Lockdown effect : मकान मालिक की लगातार प्रताड़ना से तंग आकर नौ दिनों में रिक्शे से पहुंचे घर
Lockdown effect सुबह-शाम घर में आकर देते थे धमकी अभद्र भाषा का भी प्रयोग। तीन रिक्शे से गुरुग्राम से मुरौल पहुंचे डेढ़ दर्जन लोग।
मुजफ्फरपुर, [अनिल कुमार]। यूं तो मकान मालिक से रिश्ते मधुर थे। हम एक-दूसरे के सुख-दुख में भागीदार थे। लॉकडाउन में आमदनी के रास्ते हुए लॉक तो कड़वाहट सामने आने लगी। किराया देना ही पड़ेगा, लेकिन कहां से, इससे कोई मतलब नहीं। विलंब होने पर मिलीं गालियां-धमकियां...ऐसा लगता था कि पहले से कोई जान-पहचान ही नहीं। दर्द बयां करते-करते गुरुग्राम से लौटे बिंदेश्वर व श्याम पासवान की आंखों में आंसू भर गए। कहते हैं कि मकान मालिक की प्रताडऩा धीरे-धीरे बढऩे लगी। थक-हार घर से रुपये मंगाकर एक माह का किराया दिए। कुछ दिन शांति रही, फिर मांगने लगे दूसरे माह का...। ऐसे में वहां कैसे रहते और क्या खाते? फिर क्या, वहां से घर आने का प्लान बना लिया।
गुरुग्राम में रहते थे डेढ़ दर्जन लोग
हरियाणा के गुरुग्राम स्थित पालम विहार इलाके में मुरौल प्रखंड के नेमोपुर बखरी गांव के डेढ़ दर्जन से अधिक लोग परिवार के साथ रहते थे। ये बीते 15 वर्षों से अगल-बगल चार मकानों में रहते थे। मनीष पासवान व सतीश पासवान ने बताया कि हम सभी वहां रिक्शा चलाकर परिवार का भरण-पोषण करते थे।
असहनीय हो गई पीड़ा तो रात में निकले
मनीष व उपेंद्र पासवान का कहना है कि जब प्रताडऩा असहनीय हो गई तो घर लौटने के अलावा कोई उपाय नहीं बचा। आखिरकार रात में चुपचाप तीन ठेला रिक्शा पर सामान रख परिवार को लेकर गांव के लिए चल दिए। मोटर लगे ठेला रिक्शा से दो सामान्य रिक्शेको पीछे बांध दिया। प्रतिदिन करीब 150 किमी की दूरी तय कर नौ दिनों में परिवार के संग शुक्रवार को मुरौल पहुंचे। इस दौरान रास्ते में लोगों ने मदद की, इसलिए भोजन की दिक्कत नहीं हुई।
काम आए सरकार के भेजे एक हजार रुपये
प्रवासियों ने कहा कि घर से मंगाए पैसे मकान मालिक को देने के बाद कुछ बच गए थे। जब हमलोग निकले तो सरकार की ओर से भेजे गए एक-एक हजार रुपये खाते में थे। इसे निकाल कर मोटर लगे रिक्शे में ईंधन लिया, जिससे गांव पहुंचने की राह आसान हो गई। मुरौल पहुंचने के बाद सबसे पहले जांच कराई। इसके बाद क्वारंटाइन सेंटर में हैं। बताया कि अभी कुछ और लोग फंसे हैं। मकान मालिक आने नहीं दे रहे हैं।
पांच हजार से अधिक लोगों को राहत दिलाया
इस बारे में मुजफ्फरपुर के सांसद अजय निषाद ने कहा कि पांच हजार से अधिक लोगों को राहत दिलाने का काम हुआ है। बाहर फंसे लोगों की मदद का सिलसिला जारी रहेगा। परदेस में रह रहे जिले के लोगों को यदि कोई समस्या हो तो हमारे मुजफ्फरपुर या दिल्ली स्थित आवासीय कार्यालय, मोबाइल, ट्विटर या फेसबुक पर संपर्क साधें। शीघ्र ही निदान किया जाएगा।