हाय रे मनुषमारा, तेरे काले पानी ने किसानों को मारा, मुजफ्फरपुर से सीतामढ़ी तक फसल को भारी नुकसान
Muzaffarpur मक्का मूंग और सब्जियों के बर्बाद होने के साथ धान के बिचड़े भी नष्ट हो गए हैं। 30 जून की रात से यहां के लोग मनुषमारा का प्रकोप झेल रहे हैं। गांव से लेकर खेतों तक में जमा पानी बर्बादी की तस्वीर दिखा रही है।
मुजफ्फरपुर, {शीतेश कुमार} । नेपाल से निकलकर सीतामढ़ी-शिवहर के रास्ते मुजफ्फरपुर तक बहने वाली मनुषमारा नदी ने किसानों की खुशियां छीन ली हैं। लोगों पर काला पानी की मार पड़ी है। नदी में आई बाढ़ से तीनों जिलों में करीब 1300 एकड़ में पानी फैल गया है। मक्का, मूंग और सब्जियों के बर्बाद होने के साथ धान के बिचड़े भी नष्ट हो गए हैं। 30 जून की रात से यहां के लोग मनुषमारा का प्रकोप झेल रहे हैं। गांव से लेकर खेतों तक में जमा पानी बर्बादी की तस्वीर दिखा रही है। 23 हजार से अधिक किसान तबाही झेल रहे हैं।
मुजफ्फरपुर की 19 पंचायतें प्रभावित : मुजफ्फरपुर के औराई की 19 पंचायतों में मनुषमारा की बाढ़ का कहर है। 200 एकड़ में मक्का व 100 एकड़ मेें सब्जी की खेती नष्ट हो गई है। किसान सुकुमार महतो कहते हैं कि मनुषमारा के काले पानी ने किसानों को मार दिया है। 20 हजार किसानों के डेढ़ करोड़ पानी में नष्ट हो गए।
शिवहर में भी यही हाल है। 700 एकड़ में धान का बिचड़ा, सब्जी व मूंग-मक्का बर्बाद हो गए हैं। किशोर झा कहते हैं कि करीब 600 किसान तबाही झेल रहे। ऐसी ही तस्वीर सीतामढ़ी की है, यहां 230 एकड़ में लगी लगभग 800 किसानों की फसल चौपट हो गई है।
खेती तबाह, रह गया कर्ज का बोझ
औराई निवासी सुरेश ठाकुर सब्जी की खेती चौपट होने से आहत हैं। कहते हैं, डेढ़ एकड़ में सब्जी लगी थी। बेचकर बैंक का लोन चुकता करना था। अब आगे क्या होगा, भगवान मालिक हैं...। नंद किशोर सिंह बताते हैं कि कुछ दिन पहले बेटी की शादी की थी। मक्का बेचकर कर्ज उतारना था, लेकिन फसल चौपट हो गई। कर्ज सिर पर ही रह गया। गांव से बाहर सड़क पर मिले औराई के दिनेश कुमार कहते हैं, मनुषमारा का पानी जहरीला है। फसल तो बर्बाद करता ही है, खेतों की उर्वरता भी चौपट कर देता है। इसके काला पानी से खेती वाली जमीन बंजर व बेजान हो गई है।
चीनी मिल के डिस्चार्ज वाटर से काला हुआ पानी
मनुषमारा नदी रीगा चीनी मिल द्वारा दूषित पानी विमुक्त करने से काली और विषाक्त हो गई। इससे आसपास के खेतों की उर्वरता खत्म हो गई। इसे लेकर दर्जनों बार आंदोलन हुए। इधर चीनी मिल दूषित पानी छोड़े जाने की बात को खारिज करता रहा है। सीएमडी ओपी धानुका का कहना है कि मिल में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगा है। मिल से निकलने वाला पानी बिना उपचारित नहीं छोड़ा जाता। हालांकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कई बार चीनी मिल को नोटिस भी भेजा। मिल बंद करने तक का आदेश दिया गया। इसके खिलाफ मिल प्रबंधन कोर्ट में गया, जहां मामला लंबित है।