मिथिला पंचांग से आज मनेगी मकर संक्रांति, समाप्त होगा खरमास
जिले में मिथिला विश्वविद्यालय पंचांग के अनुसार शुक्रवार को मकर संक्रांति मनाई जाएगी।
मुजफ्फरपुर : जिले में मिथिला विश्वविद्यालय पंचांग के अनुसार शुक्रवार को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। बनारसी पंचांग को माननेवाले लोग अगले दिन यानी शनिवार को मकर संक्रांति मनाएंगे। मिथिला और बनारसी पंचांग के एकमत नहीं होने के कारण दो दिनों तक यह त्योहार मनेगा। मिथिला विश्वविद्यालय पंचांग के अनुसार 14 जनवरी को सुबह 11 बजे से संक्रांति के पुण्यकाल की शुरुआत हो जाएगी। इसके बाद लोग मकर संक्रांति मना सकेंगे। बनारसी पंचांग के अनुसार, सूर्य का राशि परिर्वतन 14 जनवरी की रात्रि 8.34 बजे होगा, जिसका पुण्यकाल 15 जनवरी को दोपहर तक रहेगा। उदया तिथि मान्य होने के कारण बनारसी पंचांग से संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनेगा। मकर संक्रांति के दिन से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाएंगे। सूर्य के उत्तरायण होते ही मांगलिक कार्य आरंभ हो जाएंगे। पं.विनोदानंद झा व बाबा गरीबनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी पं.विनय पाठक के अनुसार मिथिला पंचांग के अनुसार 14 को पुण्यकाल सुबह 11 बजे से होगा। 15 को 11 बजे तक पुण्यकाल रहेगा। इस अवधि में लोग स्नान कर सकेंगे। आध्यात्मिक गुरु पं.कमलापति त्रिपाठी ने बताया कि बनारसी पंचांग के अनुसार मकर का सूर्य 14 जनवरी 2022 को रात्रि में साढ़े आठ बजे के बाद प्रवेश करेगा। ऐसे में बनारसी पंचांग को मानने वाले लोग 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाएंगे।
बढ़ रहा संक्रमण, घर में ही मनाएं मकर संक्रांति :
जिले में कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। इस दिन गंगास्नान और मंदिरों में पूजन की परंपरा रही है। मंदिर बंद हैं और प्रशासन ने सार्वजनिक जगहों पर भीड़ इकट्ठा करने पर रोक लगाई है। इसे देखते हुए गंगा तट पर स्नान के लिए जाने के बजाए घर में ही गंगाजल से स्नान कर पर्व मनाएं। मकर संक्रांति के दिन गंगा समेत पावन नदियों में स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
-------------------------- तिल और खिचड़ी की महत्ता मकर संक्रांति के दिन तिल व खिचड़ी का विशेष महत्व बताया गया है। मकर राशि के स्वामी शनि और सूर्य के विरोधी राहु होने के कारण दोनों के विपरीत फल के निवारण के लिए तिल का खास प्रयोग किया जाता है। उत्तरायण होने पर सूर्य की रोशनी और प्रखर हो जाती है। मान्यता है कि भगवान विष्णु को भी तिल अत्यंत प्रिय है। ठंड के मौसम में तिल का सेवन शरीर को गर्म रखता है। -------------------------- मकर संक्रांति व्रत और पूजा की विधि मकर संक्रांति के दिन पर भगवान सूर्य की पूजा की जाती है और उन्हें जल चढ़ाया जाता है। कई जगहों पर लोग सूर्य देव के लिए व्रत भी रखते हैं और अपनी श्रद्धानुसार दान करते हैं। मकर संक्रांति पर ऐसे करें पूजा :
मकर संक्रांति के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर नहाने के पानी में तिल मिलाकर नहाएं। इसके बाद लाल कपड़े पहनें और दाहिने हाथ में जल लेकर पूरे दिन बिना नमक खाए व्रत करने का संकल्प लें। सुबह के समय सूर्य देव को तांबे के लोटे में शुद्ध जल चढ़ाएं। इस जल में लाल फूल, लाल चंदन, तिल और थोड़ा-सा गुड़ मिलाएं। सूर्य को जल चढ़ाते हुए तांबे के बर्तन में जल गिराए। तांबे के बर्तन में इकट्ठा किया जल मदार के पौधे में डाल दें। ----------------------------- मांगलिक कार्य होंगे शुरू, दान से मिलता मोक्ष फल : मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण होते हैं। उत्तरायण देवताओं का दिन है। मान्यताओं के अनुसार उत्तरायण में मृत्यु होने से मोक्ष प्राप्ति की संभावना रहती है। दिसंबर से जनवरी तक का एक महीना का समय खरमास होता है और खरमास में मांगलिक काम करने की मनाही होती है, लेकिन मकर संक्रांति के साथ ही शादी-ब्याह, मुंडन, जनेऊ और नामकरण जैसे शुभ काम की शुरुआत हो जाती है। धार्मिक महत्व के साथ ही इस पर्व को लोग प्रकृति से जोड़कर भी देखते हैं जहां रोशनी और ऊर्जा देने वाले भगवान सूर्य देवता की पूजा की जाती है। मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर विष्णु भगवान की पूजा का भी विधान है। शास्त्रों और पुराणों में कहा गया है कि माघ मास में नित्य तिल से भगवान विष्णु की पूजा करने वाला पाप मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करता है। अगर पूरे महीने तिल से नारायण की पूजा नहीं कर पाते हैं तो मकर संक्रांति के दिन नारायण की तिल से पूजा करनी चाहिए, ऐसा करने से जाने-अनजाने हुए पापों से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि इस अवसर पर दिया गया दान 100 गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है। वहीं इस दिन शुद्ध घी और कंबल का दान मोक्ष की प्राप्ति कराता है।