्म ने उनका कौशल देखकर पलायन रोकने की बड़ी पहल की है। योजनाओं पर काम के साथ कुछ स्तरों पर उत्पादन भी शुरू हो चुका है। मेड इन सीतामढ़ी को हाय और ब्रांडेड को बाय-बाय लोग कहने लगे हैं। इस वर्ग के लिए सरकार ने भी ढेरों योजनाएं और मदद का पहले ही एलान किया है। बिहार से बाहर फंसे 2 लाख 84 हजार 674 लोगों के आवेदन प्राप्त हुए, जो घर लौटना चाहते थे। इनमें 80 हजार तो सिर्फ इसी जिले के हैं।
सीतामढ़ी औद्योगिक क्षेत्र में रेडिमेड गारमेंट्स का एक मेगा कलस्टर
डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा ने कहा कि सिलाई, कटिंग, पेस्टिंग, जरी वर्क, काशीदाकारी क्षेत्रों में चार जगहों में से दो प्रखंडों में कलस्टर चालू हो चुका है। उत्पादन भी शुरू हो चुका है। परिहार में कपड़ा, साड़ी पर जरी वर्क हेतु लघु कलस्टर खुल रहा है जिसमें 200 से 400 तक श्रमिक कार्य करेंगे। सूरसंड एवं पुपरी के मध्य काशीदाकारी का कलस्टर खुलने वाला है। जिसमें तीन सौ श्रमिक कार्य करेंगे। बथनाहा में सिलाई कलस्टर, रुन्नीसैदपुर में सिलाई लघु कलस्टर। ये चारों कलस्टर मुख्यमंत्री लघु उद्यम कलस्टर योजना के तहत खुलेंगे। प्रति कलस्टर 50 से 70 लाख रुपये खर्च होंगे।
सीतामढ़ी औद्योगिक क्षेत्र में रेडिमेड गारमेंट्स का एक मेगा कलस्टर चार से पांच करोड़ की लागत से स्थापित होने वाला है। जहां रेडिमेड वस्त्र निर्माण के सभी कार्य होंगे। इस तरह रेडिमेड कलस्टर सीतामढ़ी में 3500 से 4000 तक श्रमिकों को रोजगार मिलेगा। इस कलस्टर को वर्तमान में रेडिमेड गारमेंट इकाईयों से संबद्ध करते हुए जीविका दीदियों को भी जोड़ा जा सकेगा।
चमड़ा कलस्टर में 2000 शिल्पियों को रोजगार देने के लिए डीएसआर, डीपीआर का प्रस्ताव विभाग को भेजा जा चुका है। कार्यालय परिचारी, डे्रस, स्कूल ड्रेस, सिपाही वर्दी, मच्छरदारी, रेडिमेड परिधान, जूता-चप्पल, बेल्ट पर्स इत्यादि का निर्माण होगा। सरकारी खरीद में यदि इन्हें सहयोग मिला तो जिले में 5000 श्रमिकों प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। वर्तमान में औद्योगिक विभाग सीतामढ़ी द्वारा 43 चर्मशिल्प एवं 33 रेडिमेड गारमेंट हेतु प्रति इकाई 10 लाख सीएमएस सीएसटी योजना के तहत दी गई है।